Thursday, May 31, 2012

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निलंबन, बर्खास्तगी होना है IAS अफसरों की

सूबे के चार आईएएस अफसर ऐसे हैं जिनके भविष्य का फैसला केन्द्र सरकार को करना है, इनमें नौकरी से बर्खास्तगी, निलंबन, अनिवार्य सेवानिवृत्त इत्यादि प्रमुख है, लेकिन मामला केन्द्र सरकार के कार्मिक मंत्रालय में लंबित होने के कारण कोई निर्णय नहीं हो पा रहा है।

आयकर कार्यवाही के दौरान वरिष्ठ आईएएस अफसर अरविन्द जोशी और टीनू जोशी के यहां मिली आकूत दौलत के कारण प्रदेश के नौकरशाह अचानक सुर्खियों में आए। आयकर विभाग ने सरकार जो रिपोर्ट भेजी वह भी चौंकाने वाली थी। भ्रष्टाचार की काली कमाई उजागर होने के साथ ही राज्य सरकार ने इन्हें निलंबित कर दिया था। विभागीय जांच रिपोर्ट में इन्हें दोषी पाए जाने पर राज्य सरकार ने इन आईएएस दम्पत्ति को नौकरी से बर्खास्त किए जाने की सिफारिश केन्द्र सरकार को कर दी। अनुशंसा किए हुए करीब दो माह बीत जाने के बाद भी केन्द्र सरकार ने कोई निर्णय नहीं किया। राज्य सरकार को केन्द्र के निर्णय की प्रतीक्षा है।
मध्यप्रदेश कॉडर में 1999 बैच के आईएएस अफसर अनिल यादव को अनुशसानहीनता के कारण अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाना है। ये 25 जुलाई 2007 से 24 जुलाई 2009 तक के लिए अध्ययन अवकाश पर विदेश गए थे। अवकाश अवधि समाप्त होने पर इनको वापस लौटना था, लेकिन न तो ये वापस लौटे और न ही इन्होंने इसकी कोई सूचना राज्य सरकार को दी। जब ये चार साल बाद भी वापस नहीं लौटे तो सरकार सक्रिय हुई और इनकी तलाश शुरू हुई। न तो इन्होंने सरकार के पत्रों का जवाब दिया और न ही लौटने की सूचना दी। कलेक्टर के माध्यम से इन्हें नोटिस भेजा गया तो इन्होंने लौटने की सूचना तो दी, लेकिन वापस नहीं आए। सरकार ने इसे अनुशसानहीनता मानते हुए केन्द्र से अभिमत मांगा। लगातार रिमांडर भेजा जा रहा है, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक जवाब केन्द्र से नहीं मिला है।

मध्यप्रदेश कॉडर के आईