Monday, August 27, 2012

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प्रदेश से मोह भंग हुआ नौकरशाहों का


मध्यप्रदेश छोड़ने के इच्छुक आईएएस अफसरों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। हालांकि राज्य सरकार इन अफसरों को छोड़ने के मूड में नहीं है, लेकिन अफसरों के लगातार आग्रह के बाद लगता है कि सरकार इन्हें ज्यादा दिन रोक पाएगी। मालूम हो अभी सरकार के सरकार के पास आठ आईएएस अफसरों के आवेदन लंबित हैं।
सख्त मिजाजा और तेज तर्रार आईएएस अफसरों में शुमार शैलेन्द्र सिंह कल ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलकर उन्हें अपनी भावनाओं से अवगत करा चुके हैं। मालूम हो अब केन्द्र सरकार में सेवाएं देना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए आवेदन दिया है। हालांकि सरकार चाहती है कि वे प्रदेश में ही सेवाएं देते रहें। हाल ही में स्वास्थ्य विभाग के संचालक बनाए गए संजय गोयल ने भी पांच वर्ष के लिए केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने की इच्छा जताई है। सरकार के पसंदीदा अफसरों में शुमार गोयल के इस निर्णय से आला अफसर भी आश्चर्य चकित हैं कि वे केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर क्यों जाना चाहते हैं, क्योंकि भारी विरोध के बावजूद इन्हें स्वास्थ्य विभाग की कमान सौंपी गई थी। ज्ञानेश्वर पाटिल और सोनाली वायंगणकर महाराष्ट्र राज्य में सेवाएं देना चाहते हैं। इसके लिए आवेदन किए हुए इन्हें लम्बा समय हो चुका है। के वासुकी, आइरिन सिंथिया भी अब मध्यप्रदेश में सेवाएं देने के मूड में नहीं है।
इन्हें मिली अनुमति -
मुधरानी तेवतिया एक मात्र आईएएस अफसर हैं जिन्हें राज्य सरकार ने प्रदेश छोड़ने की अनुमति दी है। ये कॉडर परिवर्तन करवाना चाहती हैं। राज्य सरकार ने अपनी अनुशंसा के साथ केन्द्र सरकार को इनका आवेदन भेज दिया है। अब यह मामला केन्द्र सरकार में लंबित है।
ई रमेश कुमार का मूड बदला -
सागर कलेक्टर ई रमेश कुमार भी केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाना चाहते थे। केन्द्रीय कार्मिम मंत्रालय ने इनकी प्रतिनियुक्ति के आदेश जारी कर दिए, लेकिन राज्य सरकार ने इनको कार्यमुक्त नहीं किया। बताया जा रहा है कि अब वे प्रदेश नहीं छोड़ना चाहते, उनके आग्रह पर ही राज्य सरकार ने कार्यमुक्त नहीं किया।
बिना काम के अफसर -
राज्य सरकार के एक वरिष्ठ आईएएस अफसर ऐसे भी हैं जो लम्बे समय से बिना काम के हैं। 5 जुलाई को राज्य सरकार ने इन्हें आनन फानन में सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव पद से हटा दिया। इसके बाद से इन्हें किसी भी विभाग की जिम्मेदारी नहीं मिली है। चर्चा है कि लम्बे समय से बिना के काम अफसर सामंतराय भी अब प्रदेश छोड़ने की तैयारी में हैं।

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कलेक्टरों की राय होती रहे ‘परख’


सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन और उनका फीडबैक लेने के लिए मुख्य सचिव परख कार्यक्रम के जरिए इनकी जमीनी हकीकत जानने का प्रयास करते हैं, लम्बे समय से चल रहे इस कार्यक्रम को अब और बेहतर बनाने की कवायद शुरू हुई है। इसी के तहत मुख्य सचिव ने कलेक्टरों, कमिश्नरों से फीडबैक लेना शुरू किया है। प्रारंभिक तौर पर हुई चर्चा के दौरान ज्यादातर कलेक्टरों का यही सुझाव रहा कि यह कार्यक्रम चलता रहना चाहिए।
मुख्य सचिव आर परशुराम ने परख कार्यक्रम के दौरान कल एक दर्जन अफसरों के सुझाव मांगे। उन्होंने जानना चाहा कि परख कार्यक्रम के मौजूदा स्वरूप में क्या परिवर्तन हो सकता है, या फिर इसे इसी तरह चलते रहना चाहिए। इस पर भोपाल, जबलपुर, रायसेन, बैतूल, हरदा, रीवा, सिवनी इत्यादि जिलों के कलेक्टरों ने सुझाव दिया कि परख कार्यक्रम चलते रहना चाहिए। इसी प्रकार रीवा और जबलपुर कमिश्नर से भी सुझाव मांगे लिए गए। ये भी इस कार्यक्रम के पक्ष में नजर आए। हालांकि ज्यादातर अफसर इस बात पर सहमत रहे कि इस कार्यक्रम के मौजूदा स्वरूप में कुछ परिवर्तन हो सकता है, लेकिन इसे बंद नहीं किया जाना चाहिए। यहां यह बताना जरूरी है कि परख कार्यक्रम के जरिए कृषि कार्यो फसलों की स्थिति एवं खाद, बीज, की उपलब्धता तथा वितरण की समीक्षा, स्कूल शिक्षा, स्वास्थ्य, जलाभिषेक सहित सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न अभियान की समीक्षा, प्रदेश में वर्षा और सूखे की स्थिति, महाविद्यालयों में रेगिंग की रोकथाम, आने वाले त्यौहारों पर कानून व्यवस्था की समीक्षा, नगरीय क्षेत्रों में नालियों की साफ-सफाई की स्थिति, उर्वरक व्यवस्था इत्यादि की समीक्षा होती है। कलेक्टरों का भी यही मानना है कि यह समीक्षा स्वयं मुख्य सचिव करते हैं, ऐसे में अन्य अफसर भी एलर्ट रहते हैं क्योंकि मुख्य सचिव सीधे जवाब तलब करते हैं।

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कर्मचारियों को 7 फीसदी डीए की सौगात

 सूबे के अधिकारी कर्मचारियों को 7 फीसदी अतिरिक्त डीए मिलेगा। बढ़े हुए डीए का लाभ उन्हें इसी माह से मिलने लगेगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वतंत्रता दिवस के मुख्य समारोह में यह घोषणा की।
स्वतंत्रता दिवस इस बार प्रदेश के कर्मचारियों के लिए कई सौगातें लेकर आया है। स्वतंत्रता दिवस के एक दिन पूर्व कर्मचारियों को गई भत्ते इत्यादि की सौगात पहले ही मिल चुकी। कल सूबे के अधिकारी-कर्मचारियों को डीए की सौगात भी मिल गई। मुख्यमंत्री की इस घोषणा का लाभ सूबे के सभी पांच लाख कर्मचारियों सहित पेंशनरों को भी मिलेगा। मालूम हो राज्य के कर्मचारियों को 58 फीसदी डीए मिलता है, 7 फीसदी अतिरिक्त डीए मिलने से अब अधिकारी-कर्मचारियों को 65 फीसदी डीए मिलने लगेगा। इसके बाद केन्द्र और राज्य के कर्मचारियों में डीए का अंतर समाप्त हो जाएगा।

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मौसम ने रोकी माननीयों की यात्रा

मध्यप्रदेश विधानसभा की विभिन्न कमेटियां अन्य राज्यों की विधानसभाओं की कार्यप्रणाली को समझने के लिए जाती इसके पहले ही मौसम रोड़ा बन गया। कमेटियों को अपना दौरा निरस्त करना पड़ा है। अब मौसम का मिजाज ठीक होने के बाद नए सिरे से दौरा कार्यक्रम तैयार किए जाएंगे।
विशेषाधिकार समिति की हाल ही में हुई बैठक के दौरान तय किया गया कि समिति उत्तराखण्ड राज्य का अध्ययन करेगी। इस दौरान वहां की विधानसभा की कार्यप्रणाली सहित राज्य में चल रहे कार्यों का भी करना था। इसके लिए मध्यप्रदेश विधानसभा ने उत्तराखण्ड विधानसभा सचिवालय को पत्र लिखा। उत्तराखण्ड विधानसभा सचिवालय ने प्रदेश के हालातों से अवगत कराते हुए जबाव भेजा कि यहां मौसम अनुकूल नहीं है। अधिक बारिश होने से कई शहरों का सड़क संपर्क टूट चुका है। मध्यप्रदेश विधानसभा को यह सूचना फैक्स संदेश के माध्यम से मिली। इस सूचना के साथ ही कल समिति का दौरा स्थगित किए जाने की सूचना सभी सदस्यों को भेज दी गई। मालूम हो समिति को अगले माह दौरे पर जाना था। इसी प्रकार आश्वासन समिति ने उत्तराखण्ड, हिमाचल राज्यों का दौरा कार्यक्रम तैयार किया। इन राज्यों की विधानसभा सचिवालय द्वारा बारिश के कारण वहां बने हालातों से मध्यप्रदेश विधानसभा सचिवालय को अवगत कराया तो इस समिति ने भी दौरा निरस्त कर दिया। 

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भ्रष्टों को बेनकाब करेंगे आईएएस थेटे

सरकार में उपेक्षित महसूस कर रहे आईएएस अधिकारी रमेश थेटे अब खुलकर सामने आ गए हैं। वे कहते हैं कि प्रशासनिक सेवा में रहते हुए ही भ्रष्टों के चेहरों से नकाब उठाएंगे। लोकायुक्त पीपी नावलेकर पर सीधे तौर पर निशाना साधते हुए थेटे ने कहा कि अब वे लोकायुक्त सहित संगठन से जुड़े अन्य अफसरों की काली कमाई उजागर करेंगे। आयकर और सीबीआई को प्रमाणों के साथ इनके दस्तावेज सौंपे जाएंगे।
‘प्रदेश टुडे’ से चर्चा करते हुए थेटे ने बताया कि मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव कई बार पत्र लिखने, व्यक्तिगत मुलाकात कर अपनी कहने का प्रयास किया गया लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आए। उप सचिव स्तर के अधिकारी थेटे का दर्द यह है कि उनसे जूनियर अफसर सचिव स्तर तक प्रमोशन पा गए लेकिन उन्हें प्रमोशन नहीं दिया गया। बार-बार आग्रह किए जाने के बाद कलेक्टरी नहीं मिली। वे आरोप लगाते हैं दलित होने के कारण मुझे प्रताड़ना मिल रही है। एक सवाल पर वे कहते हैं भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार में रहकर ही लड़ाई लड़ता रहंूंगा, इसके लिए न बाबा रामदेव और न ही अन्ना हजारे के साथ जाएंगे। नौकरी छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता।
भ्रष्ट हैं लोकायुक्त नावलेकर -
उज्जैन अपर आयुक्त थेटे ने कल बुधवार को मीडिया से बातचीत करते हुए लोकायुक्त जस्टिस पीपी नावलेकर को भ्रष्ट बताते हुए कहा कि मध्यप्रदेश कैडर के कई सवर्ण आईएएस अधिकारियों पर अवैध संपत्ति व पद का दुरुपयोग कर शासन को करोड़ों रुपए की क्षति पहुंचाने के आरोप लगे हैं, लेकिन लोकायुक्त संगठन ने ऐसे अफसरों के खिलाफ चालान पेश करने से पहले अभियोजन की स्वीकृति मांगी, लेकिन मेरे मामले में अभियोजन स्वीकृति के बिना ही चालान पेश कर दिया गया।
थेटे की फाइल तैयार -
मध्यप्रदेश कॉडर में 1993 बैच के आईएएस अधिकारी रमेश थेटे द्वारा सार्वजनिक तौर पर बयानबाजी किए जाने को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है। सरकार ने इसे सर्विस रूल्स के खिलाफ मानते हुए उनके खिलाफ कार्यवाही की तैयारी की है। संभव है एक-दो दिन में उनके खिलाफ कोई एक्शन हो जाए।

6:54 AM - No comments

डिफाल्टरों में नाम आने से आईएएस खफा


केन्द्र सरकार को अपनी अचल सम्पत्ति का ब्यौरा न देने पर देश के 127 डिफाल्टर आईएएस अफसरों की सूची में प्रदेश के 32 आईएएस अफसरों का नाम आने पर अफसरों ने आपत्ति दर्ज कराना शुरू कर दी है। वे इस बात पर आश्चर्य भी प्रकट कर रहे हैं जब निर्धारित समय पर उन्होंने ब्यौरा दे दिया है तो उनका नाम डिफाल्टरों की सूची में कैसे आ गया। अब राज्य सरकार भी अफसरों का रिकार्ड दुरुस्त खंगालने में जुटी है।
केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय ने प्रदेश के जिन आईएएस अफसरों को डिफाल्टरों की सूची में शामिल किया है, उसमें एसीएस स्तर के अफसरों से लेकर प्रमुख सचिव, सचिव और उनसे जूनियर अफसर भी शामिल हैं। राज्य सरकार भी मान रही है कि प्रदेश के सभी आईएएस अफसरों ने अचल सम्पत्ति का ब्यौरा दे दिया है, लेकिन कुछ अफसरों के ब्यौरे में कमियां हैं, दी गई जानकारी का परीक्षण चल रहा है, इसलिए इनकी जानकारी केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय को नहीं दी गई है। आधी अधूरी जानकारी केन्द्र को दी जाना भी उचित नहीं है, ऐसे में जैसे-जैसे आपत्तियों का निराकरण होता जा रहा है वैसे-वैसे केन्द्र को इसकी सूचना भेजी जा रही है। प्रदेश के 32 आईएएस अफसरों के नाम प्रकाश में आने से अधिकांश अफसरों ने मंत्रालय में संपर्क साधते हुए अपनी आपत्ति दर्ज कराई। कल सोमवार और की तरह आज मंगलवार को भी कुछ ऐसी ही स्थिति रही। कई आईएएस अफसरों ने दोबारा अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा मंत्रालय को उपलब्ध कराया, वे सरकारी ढर्रा के शिकार नहीं होना चाहते। उनका तर्क है कि जिन्होंने जैसी जानकारी दी है, वैसी ही जानकारी केन्द्र को उपलब्ध करा दी जाए, यदि कुछ त्रुटियां या आपत्ति है तो इसका निराकरण होता रहेगा।

6:53 AM - No comments

विधायकों को नहीं मिलेगा बहाली दिन का भत्ता


कांग्रेस विधायकों चौधरी राकेश सिंह चुतुर्वेदी और कल्पना पारुलेकर को चुनाव आयोग से भी अच्छी खबर मिली, आयोग ने उन्हें विधायक मानते हुए दोनों विधायकों के विधानसभा सीटों को अब भरा हुआ मान लिया। मालूम हो पहले आयोग ने इनकी सीटों को रिक्त घोषित कर दिया था। लेकिन इन्हें एक दिन का भत्ता नहीं मिलेगा।
कांग्रेस के दोनों विधायकों कल्पना पारुलेकर और चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी को 18 जुलाई को बर्खास्त किया गया था। 27 जुलाई को बुलाए गए विशेष सत्र में 18 जुलाई के निर्णय को शून्य घोषित कर दिया गया। यानी ये लगातार विधायक माने जाएंगे। लेकिन 27 तारीख को बुलाए गए विशेष सत्र के दौरान इन्हें अनुपस्थित माना जाएगा, इन्हें इस दिन का भत्ता नहीं मिलेगा। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि विशेष सत्र के दौरान इनकी सदस्यता समाप्त थी, इसलिए ये सदन में मौजूद नहीं रहे। यह बात अलग है कि ये विधानसभा परिसर में मौजूद रहकर सदन की हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए थे।

6:40 AM - No comments

नौकरशाहों पर असमंजस में सरकार


सूबे के आधा दर्जन आईएएस अफसर ऐसे हैं जिनके मामले में असमंजस की स्थिति है। इसमें से ज्यादातर मध्यप्रदेश में सेवाएं देने के मूड में नहीं है, जबकि कुछ मनमर्जी से काम कर रहे हैं। गेंद सरकार के पाले में है, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है।
प्रदेश में आईएएस अफसरों का टोटा होने के कारण राज्य सरकार चाहती है कि अफसर यहीं काम करें, इसलिए कॉडर परिवर्तन की हरीझंडी मिलने के बाद भी सरकार इन्हें रिलीव नहीं कर रही है, जबकि कुछ के मामले केन्द्र में लंबित हैं। प्रदेश में तेजी से बदल रहे राजनैतिक घटनाक्रम के चलते इन अफसरों की फाइल भी ठण्डे बस्ते है।
मधुरानी तेवतिया -
आईपीएस पति की मौत के बाद प्रदेश सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाया। असुरक्षित महसूस कर रहीं श्रीमति तेवतिया ने मध्यप्रदेश में नौकरी न करने का निर्णय लिया। राज्य सरकार से आग्रह किया कि उनका कॉडर बदलकर उत्तर प्रदेश किया जाए। प्रदेश सरकार अपनी अनुशंसा के साथ केन्द्र सरकार को फाइल केन्द्र सरकार को भेज चुकी है, लेकिन अभी तक इस मामले में कोई आदेश जारी नहीं हुआ है।
ई रमेश कुमार -
सागर कलेक्टर हैं। मध्यप्रदेश छोड़कर आंध्र प्रदेश में सेवाएं देने की इच्छा व्यक्त की। केन्द्र सरकार ने इनके आग्रह को मानते हुए इन्हें हरीझंडी दिखा दी। केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय इस संबंध में दो माह पूर्व आदेश भी जारी कर चुका है, लेकिन अभी तक राज्य सरकार ने इन्हें रिलीव नहीं किया है। तर्क दिया जा रहा है कि अब इनका मूड बदल गया है, अब ये मध्यप्रदेश में ही सेवाएं देने के इच्छुक हैं। इन्हीं के आग्रह पर ही राज्य सरकार ने इन्हें रिलीव न करने का निर्णय लिया है।
सोनाली वायंगणकर -
मध्यप्रदेश को छोड़कर महाराष्ट्र राज्य में सेवाएं देना चाहती हैं। इसके लिए पारिवारिक कारण बताते हुए राज्य सरकार से आग्रह कर चुकी हैं। आग्रह किए जाने के दौरान ये शाजापुर कलेक्टर थीं, वहां से बुला लिया गया है, लेकिन इनके मामले में अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है।
ज्ञानेश्वर पाटिल -
श्योपुर कलेक्टर हैं। महाराष्ट्र राज्य में सेवाएं देना चाहते हैं। राज्य सरकार कॉडर बदलने के लिए प्रदेश सरकार को आवेदन दे चुके हैं, लेकिन राज्य सरकार इन्हें मध्यप्रदेश में ही रखना चाहती है। भोपाल जिला पंचायत सीईओ रहते हुए चर्चा में आए। श्योपुर में भी ये सुर्खियों में हैं।

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केन्द्र पर टिका आईएएस यादव का भविष्य


नाफरमान आईएएस अनिल यादव का भविष्य अब केन्द्र सरकार पर टिका है, इन्हें नाफरमानी की सजा मिलना है। राज्य को केन्द्र के आदेश की प्रतीक्षा है।
मध्यप्रदेश कॉडर में 1999 बैच के आईएएस अफसर अनिल यादव 25 जुलाई 2007 से 24 जुलाई 2009 तक के लिए अध्ययन अवकाश पर विदेश गए थे। अवकाश अवधि समाप्त होने के बाद न तो वापस लौटे और न ही इन्होंने कोई सूचना दी। जब ये चार साल तक नहीं लौटे तो सरकार सक्रिय हुई और इनकी तलाश शुरू की गई। प्रदेश सरकार ने इसे नाफरमानी मानते हुए इनके निवास पर पत्र भेजे गए, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं आया। आखिरकार राज्य सरकार गायब हुए अफसर के बारे में केंद्र को सूचना भेजते हुए वस्तुस्थिति से अवगत करा दिया। इस बीच यादव ने राज्य सरकार को एक पत्र लिखा जिसमें यह बताने का प्रयास किया कि वे गायब नहीं हैं बल्कि लौट रहे हैं। राज्य सरकार उनके तर्क से सहमत नहीं है। सरकार को इनके पत्र तो मिल रहे हैं, लेकिन इन्होंने अपनी आमद नहीं दी। अब राज्य सरकार केन्द्र सरकार के मार्गदर्शन का इंतजार कर रही है।
असमंजस में सरकार -
आईएएस यादव ने राज्य सरकार को अपनी अचल सम्पत्ति की जानकारी भी भेजी है, अब सरकार यह नहीं समझ पा रही है कि इसे रिकार्ड में लिया जाए नहीं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि राज्य को अभी केन्द्र की तरफ से कोई स्पष्ट निर्देश नहीं मिले हैं कि इनके मामले में क्या करना है।

6:40 AM - No comments

7 अन्य विधायकों को भी मिलेगी माफी


कांग्रेस के दो विधायकों चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी और कल्पना पारुलेकर की सदस्यता बहाली के लिए बुलाए जा रहे विधानसभा के विशेष सत्र के साथ ही 7 अन्य विधायकों के मामले में गंभीरता से विचार शुरू है। विशेषाधिकार समिति इन विधायकों से अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए नोटिस जारी कर चुकी है। हालांकि अभी तक विधायकों की ओर से कोई जबाव नहीं आया है। विधायकों की ओर से जबाव आने के बाद समिति इनके मामले में फैसला लेगी।
हाल ही में समाप्त हुए मानसून सत्र के दौरान के दौरान भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चर्चा कराए जाने को लेकर सत्ता और विपक्षी दल के सदस्यों में तीखी नोकझोंक हुई। सदन में चर्चा न कराए जाने से नाराज कांग्रेस विधायकों ने 17 तारीख को तो स्पीकर के कक्ष के बाहर धरना दे दिया, जिसके कारण स्पीकर कक्ष से बाहर ही नहीं आ पाए। सदन में भी अजीब स्थिति बनी। कांग्रेस के सदस्य आसंदी के इर्दगिर्द पहुंच गए। इस कारण सदन की कार्यवाही बाधित हुई। गतिरोध के चलते सदन की कार्यवाही स्थगित करना पड़ी। सदन में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के सदस्यों की कार्यप्रणाली पर सत्तारूढ़ दल भाजपा के अनूप मिश्रा, सुदर्शन गुप्ता, तारचंद बाबरिया, शरद जैन एवं अन्य सदस्यों ने विशेषाधिकार भंग की सूचना दी थी।
ये हैं आरोपी विधायक -
स्पीकर ईश्वरदास रोहाणी ने कांग्रेस विधायक लाखन सिंह यादव, राम निवास रावत, पुरुषोत्तम दांगी, विजेन्द्र सिंह मालाहेड़ा, आरिफ अकील, नारायण सिंह प्रजापति, श्रीमती इमरती देवी को विशेषाधिकार भंग का आरोपी मानते हुए मामला विशेषाधिकार समिति को सौंप दिया। मामला कमेटी के विचारार्थ है।

6:39 AM - No comments

नहीं खुल सकी आईएएस राजौरा की फाइल


मध्यप्रदेश कॉडर में 1990 बैच के आईएएस अफसर राजेश राजौरा की फाइल खुलने का रास्ता साफ होने के बाद भी सरकार ऐसा नहीं कर पा रही है। लम्बे समय से निलंबन का बोझ झेल रहे राजौरा भी चाहते हैं कि उनके मामले में सरकार शीघ्र निर्णय ले, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है।
गृह सचिव रहते हुए करीब तीन वर्ष पूर्व आयकर छापे के दौरान इनके यहां आय से अधिक सम्पत्ति और करोड़ों रुपए की अचल सम्पत्ति के दस्तावेज मिलने के बाद से राज्य सरकार ने इन्हें निलंबित कर दिया था।

Friday, July 20, 2012

9:31 PM - No comments

विधानसभा : छोटों पर गाज, बड़े सुरक्षित

विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान मुख्य विपक्षी दल कांगे्रस द्वारा किए गए हंगामे और उनके आसंदी तक पहुंच जाने के मामले में विधानसभा सचिवालय ने इसे सुरक्षा में चूक माना है। इसके लिए सुरक्षा से जुड़े चार लोगों को निलंबित करते हुए पांच से स्पष्टीकरण मांगा गया है। सचिवालय की इस कार्रवाई से असंतोष भी दिखने लगा है। इसका प्रमुख कारण छोटों पर गाज और बड़ों पर आंच न आना माना जा रहा है।
मामला 17 जुलाई की घटना से जुड़ा है। इस दौरान मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के सदस्य स्पीकर के कक्ष के बाहर धरने पर बैठ गए, इस कारण न तो स्पीकर सदन में पहुंच सके और न ही राजदण्ड सदन में ले जाया गया। सदन की बात की जाए तो यहां कांग्रेसी विधायक सभापति की आसंदी के पास जा पहुंचे। हालांकि इस घटना के बाद कांग्रेस के दो विधायकों चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी और कल्पना पारुलेकर की सदस्यता समाप्त की जाकर आधा दर्जन विधायकों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला बना है। अब सभी की नजर यहां की सुरक्षा पर थी, कि मार्शलों के होते हुए आसंदी तक विधायक कैसे पहुंच गए।
11 लोग आए लपेटे में -
सहायक संचालक सुरक्षा सतीश कुमार पाण्डे, मार्शल कमलेश सिंह, सहायक मार्शल शिवाकांत दुबे, सुरक्षा गार्ड सुरेश मिश्रा को कर्त्तव्य में लापरवाही के कारण निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा वाचस्पति मिश्रा मार्शल, सहित सहायक मार्शलों में प्रदीप पाण्डे, विश्वनाथ चर्मकार, अरविन्द शर्मा, नारायण गौतम, रावेन्द्र पाण्डे और वंदना अंवाडकर सुरक्षा गार्ड को कारण बताओ नोटिस दिया गया है।
जिम्मेदारी तय नहीं -
सचिवालय ने चार को निलंबित किए जाने के साथ सात लोगों से स्पष्टीकरण तो मांगा है, लेकिन अभी तक अन्य वरिष्ठों की जिम्मेदारी तय नहीं की है। मालूम हो अरविन्द रघुवंशी सुरक्षा संचालक हैं, जेके शर्मा उप संचालक सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। सतीश भार्गव चीफ मार्शल हैं।
अधिकारी बोले -
प्रारंभिक तौर पर जिनकी गलती नजर आई, उन पर कार्यवाही की गई है। मामले की जांच की जाएगी, यदि इसमें अन्य लोगों की लारपवाही सामने आएगी तो उनके खिलाफ भी कार्यवाही होगी।
राजकुमार पाण्डे, प्रमुख सचिव विधानसभा

9:30 PM - No comments

स्पीकर रोहाणी सेफ ...!

विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी के प्रति अविश्वास प्रकट करते हुए विपक्षी सदस्यों ने भले ही सचिवालय को अविश्वास प्रस्ताव दिया हो, लेकिन स्पीकर के लिए यह राहत की बात है कि वे पूरी तरह सुरक्षित (सेफ) हैं।
राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सदन में सरकार को घेरने की हरसंभव कोशिश की। ये भ्रष्टाचार पर चर्चा कराए जाने को अड़े रहे। मानसून सत्र के पहले दिन यानी 16 जुलाई को जब मांग नहीं मानी गई तो 17 जुलाई को तो विपक्षी दल के सदस्यों ने स्पीकर के कक्ष के सामने धरना दे दिया। मुख्य विपक्षी दल ने स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रकट करते हुए विधानसभा के प्रमुख सचिव को अविश्वास प्रस्ताव भी दिया। चूंकि अविश्वास प्रस्ताव स्पीकर के खिलाफ है, इसलिए सचिवालय अभी भी माथापच्ची में जुटा है। नियमों को खंगाला जा रहा है, विधानसभा कार्यसंचालन नियमों को देखकर तो यही कहा जा रहा है कि स्पीकर रोहाणी की कुर्सी सुरक्षित है। हालांकि अविश्वास प्रस्ताव अभी अमान्य नहीं किया गया है, सचिवालय कभी भी यह फाइल बंद कर सकता है।
यह है नियम -
विधानसभा कार्यसंचालन नियम के तहत विधानसभा अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की सूचना 14 दिन पूर्व देना अनिवार्य है। यह भी देखना जरूरी है कि सूचना देने के बाद कार्रवाई के लिए 14 दिन शेष हैं या नहीं। स्पीकर के लिए यही नियम राहत का है क्योंकि मानसून सत्र मात्र 12 दिन का था, और इसमें 10 बैठकें होना थीं। सत्र की एक बैठक हो चुकी थी। यानी 14 दिन का समय ही नहीं था। सदन की कार्रवाई भी समय से पहले स्थगित हो गई। सचिवालय के एक जिम्मेदारी अधिकारी बताते हैं कि ऐसी परिस्थिति में अविश्वास प्रस्ताव स्वयं ही अमान्य हो जाएगा।
10 फीसदी सदस्यों की सहमति जरूरी -
विधानसभा अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को मान्य किए जाने के मामले में सदन में मौजूद 10 फीसदी सदस्यों की सहमति जरूरी है। यानी 230 सदस्यों वाली विधानसभा के यदि 23 सदस्य सदन में अविश्वास के पक्ष में अपना वोट देते हैं तो प्रस्ताव मान्य हो जाता है, यानी जिसके खिलाफ प्रस्ताव लाया जाता है उसे कुर्सी छोड़ना होगी।

9:29 PM - No comments

निलंबित आईएएस कटेला बहाल

महिला से दुष्कृत्य किए जाने के आरोप में पांच साल से निलंबित चल रहे आईएएस अफसर वीके कटेला को राज्य सरकार ने बहाल कर दिया है। इन्हें संस्कृति विभाग का अपर सचिव पदस्थ किया गया है।
मामला 19 मार्च 1999 का है जब ये बिलासपुर जिला पंचायत में सीईओ थे। उस दौरान उनके अधीनस्थ आदिम जाति कल्याण विभाग की एक अधीक्षिका ने इनके ऊपर ज्यादती का आरोप लगाते हुए एक नवम्बर 2000 को अनुसूचित कल्याण थाने में ज्यादती की रिपोर्ट दर्ज कराई। न्यायालय में चालान पेश हुआ और गिरफ्तारी भी हुई। मामले की गंभीरता को देखते हुए इधर मध्यप्रदेश सरकार ने 15 अप्रेल 2007 में इन्हें निलंबित करते हुए विभागीय जांच भी शुरू कर दी। आरोप सिद्ध न होने के कारण हाईकोर्ट ने बरी कर दिया था। हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि कटेला का निलंबन भी समाप्त हो जाएगा। 15 जुलाई को इनकी निलंबन अवधि समाप्त हो रही थी। अब सरकार ने भी इनको बहाल कर दिया है।
मंत्रालय में इनकी बदली जिम्मेदारी -
राज्य सरकार ने मंत्रालय स्तर पर एक दर्जन अफसरों की जिम्मेदारी भी बदली है। केदार शर्मा को अपर सचिव कृषि, विवेक जैन को अपर सचिव वाणिज्यिक कर, यूके सुबुद्धि को अपर सचिव वित्त, मूलचंद वर्मा को उप सचिव गृह, अजय शर्मा को उप सचिव गृह, अभय वर्मा को उप सचिव सामाजिक न्याय, अमर सिंह चंदेल को उप सचिव जीएडी, उषा परमार को उप सचिव जीएडी, संजीव श्रीवास्तव उप सचिव श्रम, एसएल अहिरवार को उप सचिव आवास एवं पर्यावरण पदस्थ किया गया है।

9:27 PM - No comments

दो घण्टे में निपट गई 10 दिवसीय बैठक

विधानसभा के 12 दिवसीय सत्र में कुल 10 बैठकें होना थीं, लेकिन सदन में सत्तापक्ष और विपक्षी दल के सदस्यों में तीखी तकरार, लगातार व्यवधान के चलते सदन की बैठकें तीन दिन में ही स्थगित कर दी गर्इं। तीन दिन भी सदन की कार्रवाई पूरे दिन नहीं चल सकी। विधानसभा सचिवालय द्वारा तैयार किए गए रिकार्ड पर नजर डाली जाए तो पहले दिन यानी 16 जुलाई को सदन की बैठक मात्र 32 मिनट की चल सकी। अगले दिन यानी 17 जुलाई को कार्रवाई शुरू होते ही हंगामा शुरू हो गया। विपक्षी दल के सदस्यों ने स्पीकर के चेम्बर के बाहर धरना दे दिया। इस कारण स्पीकर चेम्बर के बाहर ही नहीं सके। हालांकि सभापति आसंदी पर मौजूद रहे। उन्होंने सदन का संचालन किया। इस दिन एक घण्टे तक कार्रवाई चली। 18 जुलाई को भी सदन की कार्रवाई हंगामे की भेंट चढ़ गई। इस दिन मात्र 33 मिनट ही कार्रवाई चल सकी।

9:26 PM - No comments

3 साल में 190 करोड़ की काली कमाई जब्त

तीन साल में भ्रष्टाचारियों के खिलाफ की गई छापे की कार्यवाही के दौरान 190 करोड़ रुपए से अधिक की काली कमाई जब्त की गई। विधायक तुलसी सिलावल के सवाल पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा में लिखित उत्तर में बताया कि लोकायुक्त संगठन द्वारा कुल 102 पंजीबद्ध प्रकरणों के अंतर्गत अधिकारी, कर्मचारियों के विरुद्ध छापे की कार्यवाही की गई। छापे की कार्यवाही में 190 करोड़ 51 लाख 45 हजार 152 रुपए जब्त किए गए। 6 प्रकरणों में न्यायालय में चालान पेश किया गया। 96 प्रकरण वर्तमान में जांच में लंबित हैं।

9:26 PM - No comments

पदोन्नति में जारी रहेगा आरक्षण

प्रदेश में पदोन्नति में आरक्षण को लेकर मचे बवाल के बीच राज्य सरकार ने यह स्पष्ट किया है आरक्षण जारी रहेगा। राज्य सरकार ने लोक सेवा आयोग को भी ऐसी ही जानकारी भेजी है। जिसमें आरक्षण जारी रखने की बात कही गई है।
भाजपा विधायक दीपक जोशी और ध्रुव नारायण सिंह को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिए विधानसभा में लिखित उत्तर में बताया कि सर्वोच्च न्यायालय की पीठ द्वारा अनेक राज्यों की याचिकाओं को एकजाई कर एम नागराज प्रकरण में 19 अक्टूबर 2006 को निर्णय पारित करते हुए निर्देश दिए हैं कि संबंधित राज्य को पदोन्नति में आरक्षण का प्रावधान करने से पूर्व पिछड़ापन, प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता, समग्र प्रशासनिक दक्षता प्रदर्शित होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने बताया किआदिम जाति तथा अनुसंधान विकास संस्थान द्वारा अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों का सामाजिक आर्थिक, शैक्षणिक एवं प्रशासनिक पिछड़ापन की रिपोर्ट तैयार की गई। उन्होंने स्वीकार किया कि पदोन्नति में आरक्षण को समाप्त किए जाने के मामले में विभिन्न संगठनों के मांग पत्र भी प्राप्त हुए हैं। इस विषय पर महाधिवक्ता की राय ली गई, महाधिवक्ता द्वारा दिए गए अभिमत के अनुसार लोक सेवा आयोग को पदोन्नति में आरक्षण जारी रखने को कहा गया। आयोग को यह पत्र 26 जून 2012 को लिखा गया है।

Saturday, July 14, 2012

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अरुणा के लिए अवकाश के दिन डीपीसी

 आईएएस एसोसिएशन की अध्यक्ष अरुणा शर्मा को प्रमोशन देने के लिए शनिवार अवकाश के दिन विभागीय प्रमोशन कमेटी (डीपीसी) की बैठक बुलाई गई। मालूम हो 1982 बैच के आईएएस अफसरों को एसीएस पद पर प्रमोशन मिलना है। इस बैच में श्रीमती शर्मा का नाम टॉप में है। डीपीसी पूरे बैच के लिए है, जैसे-जैसे पद रिक्त होते जाएंगे, वैसे-वैसे अफसरों का ओहदा बढ़ता जाएगा।
प्रदेश में एसीएस स्तर के अफसरों के दो पद रिक्त थे, हाल ही में स्नेहलता कुमार के केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटने के बाद एसीएस स्तर का एक पद रह गया है। चूंकि अरुणा शर्मा अपने बैच की सबसे सीनियर अफसर हैं, इसलिए इनको एसीएस पद पर प्रमोशन मिलना तय है।

10:32 PM - No comments

उत्तराखण्ड के लाटसाब को पुराने भोपाल की चिंता

उत्तराखंड के राज्यपाल अजीज कुरैशी को पुराने भोपाल के विकास की चिंता सता रही है। लाट साहब की कुर्सी संभालने के बाद पहली बार भोपाल आए कुरैशी ने यहां मीडिया से चर्चा में कहा कि राज्य की शिवराज सिंह चौहान सरकार पुराने भोपाल के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। उन्होंने यह जरूर कहा कि उत्तराखण्ड घूमने आने वाले मध्यप्रदेश के लोगों का स्वागत वहां की सरकार करेगी।
सेंट्रल प्रेस क्लब द्वारा आयोजित प्रेस से मिलिए कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल कुरैशी ने कहा कि राज्य के चारों धाम (बद्रीनाथ, केदानाथ, यमोत्री, गंगोत्री) पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं को हर संभव प्रयास किया जाएगा। प्रयास होगा कि चारों धाम के लिए प्राधिकरण गठित हो। वे बताते हैं कि उन्होंने अभी बद्रीनाथ की यात्रा की है, अन्य तीर्थों में भी जाएंगे। क्या राज्यपाल रबर स्टाम्प की तरह काम करने के सवाल पर उन्होंने यही कहा राज्यपाल के पास असीम शक्तियां हैं, पद की गरिमा को ध्यान में रखकर काम करना चाहिए। राज्यपाल पद की जिम्मेदारी के बाद क्या फिर से सक्रिय राजनीति में आएंगे, इस पर कुरैशी ने यही कहा कि राज्यपाल का कार्यकाल तो पूरा कर लेने दो।

10:31 PM - No comments

नौकरशाहों का चुनावी वर्ष में प्रदेश से तौबा


 प्रदेश में अगले वर्ष विधानसभा के आम चुनाव होना है ऐसे में केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ अफसरों ने प्रदेश से तौबा करना शुरू कर दिया है। वे चुनाव तक मध्यप्रदेश नहीं लौटना चाहते।

प्रदेश के ऐसे आईएएस अफसरों की संख्या अच्छी खासी है जो प्रतिनियुक्ति पर गए तो प्रदेश लौटे ही नहीं, बल्कि समय-समय पर वे अपना कार्यकाल बढ़वाने में सफल रहे। अब इनमें अमर सिंह का नाम भी जुड़ गया है। मध्यप्रदेश कॉडर में 1981 बैच के आईएएस अफसर अमर सिंह वर्ष 2004 में केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए थे। कांग्रेस सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पसंदीदा अफसरों में शुमार अमर सिंह ने प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने की तैयारी कर ली थी। इन्हें सफलता मिली 7 अक्टूबर 2004 को। इस तिथि को वे केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए। तभी से ये प्रतिनियुक्ति पर ही हैं। हालांकि इनकी प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त होने पर इनकी प्रदेश वापसी की अटकलें शुरू हो गर्इं थीं, लेकिन ये वापस नहीं लौटे। बताया जाता है कि केन्द्र सरकार ने इनकी प्रतिनियुक्ति अवधि बढ़ा दी है। अब ये अपना कार्यकाल पूरा होने या फिर सेवानिवृत्ति तक केन्द्र सरकार में सेवाएं दे सकते हैं। मालूम हो इनका कार्यकाल मई 2013 तक है।
इसी प्रकार वरिष्ठ अधिकारी पद्मवीर सिंह ने भी अपनी प्रतिनियुक्ति अवधि बढ़वाने में सफलता हासिल की। मध्यप्रदेश कॉडर में 1977 बैच के आईएएस अधिकारी सिंह लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी मसूरी में महानिदेशक हैं। इनकी प्रतिनियुक्ति अवधि एक जून 2012 से फरवरी 2014 तक के लिए बढ़ी है। इसी तिथि में ये सेवानिवृत्त भी हो जाएंगे। यहां यह बताना जरूरी है कि अवनि वैश्य के सेवानिवृत्त होने के पहले जब प्रदेश में नए चीफ सेके्रटरी की तलाश चल रही थी तब इनके नाम पर भी गंभीरता से विचार हुआ था, लेकिन बात नहीं बनी।
लम्बे समय बाद केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस लौटीं अमिता शर्मा ने चंद दिनों मध्यप्रदेश में सेवाएं दीं और दिल्ली के मध्यप्रदेश भवन में अपनी पोस्टिंग करवाने में सफलता हासिल की। अब इन्होंने फिर से केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने की तैयारी कर ली है। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय में एडीशन सेके्रटरी की जिम्मेदारी मिलने जा रही है। इस संबंध में प्रदेश सरकार की हरीझंडी मिलना शेष है। यहां से रिलीव होते ही ये नई जिम्मेदारी संभाल लेंगीं।

विजय श्रीवास्तव भी जाने को तैयार -
सामान्य प्रशासन विभाग (कार्मिक) की प्रमुख सचिव विजया श्रीवास्तव भी प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली जाने की तैयारी में हैं। राज्य सरकार ने हरीझंडी दिखा दी है। अब इन्हें केन्द्र सरकार से पदस्थापना आदेश का इंतजार है।

8 माह में ही मोह भंग -
लम्बे समय तक केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहे वरिष्ठ आईएएस अफसर रामानुजम की प्रदेश में वापसी होते ही राज्य सरकार ने इन्हें खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति जैसे महत्वपूर्ण विभाग की कमान सौंपी। अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर के अफसर रामानुजम का 8 माह में प्रदेश से मोह भंग हो गया और इन्होंने केन्द्र की राह पकड़ ली। 1979 बैच के आईएएस अफसर रामानुजम प्रधानमंत्री कार्यालय में सेवाएं दे रहे हैं। हालांकि इसके पहले भी वे प्रधानमंत्री कार्यालय में सेवाएं दे चुके हैं, उनके पुराने अनुभवों को देखते हुए उन्हें दोबारा पीएमओ में जिम्मेदारी मिली।

10:30 PM - No comments

‘गीता’ पर अड़े एमपी, सीजी

 आईएएस अफसर एम गीता को लेकर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकारें अड़ी हैं। छत्तीसगढ़ कॉडर कीं ये आईएएस अफसर लम्बे समय से मध्यप्रदेश में सेवाएं दे रहीं है, जबकि छत्तीसगढ़ सरकार लगातार अपने अफसर को वापस मांग रही है, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार उसे वापस भेजने के मूड में नहीं है। अब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर अपने अफसर को वापस मांगा है।
महिला आईएएस अधिकारी एम गीता का विवाद नया नहीं है। मध्यप्रदेश के विभाजन और छत्तीसगढ़ गठन के बाद इन्होंने स्वेच्छा से छत्तीसगढ़ कॉडर मांगा और इन्हें छत्तीसगढ़ राज्य आवंटित कर दिया गया। इन्होंने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए छत्तीसगढ़ राज्य में ज्वानिंग के लिए समय मांगा, इस बीच ये मध्यप्रदेश में सेवाएं देती रहीं। जब लम्बे समय तक ये छत्तीसगढ़ नहीं पहुंची तो छत्तीसगढ़ सरकार ने मध्यप्रदेश सरकार को पत्र लिखकर अपने अफसर की सेवाएं वापस मांगी, लेकिन एम गीता ने छत्तीसगढ़ जाने का इरादा त्यागकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। यहां इनकी याचिका खारिज हो चुकी है। छत्तीसगढ़ सरकार लगातार अपने अफसर की सेवाएं वापस मांग रही है, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार कोर्ट का हवाला देते हुए उन्हें वापस भेजने को तैयार नहीं है।
विधानसभा में हुई गूंज -
उज्जैन कलेक्टर एम गीता को वापस न जाने की गूंज मध्यप्रदेश विधानसभा में भी हो चुकी है। बीते बजट सत्र के दौरान विधायक पुरुषोत्तम दांगी ने यह सवाल उठाया था। इस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लिखित उत्तर में स्वीकार किया था कि एम गीता को छत्तीसगढ़ कॉडर आवंटित है, लेकिन अभी ये मध्यप्रदेश में सेवाएं दे रहीं है। इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया कि कॉडर आवंटन का मामले पर कोर्ट ने स्थगन दिया है।
अब सीएम को पत्र -
1997 बैच की आईएएस अफसर एम गीता के मामले में अभी तक दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों के बीच पत्र व्यवहार चल रहा था। छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव दो बार मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिख चुके हैं, लेकिन उन्हें वही पुराना जवाब मिलता रहा। अब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने अपने प्रदेश में आईएएस अफसरों की कमी का हवाला देते हुए कहा है कि प्रदेश में वैसे ही आईएएस अफसरों की कमी है, ऐसे में हमारे अफसर की सेवाएं वापस की जाएं। चूंकि एम गीता वरिष्ठ आईएएस हैं, इसलिए इनके अनुभव का लाभ राज्य को मिलेगा। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के पत्र के बाद से सचिवालय में हलचल तो मची है, लेकिन इस बार भी सरकार इन्हें वापस भेजने के मूड में नहीं है।

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नाकारा नहीं है प्रदेश के नौकरशाह


नाकारा अफसरों की छुट्टी किए जाने संबंधी केन्द्र सरकार के फरमान से देश के नौकरशाहों में भले ही खलबली मची हो, लेकिन मध्यप्रदेश के नौकरशाहों को टेंशन लेने की जरूरत नहीं है क्योंकि सरकार ने यहां के किसी भी नौकरशाह को नाकारा नहीं मानती। सभी का काम-काज बेहतर है।

मामला अफसरों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) से जुड़ा है। केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय ने मध्यप्रदेश सहित सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को भेजे परिपत्र में कहा है कि 15 साल का कार्यकाल पूरा कर चुके अखिल भारतीय सेवा के अफसरों के काम-काज की समीक्षा की जाए। समीक्षा के दौरान जो अफसर नाकारा हों, उन्हें सेवानिवृत्त किया जाए। कार्मिक मंत्रालय की नाराजगी इस बात को लेकर ज्यादा है कि वर्षों से अफसरों की एसीआर योग्य और संतोषप्रद है, ऐसे अफसरों के काम-काज की पड़ताल जरूरी है क्योंकि ये स्थिर की श्रेणी आते हैं। इन्हें नाकारा मानते हुए नौकरी से छुट्टी किया जाना ही बेहतर है। कार्मिक मंत्रालय का सर्कुलर मध्यप्रदेश सरकार को भी मिल चुका है। इसकी भनक लगते ही अफसरों के खेमे में हलचल मची है। इनकी रूचि अब अपनी-अपनी एसीआर को जानने में अधिक है।
सभी की एसीआर तैयार -
सूबे में आईएएस अफसरों की एसीआर का काम लगभग पूरा हो चुका है। मंत्रालय को प्राप्त हुई एसीआर में ज्यादातर के काम-काज को बेहतर माना गया है। इसमें आउट स्टेंडिंग और गुड-वैरीगुड वालों की संख्या अधिक है। औसत एसीआर वालों की संख्या नगण्य है।
दागियों की खासी संख्या -
ऐसा नहीं है प्रदेश में सभी आईएएस अफसर बेतहर है। दागियों की संख्या 30 से अधिक है। इसमें कुछ के खिलाफ लोकायुक्त संगठन जांच कर रहा है तो कुछ के मामले ईओडब्ल्यू में चल रहे हैं। विभागीय जांच के घेरे में भी कई अफसर फंसे हैं। मनरेगा में फंसे कई अफसरों के बारे में कार्यवाही किए जाने के मामले में तो संबंधित विभाग सरकार को लिख चुका है इसके बाद भी संबंधितों पर कार्यवाही नहीं हो रही है। आश्यर्य यह है कि सभी अफसरों के काम-काज को बेहतर माना गया है।
इनके खिलाफ नजरें टेढ़ी -
सूबे के चार आईएएस अफसर ऐसे हैं जिनके मामले में राज्य सरकार ने नजरें टेढ़ी की हैं। इनमें वरिष्ठ आईएएस अफसर अरविन्द जोशी, टीनू जोशी को तो बर्खास्त किए जाने की सिफारिश की जा चुकी है। अनुशासनहीनता के दायरे में आए अनिल यादव के बारे में केन्द्र से मार्गदर्शन मांगा गया है, जबकि दुष्कृष्य मामले में फंसे वीके कटेला के खिलाफ जांच चल रही है।

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अपनों से ही बचती नजर आएगी सरकार


16 जुलाई से शुरू हो रहा विधानसभा सत्र बहुत हंगामा भरा होने के आसार हैं। विपक्षी दल ने तो सरकार को सदन में घेरने की तैयारी कर ली है, वहीं सत्ता पक्ष के विधायक भी पीछे नहीं हैं। उन्होंने गेंहू खरीदी, भ्रष्टाचार, सरकारी धन का दुरुपयोग, कानून व्यवस्था जैसे तीखे सवाल पूछे हैं। अब सरकार बचाव की मुद्रा में है।
विधानसभा का मानसून सत्र वैसे तो छोटा है, 12 दिवसीय सत्र में कुल 10 बैठकें होना है। सत्र की घोषणा के साथ ही विधानसभा सचिवालय में विधायकों के सवाल आना शुरू हो गए। अब सवालों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए राज्य की भाजपा सरकार भी जानती है कि विपक्ष के तेवर तीखे होंगे, सरकार उनका मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। मंत्रियों से कहा गया है कि वे तैयारी के साथ सदन में मौजूद रहें।
गेंहू खरीदी पर अधिक रुचि -
सत्तापक्ष हो या फिर विपक्षी दल के विधायक, सभी ने गेंहू खरीदी से जुड़े सवाल अधिक पूछे हैं। आरोप हैं कि सरकार की लापरवाही के कारण ही किसानों को परेशान होना पड़ा। उनका गेंहू समय पर नहीं खरीदा गया। खुले में पड़ा गेंहू सड़ गया। भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग से जुड़े सवाल भी तीखे हैं। इसके अलावा सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, अवैध उत्खनन से जुड़े सवालों पर भी सरकार को घेरने का प्रयास किया गया है।
नौकरशाह भी निशाने पर -
विधायकों के निशाने पर प्रदेश सरकार के अफसर और नौकरशाह भी निशाने पर हैं। अफसरों के यहां मिल रही आकूत दौलत और सरकार द्वारा कथित तौर पर बचाव संबंधी सवाल भी विधायकों ने पूछे हैं।
एक-एक विभाग के लिए दो दिन -
विधायकों को सवाल पूछने और मंत्रियों को जवाब देने के लिए दो दिन का निर्धारित किए गए हैं।

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5 की कलेक्टरी सुरक्षित, 6 को नई जिम्मेदारी

 आईएएस अफसरों की बहुप्रतिक्षित तबादला सूची कल शाम होते-होते जारी कर दी गई। हालांकि यह प्रशासनिक सर्जरी आधी अधूरी है। इस सर्जरी में पांच आईएएस अफसरों की कलेक्टरी सुरक्षित रही जबकि छह अफसरों को नई जिम्मेदारी दी गई है। पांच अफसरों को पहली बार कलेक्टरी का मौका मिला है।
ई-गवर्नेंस में बेहतर काम करने वाले खण्डवा कलेक्टर कवीन्द्र कियावत को अब मुख्यमंत्री के गृह जिले सीहोर की जिम्मेदारी मिली है। इसे महज संयोग ही कहा जाएगा कि तबादले के बाद इन्हें राजधानी भोपाल में आयोजित एक गरिमामय कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने पुरस्कृत भी किया। ग्वालियर में कलेक्टर के रूप में बेहतर काम करने वाले आकाश त्रिपाठी अभी मुख्यमंत्री सचिवालय में जिम्मेदारी संभाल रहे थे, अब इन्हें इंदौर जिले की कमान सौंपी गई है। राघवेन्द्र सिंह को इंदौर श्रेष्ठ काम करने के लिए पर्यटन विकास निगम की कमान दिए जाने को तोहफा के तौर पर देखा जा रहा है। इन्हें यह जिम्मेदारी मिलना पहले से ही तय थी। कृषि विभाग के एडीशनल सेके्रटरी संतोष मिश्रा को शिक्षा मण्डल सचिव पदस्थ किए जाने का निर्णय लोगों की समझ से परे है, क्योंकि ये 12 वर्ष पहले भी यहां सचिव रह चुके हैं। यहां के सचिव केदारलाल शर्मा को हटाए जाने के पीछे शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनीस के साथ पटरी न बैठ पाना माना जा रहा है।
प्रमोटी अफसरों पर भरोसा -
सरकार ने इस बार प्रमोटी अफसरों पर अधिक भरोसा जताया है। कवीन्द्र कियावत, एम के अग्रवाल, नीरज दुबे, सीबी सिंह, बीएम शर्मा, अशोक भार्गव ऐसे आईएएस अफसर जिनकी कलेक्टरी सुरक्षित है, यह बात अलग है इन्हें अन्य जिलों की कमान सौंपी गई है। जबकि आनंद कुमार शर्मा, सुरेन्द्र उपाध्याय, राजीव दुबे को पहली बार कलेक्टरी का मौका मिला है। ये सभी प्रमोटी आईएएस अफसर हैं। नागर गोजे मदान विभीषण और भोंडवे संकेत शांताराम को भी पहली बार कलेक्टरी मिली है। नागर को डिण्डोरी और भोंटवे को अशोकनगर की कमान मिली है।

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IAS कटेला के भाग्य का फैसला इसी हफ्ते

 लम्बे समय से निलंबित चल रहे आईएएस विनोद कटेला के भाग्य का फैसला इसी सप्ताह हो जाएगा। ये एक महिला कर्मचारी से ज्यादती के आरोप में मई 2007 से निलंबित हैं। न्यायालय में आरोप सिद्ध नहीं हो पाने के कारण इन्हें बरी किया जा चुका है।
विनोद कटेला की निलंबन अवधि 15 जुलाई तक है, अब सरकार को तय करना है कि इनकी निलंबन अवधि बढ़ाई जाए या फिर इन्हें बहाल किया जाए। कोर्ट द्वारा इन्हें बरी किए जाने के आधार पर इनको बहाल किए जाने की संभावना अधिक है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इन्हें जिस मामले में निलंबित किया गया था, उसी आरोप से ये बरी हो चुके हैं। इनके मामले में तय कमेटी की बैठक जल्द ही होने वाली है, इसी कमेटी के समक्ष इनकी बहाली के संबंध में भी निर्णय भी होगा। मामला 19 मार्च 1999 का है जब जब ये बिलासपुर जिला पंचायत में सीईओ थे। उस दौरान उनके अधीनस्थ आदिम जाति कल्याण विभाग की एक अधीक्षिका ने इनके ऊपर ज्यादती का आरोप लगाया था। महिला ने घटना के एक नवम्बर 2000 को अनुसूचित कल्याण थाने में ज्यादती की रिपोर्ट दर्ज कराई। इसी मामले में न्यायालय में इनके खिलाफ चालान पेश किया गया और गिरफ्तारी भी हुई। इधर मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2007 में इन्हें निलंबित करते हुए विभागीय जांच भी शुरू कर दी। विभागीय जांच अभी भी जारी है।
गिरफ्तारी के तरीके पर आपत्ति -
आईएएस अफसर कटेला भले ही के आरोपी रहे हों, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा उस दौरान उन्हें गिरफ्तार किए जाने के तरीके पर सख्त आपत्ति की थी। कटेला वर्ष 2003 में जबलपुर से गिरफ्तार किए गए थे, उस दौरान ये जबलपुर में एडीशनल कमिश्नर हुआ करते थे। छत्तीसगढ़ पुलिस जबलपुर आई और कटेला को अपने साथ ले गई, मध्यप्रदेश सरकार को इसकी भनक तब लगी पुलिस उन्हें यहां से उठा ले गई। इस पर मध्यप्रदेश सरकार ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए आपत्ति की थी कि छत्तीसगढ़ पुलिस को मध्यप्रदेश आने के पहले सूचना देना चाहिए थी। हालांकि मामले की गंभीरता को देखते हुए 14 मई 2007 को मध्यप्रदेश सरकार ने कटेला को निलंबित कर दिया था।

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सामंतरे पर भारी पड़ी नाफरमानी


वरिष्ठ आईएएस अफसर दिलीप सामंतरे पर राज्य सरकार के आदेश का पालन न करना भारी पड़ गया। इस नाफरमानी पर सरकार ने उसने सामान्य प्रशासन विभाग की जिम्मेदारी वापस लेते हुए बिना विभाग का अफसर बना दिया। कल सुबह जारी आदेश को देर शाम तक गोपनीय रखा गया। भ्रम फैलने पर इसे सार्वजनिक किया गया।
मामला यूनियन कार्बाइड परिसर में फैले जहरीले कचरे को जर्मनी से जुड़ा है। इस जहरीले कचरे को जर्मनी में नष्ट किया जाना है। इसके पहले राज्य सरकार की ओर से जर्मनी कंपनी से करारनामा किया जाएगा। करारनामा तैयार करने के लिए राज्य सरकार ने सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव सामंतरे की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया। सामंतरे इस जिम्मेदारी के लिए तैयार नहीं थे। घटनाक्रम दो दिन तेजी से बदलता रहा। बताया जाता है कि परसों सामंतरे ने आदेश नहीं लिया तो शाम को यह यह चर्चा रही कि उनके निवास पर जाकर आदेश की तामीली कराई जाए, लेकिन आदेश की तामीली नहीं हो सकी। मुख्य सचिव ने इसे गंभीरता से लिया। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री को दी गई। अगले दिन सुबह मंत्रालय का काम-काज प्रारंभ होते ही सामंतरे से विभाग की जिम्मेदारी वापस लेने के आदेश दिए। इसी के साथ ही संसदीय कार्य तथा जन शिकायत निवारण विभाग के प्रमुख सचिव सुदेश कुमार को सामान्य प्रशासन विभाग का अतिरिक्त प्रभार सौंपने के आदेश दिए गए। मुख्य सचिव के हस्ताक्षर से आनन-फानन में आदेश जारी का पालन हुआ। सामंतरे विभाग के विभाग के अफसर बना दिए गए। इस आदेश को इतना अधिक गोपनीय रखा कि किसी को इसकी कानों कान खबर नहीं हुई। दोपहर होते-होते मंत्रालय में इसकी सुगबुगाहट शुरू हो गई, लेकिन आदेश के प्रति सिर्फ संबंधितों को ही उपलब्ध कराई गई। शाम होते-होते आदेश को लेकर भ्रम फैलने लगा तो देर शाम सरकार ने आदेश सार्वजनिक किया। सुदेश कुमार ने भी विभाग की अतिरिक्त जिम्मेदारी संभालते हुए गैस राहत विभाग के अफसरों के साथ औपचारिक चर्चा की। आज सुबह मुख्य सचिव ने भी पूरे मामले की जानकारी ली।

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दागी नौकरशाहों को माफी ...!


मनरेगा के दागी दो नौकरशाहों सुखवीर सिंह और चंद्रशेखर बोरकर को अब राज्य सरकार माफ करने की तैयारी में है। तर्क दिया जा रहा है कि युवा अफसरों से जोश में गलती होना स्वभाविक है, गलती जानबूझकर नहीं हुई।
मामला वर्षों पुराना है, जब सुखबीर सिंह सीधी जिले के कलेक्टर थे और चंद्रशेखर बोरकर उसी जिले के सीईओ थे। आरोप हैं कि इन्होंने वहां जैट्रोफा के पौधों को ढाई करोड़ के इंजेक्शन लगवा दिए। तर्क दिया गया कि इन हार्मोन के इंजेक्शन से पौधे तेजी से बढ़ने लगेंगे। आरोप यह भी रहा कि इन्होंने जेट्रोफा बीज की सप्लाई, पौधों की खाद, कीटनाशक दवाओं और ग्रोथ हार्मोस के छिड़काव का काम एकमात्र फर्म ओम सांई बायोटेक, रीवा से कराया और भुगतान स्व-सहायता समूहों से करवाया। जबकि कंपनी के पास न तो टिन नंबर है और न ही रासायनिक दवा बेचने का पंजीयन। मामले की जांच में प्रथम दृष्टया में इन दोनों अफसरों को दोषी पाया गया। इसके बाद भी इन पर कार्यवाही नहीं हुई। चूंकि मामला पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से जुड़ा है, इसलिए विभाग सरकार को लगातार कहता रहा कि दोषी अफसरों पर कार्यवाही की जाए, लेकिन इन पर कार्यवाही तो दूर इन्हें लगातार बेहतर पोस्टिंग मिलती रही। बोरकर तो वर्ष 2002 से लगातार कलेक्टरी कर रहे हैं। सुखवीर सिंह की भी कुछ ऐसी ही स्थिति रही है।
सदन में हुई गूंज -
पौधों को हार्मोन के इंजेक्शन लगाए जाने की गूंज पिछले मानसून सत्र में भी हुई। दोषी अफसरों को बचाए जाने का आरोप लगाते हुए विपक्षी दल के सदस्यों ने सरकार को घेरने का प्रयास किया। उस दौरान पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने सदन को जानकारी दी थी कि अफसर जांच में दोषी पाए गए हैं, कार्यवाही करने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को लिखा गया है। तभी से यह फाइल मंत्रालय में धूल खा रही थी।
प्रभावी अफसर हैं -
ये दोनों युवा आईएएस अफसर नौकरशाहों में काफी प्रभावी माने जाते हैं। सुखवीर सिंह भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के रिश्तेदार हैं, जबकि बोरकर सेवानिवृत्त आईएएस अफसर के दामाद हैं।

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नहीं खुल सकी आईएएस राजौरा की फाइल


मध्यप्रदेश कॉडर में 1990 बैच के आईएएस अफसर राजेश राजौरा की फाइल खुलने का रास्ता साफ होने के बाद भी सरकार ऐसा नहीं कर पा रही है। लम्बे समय से निलंबन का बोझ झेल रहे राजौरा भी चाहते हैं कि उनके मामले में सरकार शीघ्र निर्णय ले, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है।
गृह सचिव रहते हुए करीब तीन वर्ष पूर्व आयकर छापे के दौरान इनके यहां आय से अधिक सम्पत्ति और करोड़ों रुपए की अचल सम्पत्ति के दस्तावेज मिलने के बाद से राज्य सरकार ने इन्हें निलंबित कर दिया था। आरोप था कि स्वास्थ्य विभाग के सचिव रहते हुए इन्होंने करोड़ों रुपए की दौलत कमाई। छापे की कार्यवाही के बाद आयकर विभाग ने जो रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी उसमें इसका विस्तृत भी दिया। निलंबन के बाद राज्य सरकार ने इनके खिलाफ विभागीय जांच की कार्यवाही भी शुरू की। सेवानिवृत्त मुख्य सचिव श्रीमती निर्मला बुच को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया। विभागीय जांच शुरू होती इसके पहले ही ये सेंट्रल एडमिनिस्टेÑटिव ट्रिव्युनल (कैट) चले गए। कैट में इन्होंने सरकार की कार्यवाही को चुनौती दी। कोर्ट ने सरकार की कार्यवाही पर स्थगन देते हुए इन्हें राहत दी, इससे विभागीय जांच तो शुरू नहीं हो सकी, लेकिन इनकी बहाली नहीं हुई। सूत्रों का कहना है कि 24 फरवरी 2010 से निलंबित चल राजौरा ने बहाली के अनेक प्रयास किए लेकिन इन्हें सफलता नहीं मिल सकी। निलंबित चलने के कारण इनको प्रमोशन इत्यादि के लाभ भी नहीं मिल पा रहे थे, आखिरकार इन्होंने कैट से याचिका वापस ले ली। राज्य सरकार को पिछले माह इसकी सूचना भी मिल चुकी है, यानी सरकार अब विभागीय जांच कराए जाने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन अभी तक जांच शुरू नहीं हो पाई है।
यह करना है सरकार को -
चूंकि राज्य सरकार विभागीय जांच के लिए जांच अधिकारी तो पहले ही नियुक्त कर चुकी है। चूंकि जांच शुरू होने के पहले ही कैट का स्थगन मिल गया था। इसलिए अब सरकार को चाहिए कि वह जांच अधिकारी को पत्र लिखकर विभागीय जांच शुरू करने के लिए कहे, लेकिन डेढ़ माह बाद भी सरकार जांच अधिकारी को पत्र नहीं लिख सकी है।

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मध्यप्रदेश आईएएस में 1974 बैच खत्म


पिछले माह जून में प्रदेश के दो वरिष्ठतम आईएएस अफसरों के सेवानिवृत्त होते ही प्रदेश में 1974 बैच खत्म हो गया। मध्यप्रदेश कॉडर में 1974 बैच में कुल चार आईएएस अफसर शामिल थे। इनमें अलका सिरोही सबसे सीनियर थीं। ये पूर्व में ही सेवानिवृत्त हो चुकीं हैं, जबकि सीनियरिटी में अगले नम्बर पर के एम आचार्य और रंजना चौधरी का नाम था। ये दोनों अफसर भी पिछले माह सेवानिवृत्त हो गए।

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कोठारी की कलेक्टरी सुरक्षित

खरगौन जिले के महेश्वर विधानसभा उप चुनाव में सत्तारूढ़ दल भाजपा को मिली सफलता के बाद नवनीत कोठारी को कलेक्टरी सुरक्षित हो गई है। वहीं चुनाव आयोग के निर्देश पर हटाए गए राजेश्वर प्रसाद गुप्ता को फिर से जिले का एसपी बना दिया गया।
विधानसभा उप चुनाव के दौरान कलेक्टर, एसपी के खिलाफ आयोग में लगातार शिकायतें मिलने के कारण दोनों अफसर आयोग के निशाने पर रहे। आयोग की गाज गिरी एसपी राजेश्वर प्रसाद गुप्ता पर। आयोग ने मतदान के चंद दिनों पूर्व यानी 9 जून को एसपी गुप्ता को हटाते हुए 17वीं वाहिनी भिण्ड की सेनानी रुचिका जैन जिंदल को जिले का एसपी पदस्थ किया गया था। चुनाव खत्म होते ही राज्य सरकार ने गुप्ता को फिर से खरगौन का एसपी पदस्थ कर दिया। साथ ही रुचिका जैन को वापस बुला लिया है। ऐसे में विधानसभा आम चुनाव तक इनके पास जिले की जिम्मेदारी रहना तय है। कलेक्टर नवनीत कोठारी भी कलेक्टर बने रहेंगे।

10:21 PM - No comments

‘दुस्साहसी’ हैं सरकारी महकमे


प्रदेश के 16 नगरीय निकायों में हो चुनावों के चलते आचार संहिता लगी होने के बावजूद सरकारी महकमे मनमानी करने से नहीं चूक रहे हैं। यहां तक कि मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को भी अंधेरे में रखा जा रहा है, आयोग की सख्ती के चलते सरकार को कई निर्णय बदलने पड़े या फिर उनमें रोक लगाना पड़ी। फिर भी दुस्साहस कम नहीं हो रहा है।
नगरीय निकाय चुनाव की घोषणा के साथ आयोग ने स्पष्ट कर दिया था कि चुनाव कार्य में लगे अधिकारी-कर्मचारियों का तबादला न किया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। सरकार ने एक के बाद एक तबादले करना शुरू कर दिए। आईएएस और आईपीएस अफसरों का लम्बे समय से चल रहा तबादला मंथन का परिणाम आचार संहिता के दौरान  ही उजागर हुआ। अफसरों के थोक में तबादले हुए। उन जिलों और संभागों के अफसर भी प्रभावित हुए जहां चुनाव आचार संहिता प्रभावी है। राज्य निर्वाचन आयोग ने इसे गंभीरता से लेते हुए उनके तबादलों पर रोक लगा दी। सरकार को अपना निर्णय बदलना पड़ा। इसी प्रकार सहकारिता, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, वन विभागों ने भी दुस्साहस दिखाया। आयोग इन जिलों के प्रभावित अफसर और कर्मचारियों के तबादलों पर रोक लगा दी।
गलती या मनमानी -
सवाल उठता है जब आयोग पूर्व में ही आचार संहिता प्रभावी जिलों में तबादलों पर रोक लगा चुका है तो फिर इन जिलों के अफसरों और कर्मचारियों के तबादले किए जाने का निर्णय समझ से परे है। सरकार के इस निर्णय की चर्चा मंत्रालय में तो है, लेकिन इस मामले में अफसर खुलकर चर्चा करने से कतराते हैं। आईएएस और आईपीएस अफसरों की सूची तो मुख्य सचिव से अनुमोदित हुए मुख्यमंत्री की हरीझंडी मिलने के बाद जारी होती है। यानी मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से भी ऐसा निर्णय करवा लिया गया जो नहीं होना चाहिए था। आयोग के सख्त रवैया के कारण निर्णय पर रोक लगाना पड़ी।

Saturday, June 16, 2012

10:11 PM - No comments

सरकार को आयोग का झटका ...!

राज्य निर्वाचन आयोग ने राज्य सरकार को बड़ा झटका देते हुए एक आईपीएस सहित चार आईपीएस अफसरों के तबादलों पर रोक लगा दी है। इन अफसरों का हाल ही में तबादला किया गया था। रोक लगाते हुए आयोग ने सरकार से यह भी कहा है कि नगरीय निकाय चुनाव के चलते चुनाव कार्य से जुड़े किसी भी अधिकारी-कर्मचारी का तबादला न किया जाए।

हाल ही हुई प्रशासनिक सर्जरी के दौरान बड़ी संख्या में आईएएस और आईपीएस अफसर प्रभावित हुए  थे। इसमें कुछ ऐसे अफसर भी प्रभावित हो गए थे जो चुनाव क्षेत्र में पदस्थ हैं। आयोग ने इसे गंभीरता से लेते हुए राज्य सकरार को स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि निर्देशों का पालन किया जाए। आयोग की अनुमति के बिना चुनाव कार्य से जुड़े किसी भी अधिकारी कर्मचारी को न हटाया जाए। बुधवार को जारी तबादला आदेश में सरकार ने शहडोल कमिश्नर प्रदीप खरे को रीवा स्थानांतरित करते हुए शहडोल संभाग की की जिम्मेदारी आयुक्त पिछड़ा वर्ग कल्याण रघुवीर श्रीवास्तव को दे दी थी। शहडोल से प्रदीप खरे का तबादला किए जाने पर आयोग ने सख्त आपत्ति की थी। आयोग के रुख को देखते हुए सरकार ने आनन-फानन में श्रीवास्तव को यथावत रखते हुए खरे को शहडोल संभाग का अतिरिक्त प्रभार देने के आदेश जारी कर दिए। इसी प्रकार यूआर नेताम बालाघाट आईजी को नारकोटिक्स आईजी, अरुण प्रताप सिंह आईजी शहडोल को आईजी एसएएफ पीएचक्यू पदस्थ किया। साथ ही राजाबाबू डीआईजी शहडोल को पदोन्नत करते हुए आईजी बालाघाट एवं वेद प्रकाश शर्मा डीआईजी छतरपुर को पदोन्नत करते हुए आईजी शहडोल पदस्थ किया था। आयोग के निर्देश पर इन अफसरों के तबादलों पर रोक लगाते हुए इन्हें यथावत रखा गया है। यानी अब निकाय चुनाव के बाद ही आईएएस और आईपीएस अफसरों के तबादला आदेश जारी होंगे। मालूम हो प्रदेश के रतलाम, बैतूल, झाबुआ, अलीराजपुर, धार, बड़वानी, बुरहानपुर, छिंदवाड़ा, सिवनी, मण्डला, डिण्डोरी, बालाघाट, शहडोल, अनुपपुर, उमरिया जिले की 49 नगरीय निकाय चुनाव के चलते चुनाव आचार संहिता लागू है।

10:08 PM - No comments

माननीयों को 25 दिन पहले पूछना होंगे सवाल


सदन में सरकार के काम-काज की जानकारी लेने के लिए अब विधायकों को 25 दिन पहले सवाल पूछना होंगे। पूर्व में यह अवधि 21 दिन थी। सचिवालय ने इसकी सूचना सभी विधायकों को भेज दी है।
विधायकों की यह आम शिकायत रही है कि उन्हें प्रश्नों के उत्तर नहीं मिल पाते, अधिकांश सवालों पर सरकार की ओर से यही जवाब आता है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है। समय-समय पर सदन में यह मांग उठाते भी रहे हैं कि जब वे समय से सवाल पूछते हैं तो उत्तर भी समय पर मिलना चाहिए। इस मामले में स्पीकर भी सरकार को निर्देशित करते रहे हैं कि सदस्यों के जवाब समय पर दिए जाएं। विधायकों की सुविधा को ध्यान में रखकर सचिवालय ने व्यवस्था को अब और सरल किया है। यानी सरकार को जवाब देने के लिए अवधि 12 दिन से बढ़ाकर 14 दिन कर दी है। यानी विभागों को जवाब देने के लिए दो दिन का समय अधिक मिल जाएगा। स्पीकर की अध्यक्षता वाली नियम समिति ने भी ऐसी ही अनुशंसाएं की थीं। समिति की अनुशंसाओं को मानते हुए इसे इसी सत्र से लागू किया जा रहा है।

पूर्व की व्यवस्था बहाल -
विधायकों को प्रश्न पूछने के लिए 25 दिन का समय पहली बार निर्धारित नहीं हुआ है, बल्कि डेढ़ दशक पूर्व भी यह व्यवस्था लागू थी, लेकिन इसे बाद में बदलकर 21 दिन कर दिया गया। साथ ही विभागों को उत्तर देने के लिए अवधि भी 14 दिन से घटाकर 12 दिन कर दी गई थी। अब वही पुरानी व्यवस्था फिर से लागू कर दी गई है।

विधायकों को सूचनाओं के लिए समय -
प्रश्न पूछने का समय 25 दिन पूर्व
विधेयक में संशोधन की सूचना एक दिन पूर्व
संकल्पों का संशोधन की सूचना 3 दिन पूर्व
प्रश्नों के उत्तरों पर आधे घण्टे की चर्चा कराने की सूचना 2 दिन पूर्व


10:05 PM - No comments

कलेक्टर हटाने में आयोग का अडंगा

आईएएस अफसरों की प्रशासनिक सर्जरी में राज्य निर्वाचन आयोग का अडंगा आड़े आ गया। अब सरकार को नगरीय निकाय चुनाव आचार संहिता खत्म होने का इंतजार है। इसके बाद एक और प्रशासनिक फेरबदल होगा, इसमें अधिकांश कलेक्टर ही रहेंगे।

राज्य सरकार ने आईएएस अफसरों की जो तबादला सूची तैयार की थी, उसमें दो दर्जन से अधिक जिलों के कलेक्टर भी शामिल थे, इसमें प्रभावित होने वालों में वे जिले भी शामिल थे, जहां नगरीय निकाय चुनाव चल रहे हैं। चूंकि यहां चुनाव आचार संहिता लागू है, इसलिए सरकार ने राज्य निर्वाचन आयोग से वहां के कुछ कलेक्टरों को हटाए जाने की अनुमति मांगी थी, लेकिन आयोग ने राज्य सरकार को स्पष्ट तौर पर कह दिया कि चूंकि कलेक्टर जिलों के निर्वाचन अधिकारी हैं, इसलिए इनके तबादले अभी नहीं किए जा सके। आयोग के इंकार के बाद सरकार सरकार ने आईएएस अफसरों की आधी-अधूरी सूची जारी कर दी। असल में प्रदेश के रतलाम, बैतूल, झाबुआ, अलीराजपुर, धार, बड़वानी, बुरहानपुर, छिंदवाड़ा, सिवनी, मण्डला, डिण्डोरी, बालाघाट, शहडोल, अनुपपुर, उमरिया में नगरीय निकाय चुनाव चल रहे हैं। प्रशासनिक फेरबदल में इन जिलों के कुछ कलेक्टर भी प्रभावित हो रहे थे, इसलिए आयोग से अनुमति चाही गई थी। अब चुनाव आचार संहिता हटने के बाद यहां के कलेक्टरों के साथ अन्य जिलों के कलेक्टर बदले जाएंगे।

अभी मात्र पांच कलेक्टर ही प्रभावित -
कल जारी हुई तबादला सूची में दतिया, छतरपुर, शिवपुरी, शाजापुर, होशंगाबाद जिले के कलेक्टर ही प्रभावित हुए हैं। इसमें छतरपुर कलेक्टर राहुल जैन खुसनसीब कहे जा सकते हैं, क्योंकि जितने कलेक्टरों के तबादले हुए हैं उनमें जैन को फिर से कलेक्टरी दी गई, शेष को अन्य जिम्मेदारी मिली है। इन्हें होशंगाबाद का कलेक्टर पदस्थ किया गया है। प्रमोशन मिलने के बाद से कलेक्टरी का सपना संयोए राजेश बहुगुणा, प्रमोद गुप्ता, आरके जैन की मुराद पूरी हो गई। बहुगुणा को छतरपुर,गुप्ता को शाजापुर और जैन को शिवपुरी जिले की जिम्मेदारी मिली है।

9:50 PM - No comments

मंत्रियों को थमाया रिपोर्टकार्ड

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सामूहिक बैठक के दौरान मंत्रियों को रिपोर्टकार्ड थमा दिया। इसमें एक दर्जन विभागों की तारीफ करते हुए अन्य विभागों को और बेहतर काम करने की नसीहत दी। इनमें नौ मंत्री शामिल हैं।

प्रशासनिक कसावट लाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री समय-समय पर समीक्षा करते रहते हैं। इसी कड़ी में हाल ही में अफसरों और मंत्रियों से वन-टू-वन चर्चा और विभागवार समीक्षा भी की। अब सभी की सामूहिक बैठक बुलाई गई। विभागों के मंत्रियों और आला अफसरों की मौजूदगी में मुख्यमंत्री ने एक-एक रिपोर्टकार्ड बताना शुरू किया। इसमें एक दर्जन विभाग ऐसे रहे जिनका काम-काज बेहतर बताया गया। अन्य विभागों को सलाह दी गई कि वे और बेहतर काम करे। मंत्रियों और अफसरों के लिए यह संतोष की बात रही कि उन्होंने किसी ऐसे विभाग को इंगित नहीं किया जिसका परफारमेंस खराब रहा हो, हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि सभी मंत्री और अफसर टीम भावना से काम करें तो परिणाम बेहतर सामने आएंगे।
प्रति सप्ताह होगी समीक्षा -
विभागवार समीक्षा के बाद सामूहिक बैठक को संबोधित कर रहे मुख्यमंत्री ने कहा कि अब विभागवार समीक्षा की जाएगी। मंत्रियों और अफसरों को सलाह दी कि वे प्रति सप्ताह विभागीय कार्यों की समीक्षा करें।

यह रहा रिपोर्टकार्ड का आधार -
किस विभाग ने कितना राजस्व अर्जित किया और विभागों ने उपलब्ध बजट की कितनी राशि खर्च की। योजनाओं का क्रियान्वयन कैसा रहा।

इन मंत्रियों को रहा बेहतर परफारमेंस
रंजना बघेल - महिला एवं बाल विकास
कन्हैया लाल अग्रवाल - एनवीडीए
जयंत मलैया - जल संसाधन
अजय विश्नोई - अल्प संख्यक कल्याण, पशुपालन
जगदीश देवड़ा - जेल, परिवहन
करण सिंह वर्मा - राजस्व
कैलाश विजयवर्गीय - विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
राजेन्द्र शुक्ल - खनिज
राघवजी - वाणिज्यिक कर

श्रम से संतुष्ट नहीं -
मुख्यमंत्री श्रम विभाग के प्रति संतुष्ट नजर नहीं आए। इस विभाग को और मेहनत से काम करने की जरूरत है। उनका तर्क था कि यदि मजदूरों का शतप्रतिशत पंजीयन हो जाए तो रोजगार की समस्या बहुत हद तक कम हो जाएगी।

9:46 PM - No comments

IAS त्रिपाठी संभालेंगे जल निगम की कमान


मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विश्वासपात्र अफसरों में शुमार आकाश त्रिपाठी को एक और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलने जा रही है। सरकार इन्हें नव गठित जल निगम की कमान दे रही है। इन्होंने भी हां कह दी है।
पिछले माह की 22 तारीख को कैबिनेट ने जल निगम के गठन को मंजूरी देने के साथ ही सरकार ने ऐसे अफसर की तलाश शुरू कर दी थी, जो इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को संभाल सके। हालांकि शुरुआती दौर में ही यह तय हो गया था कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाले इस निगम की कमान किसी आईएएस अफसर को ही सौंपी जाएगी, इसके लिए ऐसे अफसर की तालश थी जो तेज तर्रार हो और इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन कर सके। ऐसे में मुख्यमंत्री सचिवालय में अतिरिक्त सचिव आकाश त्रिपाठी के नाम पर विचार हुआ। और इनके नाम पर सहमति बन गई। त्रिपाठी भी यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभालने को तैयार हैं। इस जिम्मेदारी के साथ त्रिपाठी मुख्यमंत्री सचिवालय में भी सेवाएं देते रहेंगे।

आकार लेने लगा निगम -
जल निगम का काम तो पहले ही तय है अब इसे आकार भी मिलने लगा है। यानी यहां अफसरों की तैनाती होने लगी है। हाल ही में यहां एक मुख्य अभियंता सहित दो कार्यपालन यंत्रियों को प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ किया गया है। अन्य अधिकारी-कर्मचारियों की पदस्थापना होना है। 

यह काम करेगा निगम -
मध्यप्रदेश जल निगम (मध्यप्रदेश वॉटर कापोर्रेशन) प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में संचालित समूह नल-जल योजनाओं के क्रियान्वयन के लिये निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार ऋण लेने तथा अन्य संसाधनों से वित्तीय प्रबंध कर सकेगा। कापोर्रेशन द्वारा जरूरत के अनुसार नगरीय क्षेत्रों में नल-जल एवं मल-जल निष्पादन योजनाओं का क्रियान्वयन और नल कनेक्शन के माध्यम से परिवारों को पेयजल की आपूर्ति की जाएगी। नल-जल योजनाओं के सुचारु संचालन और संधारण के उद्देश्य से ग्राम-स्तर पर समितियाँ गठित करने और समिति के सदस्यों की क्षमता वृद्धि का दायित्व भी कापोर्रेशन निभाएगा।

Thursday, June 7, 2012

7:29 AM - No comments

‘सुशासन’ पर सवाल .....!

सरकारी काम-काज में सुशासन लाने के लिए गठित स्कूल आॅफ गुड गर्वनेंस सुर्खियों में है। मामला यहां के महानिदेशक (डीजी) की नियुक्ति से जुड़ा है। सरकार यहां चयन के स्थान पर मनोनयन के माध्यम से नियुक्ति के प्रयास में है। अब मामला राजभवन पहुंच गया है।

जून 2007 में स्कूल आॅफ गुड गर्वनेंस की स्थापना हुई थी। कैबिनेट में लिए गए निर्णय के तहत यहां के डीजी पद पर चयन के माध्यम से नियुक्ति होगी। कैबिनेट निर्णय पर अमल की बात आई तो चयन के स्थान पर मनोनयन से नियुक्ति कर दी गई। इसका खुलासा उस नोटशीट से हुआ जिसमें सामान्य प्रशासन विभाग की तत्कालीन प्रमुख सचिव ने मुख्यमंत्री भेजे प्रस्ताव में नियुक्ति के लिए चयन या मनोनयन का उल्लेख किया। मुख्यमंत्री ने इसमें मनोनयन करते हुए प्रो. एचपी दीक्षित को यहां का डीजी नियुक्त कर दिया। अबइस बार भी कुछ ऐसा ही दुस्साहस हो रहा है।

पूर्व मुख्य सचिव भी कतार में -
यहां के डीजी पद के लिए पूर्व मुख्य सचिव अवनि वैश्य सहित कई सेवानिवृत्त नौकरशाह भी कतार में हैं। इन सभी में अवनि वैश्य सबसे आगे हैं। प्रो. दीक्षित का कार्यकाल समाप्त होने के बाद से यह पद लम्बे समय से रिक्त है। यहां नियुक्ति को लेकर सरकार में हलचल तेज है।

राजभवन पहुंचा मामला -
गुड गर्वनेंस में डीजी पद पर मनोनयन की तैयारी और विवाद बढ़ने के कारण मामला राजभवन पहुंच गया है। ट्रांस्परेंसी इंटरनेशन इंडिया के सदस्य अजय दुबे ने राज्यपाल से आग्रह किया है कि कैबिनेट के निर्णय के तहत यहां चयन के माध्यम से ही नियुक्ति हो। उन्होंने सुप्रीमकोर्ट द्वारा पीजी थॉमस केस के फैसला का हवाला देते हुए कहा है कि ऐसे पदों पर चयन के माध्यम से ही नियुक्ति होना चाहिए। सरकार पूर्व मुख्य सचिव की नियुक्ति की तैयारी कर रही है। पूर्व मुख्य सचिव का नाम लिए बगैर इन्होंने लिखा है कि पूर्व मुख्य सचिव की ईमानदारी संदिग्ध है। चयन के माध्यम से योग्यता को महत्व मिलेगा।

7:17 AM - No comments

विधानसभा : अगले हफ्ते बढ़ जाएगा अफसरों का ओहदा

प्रमोशन की आस लगाए बैठे विधानसभा अधिकारी और कर्मचारियों को अब ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि प्रथम श्रेणी अधिकारियों के लिए डीपीसी हो चुकी है। अगले हफ्ते एक बैठक और होगी। इसी के साथ प्रमोशन आदेश जारी हो जाएंगे। अन्य पदों के लिए डीपीसी इसके बाद होगी।

विधानसभा में प्रथम श्रेणी के रिक्त पदों की बात करें तो यहां अतिरिक्त सचिव का एक पद रिक्त है। सत्यनारायण शर्मा के बर्खास्त होने के कारण यह पद रिक्त हुआ है। इसी प्रकार उप सचिव के दो पद और अवर सचिव के तीन पद रिक्त बताए जाते हैं। उप सचिव स्तर के अफसरों में वरिष्ठता की बात की जाए तो प्रमोद रेगे और प्रियनाथ त्रिपाठी का नाम आता है। इसमें त्रिपाठी उप सचिव हैं जबकि रेगे अनुसंधान, संदर्भ एवं पुस्तकालय की संचालक हैं। इनमें से किसी एक अफसर को प्रमोशन मिलना तय है। रोस्टर के तहत अतिरिक्त सचिव का पद अनारक्षित वर्ग में आता है, जबकि उप सचिव के रिक्त दो पदों में से एक पद आरक्षित वर्ग में आएगा, इसलिए यहां एक आरक्षित और एक सामान्य वर्ग का अफसर प्रमोट होगा।

दूसरी और अंतिम बैठक अगले हफ्ते -
प्रथम श्रेणी के लिए पदोन्नति समिति की एक बैठक हो चुकी है, इसमें खाका तैयार हो गया है। अभी एक और बैठक होना है। इसकी औपचारिका पूरी होते ही प्रमोशन आदेश जारी हो जाएंगे। यह औपचारिकता सोमवार 11 जून को पूरी होने की संभावना है, क्योंकि अवकाश पर गए प्रमुख राजकुमार पाण्डे इसी दिन लौट रहे हैं, संभावना है इसी दिन विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी भी भोपाल में रहेंगे।

एक पखवाड़े में अन्य के प्रमोशन -
प्रथम श्रेणी अधिकारियों के पदोन्नति आदेश जारी होते ही द्वितीय श्रेणी सहित अन्य कर्मचारी वर्ग के प्रमोशन के लिए भी विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक होगी। इनकी बैठक भी अगले हफ्ते होने की संभावना है। यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो एक पखवाड़े में सभी पदों पर प्रमोशन हो जाएंगें।

7:15 AM - No comments

15 जिलों के कलेक्टर ‘सेफ’

 प्रदेश के 15 जिलों के कलेक्टरों के लिए राहत की खबर है, ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इन जिलों में कलेक्टरों सहित चुनाव कार्य में  लगे अधिकारी-कर्मचारियों के तबादलों पर रोक लगा दी गई है।
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित चुनाव कार्यक्रम के तहत प्रदेश की 49 नगरीय निकायों में दो चरणों में मतदान होना है। प्रथम चरण का मतदान 28 जून और द्वितीय चरण का मतदान 30 जून को होना है। प्रथम चरण के मतदान के परिणामों की घोषणा 2 जुलाई और द्वितीय चरण के परिणामों की घोषणा 4 जुलाई को होगी। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होने के साथ ही चुनाव आचार संहिता भी लागू हो गई है। यानी जिन 15 जिलों के अंतर्गत चुनाव हो रहे हैं वहां चुनाव कार्य में लगे अधिकारी-कर्मचारियों के तबादले नहीं होंगे। इनमें आदिवासी जिलों के कलेक्टर शामिल हैं। जून तक गेंहू खरीदी के चलते राज्य सरकार ने कलेक्टरों के तबादले न करने का फैसला लिया था। गेंहू खरीदी का कार्य पूर्ण होते ही सरकार ने तबादला मंथन शुरू किया, तबादला आदेश जारी होता इसके पहले ही राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर दी। चुनाव घोषणा के साथ ही कलेक्टरी कर रहे आईएएस अफसरों ने राहत की सांस जरूर ली होगी। 

ये कलेक्टर सुरक्षित -
रतलाम राजेन्द्र शर्मा, बैतूल बी चंद्रशेखर, झाबुआ जयश्री कियावत, अलीराजपुर राजेन्द्र सिंह, धार बृजमोहन शर्मा, बड़वानी नवनीत कोठारी, बुरहानपुर आशुतोष अवस्थी, छिंदवाड़ा महेश चंद्र चौधरी, सिवनी अजीत कुमार, मण्डला स्वाति मीना, डिण्डोरी जीवी रश्मि, बालाघाट विवेक कुमार पोरवाल, शहडोल नीरज दुबे, अनुपपुर जेके जैन, उमरिया एनएस भटनागर।

अधिकारी बोले -
49 नगरीय निकायों में चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के साथ ही आचार संहिता प्रभावशील हो गई है। चुनाव कार्य में लगे अधिकारी-कर्मचारियों के तबादलों पर भी रोक लगा दी गई है। यदि बहुत जरूरी हुआ तो राज्य सरकार तबादलों से पहले आयोग से अनुमति लेगी।
अजीत रायजादा, आयुक्त राज्य निर्वाचन आयोग

7:14 AM - No comments

49 नगरीय निकायों के आम चुनाव घोषित

 राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रदेश की 49 नगरीय निकायों में आम चुनाव की घोषणा कर दी है। यहां दो चरणों में 28 और 30 जून को मतदान होगा। चुनाव की घोषणा के साथ चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है। यानी जिन 15 जिलों के नगरीय निकायों में चुनाव होना है वहां के लिए सरकार कोई भी ऐसी भी घोषणा नहीं कर सकती जिससे मतदाताओं को प्रभावित किया जा सके।
प्रदेश के राज्य निर्वाचन आयुक्त अजीत रायजादा और सचिव सुभाष जैन ने आम चुनाव की घोषणा करते हुए बताया कि दो चरणों में मतदान होगा। इसके लिए 28 जून और 30 जून की तिथि निर्धारित की गई है। प्रथम चरण में हुए मतदान के परिणामों की घोषणा 2 जुलाई और द्वितीय चरण के परिणाम की घोषणा 4 जुलाई को होगी। एक जनवरी 2012 की स्थिति में मतदाता सूची के आधार पर इन नगरीय निकायों में चुनाव होंगे। 7 जून से 14 जून तक निर्वाचन की सूचना का प्रकाशन एवं नाम निर्देशन पत्र प्राप्त किए जा सकेंगे। 18 जून को अभ्यार्थी नाम वापस ले सकेंगे। मतदान सुबह 7 से शाम 5 बजे तक होगा।
कोर्ट का था स्थगन -
प्रदेश के 16 जिलों के 52 नगरीय निकायों में आम चुनाव नवम्बर, दिसम्बर 2009 में पांच वर्ष पूर्ण होने पर कराया जाना प्रस्तावित थे, लेकिन मामला कोर्ट में होने के कारण यहां चुनाव घोषित नहीं किए जा सके। पिछले वर्ष 2011 में 22 सितम्बर को स्थगन आदेश हटाए जाने के साथ ही चुनाव की तैयारी शुरू कर दी गई थी। निर्वाचन आयुक्त रायजादा ने बताया कि खरगौन जिले की नगर पालिका परिषद खरगौन के क्षेत्र विस्तार और सीमवृद्धि की कार्यवाही के कारण मतदाता सूची तैयार जाने की प्रक्रिया आयोग द्वारा स्थगित किए जाने के कारण यहां चुनाव बाद में कराए जाएंगे। इसी प्रकार महेश्वर में विधानसभा के उप चुनाव होने के कारण महेश्वर, मण्डलेश्वर, भीकनगांव में आम निर्वाचन कार्यक्रम बाद में जारी किया जाएगा। जबकि मई 2011 में कार्यकाल पूर्ण करने वाली नगर परिषद रानापुर (झाबुआ) के आम निर्वाचन इसी चुनाव के साथ कराए जा रहे हैं।

Thursday, May 31, 2012

8:01 PM - No comments

प्रदेश से खत्म होगा आईएएस का 1974 बैच

मध्यप्रदेश में आईएएस कॉडर का 1974 बैच इस माह समाप्त हो जाएगा। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इस माह दो वरिष्ठतम आईएएस अफसर सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ये दोनों इसी बैच के हैं। इनमें एक मध्यप्रदेश में सेवाएं दे रहे हैं जबकि दूसरे केन्द्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर हैं।

रंजना चौधरी और केएम आर्चाय ऐसे दो अफसर हैं, जिन्हें प्रदेश के वरिष्ठतम आईएएस अफसरों का गौरव हासिल है। इनमें रंजना चौधरी मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मण्डल की अध्यक्ष हैं, जबकि केएम आचार्य वर्ष 2003 से केन्द्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर हैं। ये दोनों अफसर 30 जून को सेवानिवृत्त होंगे। यदि देश की बात की जाए तो इस बैच के एक आईएएस अफसर उत्तर कॉडर में है। ये भी केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। देश के सबसे ताकतवर अफसरों में शुमार ये हैं अजीत कुमार सेठ। ये कैबिनेट सेक्रेटरी हैं। पिछले वर्ष ही इन्हें यह महत्पूर्ण जिम्मेदारी मिली हैं। यदि ये कैबिनेट सेके्रटरी न बनते तो ये पिछले वर्ष ही सेवानिवृत्त हो जाते, लेकिन इन्हें दो वर्ष की सेवावृद्धि मिल चुकी है।

तेज तर्रार अफसर हैं रंजना चौधरी -
प्रदेश के तेज तर्रार अफसरों में शुमार रंजना चौधरी उस समय ज्यादा सुर्खियों में आ गर्इं जब इन्होंने सूचना आयोग में रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए मुख्य सचिव को पत्र लिखा। पत्र में इन्होंने सीधे तौर पर सरकार को सलाह दी थी कि रिक्त पदों पर योग्य और बेदाग अफसरों को ही नियुक्त किया जाए। मालूम हो तत्कालीन मुख्य सचिव भी राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त पद के लिए प्रवल दावेदारों में से एक रहे हैं। हालांकि अभी तक इस पर किसी अफसर की नियुक्ति नहीं हुई है।

अरुणा शर्मा का बढ़ेगा ओहदा -
एसीएस रंजना चौधरी के सेवानिवृत्त होने के साथ ही 1982 बैच की आईएएस अफसर अरुणा शर्मा एसीएस पद पर पदोन्नत होंगी, क्योंकि केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ डॉ. अमर सिंह के प्रदेश में जल्द लौटने की संभावना कम है, जबकि 1979 बैच की आईएएस अफसर स्नेहलता कुमार मध्यप्रदेश वापस लौटने के मूड में नहीं है। हालांकि उनकी प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त होने के बाद तीन माह के लिए केन्द्रीय योजना आयोग में सलाहकार बना दी गईं थीं। वहां का कार्यकाल भी समाप्त हो चुका है, अब वे अवकाश पर चलीं गई हैं। ऐसे में अरुणा शर्मा को प्रमोशन मिलने की पूरी संभावना है।

7:54 PM - No comments

निलंबन, बर्खास्तगी होना है IAS अफसरों की

सूबे के चार आईएएस अफसर ऐसे हैं जिनके भविष्य का फैसला केन्द्र सरकार को करना है, इनमें नौकरी से बर्खास्तगी, निलंबन, अनिवार्य सेवानिवृत्त इत्यादि प्रमुख है, लेकिन मामला केन्द्र सरकार के कार्मिक मंत्रालय में लंबित होने के कारण कोई निर्णय नहीं हो पा रहा है।

आयकर कार्यवाही के दौरान वरिष्ठ आईएएस अफसर अरविन्द जोशी और टीनू जोशी के यहां मिली आकूत दौलत के कारण प्रदेश के नौकरशाह अचानक सुर्खियों में आए। आयकर विभाग ने सरकार जो रिपोर्ट भेजी वह भी चौंकाने वाली थी। भ्रष्टाचार की काली कमाई उजागर होने के साथ ही राज्य सरकार ने इन्हें निलंबित कर दिया था। विभागीय जांच रिपोर्ट में इन्हें दोषी पाए जाने पर राज्य सरकार ने इन आईएएस दम्पत्ति को नौकरी से बर्खास्त किए जाने की सिफारिश केन्द्र सरकार को कर दी। अनुशंसा किए हुए करीब दो माह बीत जाने के बाद भी केन्द्र सरकार ने कोई निर्णय नहीं किया। राज्य सरकार को केन्द्र के निर्णय की प्रतीक्षा है।
मध्यप्रदेश कॉडर में 1999 बैच के आईएएस अफसर अनिल यादव को अनुशसानहीनता के कारण अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाना है। ये 25 जुलाई 2007 से 24 जुलाई 2009 तक के लिए अध्ययन अवकाश पर विदेश गए थे। अवकाश अवधि समाप्त होने पर इनको वापस लौटना था, लेकिन न तो ये वापस लौटे और न ही इन्होंने इसकी कोई सूचना राज्य सरकार को दी। जब ये चार साल बाद भी वापस नहीं लौटे तो सरकार सक्रिय हुई और इनकी तलाश शुरू हुई। न तो इन्होंने सरकार के पत्रों का जवाब दिया और न ही लौटने की सूचना दी। कलेक्टर के माध्यम से इन्हें नोटिस भेजा गया तो इन्होंने लौटने की सूचना तो दी, लेकिन वापस नहीं आए। सरकार ने इसे अनुशसानहीनता मानते हुए केन्द्र से अभिमत मांगा। लगातार रिमांडर भेजा जा रहा है, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक जवाब केन्द्र से नहीं मिला है।

मध्यप्रदेश कॉडर के आईएएस अधिकारी राघव चंद्रा कटनी जमीन खरीदी घोटाले के बाद सुर्खियों में आए। सुपीमकोर्ट इन्हें इस मामले में दोषी मान चुका है, लेकिन राज्य सरकार लगातार इनके बचाव में रही। अब चूंकि कोर्ट का रुख सख्त है, इसलिए अब राज्य ने गेंद केन्द्र के पाले में डाल दी है। केन्द्र सरकार से अभिमत मांगा गया है कि इनके खिलाफ क्या कार्यवाही होना है। क्योंकि कोर्ट ने इनके खिलाफ भ्रष्टाचार का प्रकरण दर्ज कर केस चलाए जाने को कहा है। राज्य सरकार केन्द्र को रिमांडर भी भेज चुकी है, लेकिन केन्द्र से कोई जवाब नहीं आया। कार्यवाही किए जाने में विलम्ब होने पर सुप्रीमकोर्ट ने सामान्य प्रशासन विभाग (कार्मिक) की प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

Tuesday, May 29, 2012

8:15 PM - No comments

अगले महीने होंगे कलेक्टरों के तबादले

 आईएएस अफसरों की बहुप्रतिक्षित तबादला सूची अगले माह जारी होगी। इसको लेकर मंत्रालय में होमवर्क शुरू हो गया है। इसमें कलेक्टर सहित फील्ड में पदस्थ अन्य अफसरों के प्रभावित होने की संभावना है।

मंत्रालय स्तर पर अफसरों के काम-काज में फेरबदल होने के साथ ही संभावना जताई जा रही थी कि अब कलेक्टरों की बारी है, लेकिन गेंहूं खरीदी के चलते कलेक्टरों के तबादले टाल दिए गए। तय किया गया कि चूंकि 31 मई तक गेंहू खरीदी होना है, इसलिए कलेक्टरों के तबादले 31 मई तक न किए जाएं। अब चूंकि गेंहू खरीदी के लिए निर्धारित समय समाप्त होने वाला है, इसलिए मंत्रालय में हलचल बढ़ी है। अधिकांश कलेक्टरों ने भी मंत्रालय में नजर रखना शुरू कर दी है। उनकी रुचि इसमें ज्यादा है कि उनकी कलेक्टरी सुरक्षित रहे।

परीक्षा से कम नहीं है गेंहू खरीदी -
प्रदेश में गेंहू खरीदी के दौरान जिस प्रकार से किसान सड़कों पर आए, बारदानों की कमी के चलते उनकी नाराजगी बढ़ी, यह स्थिति कलेक्टरों के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं थी। हालांकि ज्यादा कलेक्टरों ने इसमें सफलता हासिल की है। प्रदेश में अब स्थिति शांत है। ऐसे में कलेक्टरी कर रहे ज्यादातर अफसर अपनी कलेक्टरी सुरक्षित मान रहे हैं। कलेक्टरी सुरक्षित मानने का एक कारण मुख्य सचिव द्वारा कलेक्टरो की पीठ थपथपाना भी है। क्योंकि प्रदेश के दौरे पर पहुंचे मुख्य सचिव आर परशुराम ने संभागीय मुख्यालयों में समीक्षा के दौरान फील्ड में पदस्थ अफसर अफसरों के काम-काज के प्रति संतोष प्रकट किया था।

सीएम सचिवालय सक्रिय -
कलेक्टरों के काम-काज को लेकर सीएम सचिवालय सक्रिय है। जिलों से मिल रहे फीडबैक के आधार पर उनका रिपोर्टकार्ड तैयार हो रहा है। प्रयास यही है कि फील्ड में उन्ही अफसरों को रखा जाएगा जो बेहतर काम कर रहे हों, क्योंकि अगले वर्ष प्रदेश में विधानसभा के आम चुनाव होना है। ऐसे में चुनावों को ध्यान में रखकर अफसरों की पोस्टिंग होगी। एक ही जिले में तीन वर्ष से अधिक समय तक जमे अफसरों को हटाया जाना तय है, यदि ऐसा नहीं होता तो इन्हें चुनाव आयोग हटा देगा।

8:14 PM - No comments

मनमर्जी की कलेक्टरी

 अपनी कार्यप्रणाली के कारण सूबे के नौकरशाह सुर्खियों में आए हैं। इनके कुछ फैसले तो ऐसे हैं, जिससे सरकार की भी किरकिरी हो रही है। इनमें आला अफसरों के साथ ही जिले में कलेक्टरी कर रहे अफसर भी शामिल है। मनमर्जी से कलेक्टरी कर रहे आईएएस अफसरों पर अभी कोई लगाम नहीं है। यह जरूर है कलेक्टरों के मामले में सरकार बचाव की मुद्रा में ही नजर आती है।

सूबे के कलेक्टरों के काम-काज की आए दिन समीक्षा होती रहती है। मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री भी समय-समय पर उनसे चर्चा करते रहते हैं, लेकिन चिंतनीय यह है कि फील्ड में पदस्थ अफसर सरकार को सही जानकारी देने के बजाय मनमर्जी से रिपोर्ट भेजने में नहीं चूक रहे हैं। गेंहू खरीदी में जिस तरह से अफरा-तफरी मची, किसान सड़कों पर आ गए, लेकिन समय रहते सकरार को न तो इसकी सूचना दी गई और न ही कलेक्टरों ने स्थिति से निपटने के लिए कोई पुख्ता व्यवस्था की। मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव ने सीधे मोर्चा संभाला। मुख्यमंत्री ने औचक निरीक्षण किया, मुख्य सचिव भी संभागीय पर गए। वहीं समीक्षा बैठकें की। हालांकि अब स्थिति नियंत्रण में है। कलेक्टरों के फैसलों पर नजर डाली जाए तो ताजा मामला बड़वानी कलेक्टर श्रीमन शुक्ला से जुड़ा है। क्षेत्र की आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ने वाली माधुरीबाई को जिलाबदर कर दिया गया। इन पर कई संगीन आरोप लगाए गए। चंद ही दिनों में कलेक्टर को फैसला बदलना पड़ा। तर्क दिया गया कि आरोप सही नहीं है। माधुरीबाई आदिवासियों के हक के लिए लम्बे समय से लड़ाई लड़ रहीं है। इसलिए ये जिला प्रशासन की आंख की किरकिरी बनी और यह बेतुका फैसला ले लिया गया।

इनकी कलेक्टरी भी सर्खियों में -
एम गीता -
उज्जैन कलेक्टर हैं। छत्तीसगढ़ कॉडर आवंटन के बाद भी मध्यप्रदेश में सेवाएं दे रही हैं। हालांकि छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव इनकी सेवाएं वापस मांग चुके हैं, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार इन्हें भेजने को तैयार नहीं है। कलेक्टरी के दौरान मैडम के फैसले भी सुर्खियों में रहे हैं।
ज्ञानेश्वर पाटिल -
श्योपुर कलेक्टर हैं। जिले की ही एक महिला अफसर ने चरित्र हनन के आरोप लगाते हुए शिकायत की थी। महिला अफसर की शिकायत के कारण सुर्खियों में आए कलेक्टर के मामले में जांच की गई, लेकिन जांच रिपोर्ट का अभी तक उजागर नहीं हुई है।
नवनीत कोठारी -
खरगौन कलेक्टर हैं। खरगौन में कलेक्टर रहते हुए भोपाल का सरकारी में कब्जा जमाए रखना चाहते थे। सरकार ने मकान खाली करने का नोटिस दिया तो कोर्ट में सरकार के आदेश को चुनौती दी। हालांकि कोर्ट से इन्हें निराशा हुई और उन्हें मकान खाली करना पड़ा।

8:12 PM - No comments

सीबीआई पर टिका IAS के सुरेश का भविष्य

 भ्रष्टाचार के मामले में फंसे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के सुरेश की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सरकार इनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा चलाए जाने की अनुमति तो सीबीआई को पहले ही दे चुकी है अब इनके निलंबन की तैयारी है। इसके लिए सीबीआई के पत्र की प्रतीक्षा की जा रही है।

मध्यप्रदेश कॉडर में 1982 बैच के आईएएस अधिकारी के सुरेश पर भ्रष्टाचार के छींटे तब पड़े जब केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहते हुए चेन्नई पोर्ट ट्रस्ट के अध्यक्ष और सेतु समुद्रम परियोजना के सीईओ थे। मामला वर्ष 2004 से 2009 के बीच का है। भ्रष्टाचार की शिकायतों के चलते सीबीआई सक्रिय हुई। और इसी दौरान उनके यहां सीबीआई ने छापामार कार्यवाही की। छापे के कार्यवाही के दौरान इनके यहां मिले दस्तावेजों को सीबीआई ने जब्त किया। जांच में इन्हें दोषी मानते हुए अभियोजन की स्वीकृति मांगी। मध्यप्रदेश वापसी पर सरकार ने इन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाते रहे के सुरेश अब टीआरआई के निदेशक हैं। अब सरकार इनके खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति भी दे चुकी है। यानी इनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा चलाए जाने के लिए सीबीआई स्वतंत्र है। अभियोजन की स्वीकृति दिए हुए राज्य सरकार को लम्बा समय हो चुका है, लेकिन अभी तक सीबीआई ने सरकार को यह नहीं बताया कि के सुरेश के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश कर दिया गया है या नहीं। राज्य सरकार सीबीआई को दो बार रिमांडर भी भेज चुकी है, लेकिन सीबीआई ने पत्र का जवाब अभी तक नहीं दिया है। सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार ने के सुरेश की फाइल तैयार कर ली है, सीबीआई का पत्र मिलते ही उन्हें निलंबित किया जा सकता है, क्योंकि भ्रष्टाचार के मामले में सख्त रुख अपनाए सरकार ऐसे मामलों में अभी तक कई अफसरों को निलंबित कर चुकी है।

8:11 PM - No comments

सुर्खियों में आए प्रदेश के IAS अफसर

 क्या आपने कभी कल्पना की थी कि हक की लड़ाई के लिए नौकरशाह सड़क पर आ जाएंगे। लेकिन मध्यप्रदेश में यह सब हो रहा है। महिला आईएएस अधिकारी शशि कर्णावत प्रमुख सचिव स्तर के आईएएस अफसर राधेश्याम जुलानिया के खिलाफ जिस तरह से मुखर हुई हैं, उससे प्रदेश के नौकरशाह एक बार फिर सुर्खियों में आ गए हैं। हालांकि मामला पदोन्नति में आरक्षण से जुड़ा है, लेकिन किसी जूनियर आईएएस अफसर द्वारा सीनियर अफसर के खिलाफ इस तरह खुलकर सामने आ जाने से सरकार भी असमंजस में है।

यह पहला मौका नहीं है जब कोई आईएएस अफसर इस तरह से मुखर हुआ हो। रैली के साथ कलेक्टर कार्यालय और थाने में एफआईआर के लिए आवेदन देने से कर्णावत दिनभर चर्चाओं में रहीं। अजाक्स, अपाक्स सहित अन्य आरक्षित वर्ग के संगठनों को एकत्रित कर बनाए गए आरक्षण बचाओ संघर्ष मोर्चा की संयोजक शशि कर्णावत के मामले में अब राज्य सरकार भी गंभीर हुई है। अब सरकार ऐसा संदेश देना चाहती है कि दोबारा ऐसा न हो, जिससे एक नौकरशाह किसी अन्य नौकरशाह के खिलाफ इस तरह खुलकर सामने आ जाए। सरकार में उपेक्षा का शिकार कर्णावत लम्बे समय से न्याय के लिए संघर्ष कर रहीं है, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिल सका है।

इनके भी सुर मुखर रहे
रमेश थेटे -
लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद नौकरी बहाली हुई, लेकिन प्रमोशन न मिलने से दु:खी थेटे ने मंत्रालय के सामने आत्मदाह करने तक धमकी दे दी थी। उनका तर्क है कि प्रमोशन के नाम पर लगातार अडंगा लगाया जा रहा है। उनसे जूनियर अफसर सचिव बन चुके हैं जबकि वे अभी उप सचिव ही हैं। उन्होंने तो यहां तक आरोप लगाया कि वे आरक्षित वर्ग के हैं इसलिए उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है।
मधुरानी तेवतिया -
आईपीएस पति की मौत पर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाते मुखर हुर्इं। महिला आईएएस अधिकारी मधुरानी तेवतिया ने तो यहां तक कह दिया उन्हें अब मध्यप्रदेश में नौकरी नहीं करना, उनके ससुर ने यह कहकर सनसनी फैला दी प्रदेश में उनकी आईएएस बहु की सुरक्षा को खतरा है। हालांकि मधुरानी के आवेदन पर मध्यप्रदेश सरकार ने उन्हें कॉडर बदलने की अनुमति दे दी है।

नवनीत कोठारी -
भोपाल में पदस्थापना के दौरान सरकारी आवास आवंटित हुआ। इसी बीच इनका तबादला खरगौन हो गया। खरगौन कलेक्टर की जिम्मेदारी मिलने के साथ ही उन्हें खरगौन में सरकारी बंगला मिल गया, लेकिन इन्होंने भोपाल का सरकार मकान नहीं छोड़ा। ऐसे में सरकार ने इनसे भोपाल का बंगला खाली करने का नोटिस दिया तो ये सरकार के निर्णय के खिलाफ कोर्ट चले गए। हालांकि कोर्ट से इन्हें राहत नहीं मिली।

राजेश राजौरा -
आयकर कार्यवाही के दौरान इनके यहां आकूत दौलत मिलने के कारण राज्य सरकार ने इन्हें निलंबित कर दिया। निलंबन के साथ ही इनके खिलाफ विभागीय जांच की कार्यवाही शुरू हुई, लेकिन ये सरकार के निर्णय के खिलाफ कैट चले गए और कैट ने सरकार के आदेश पर स्थगन दे दिया। ऐसे में न तो इन्हें प्रमोशन मिल सका और न ही निलंबन समाप्त हुआ। अब इनके तेवर ठण्डे हैं, कैट में दाखिल याचिका वापस ले ली है।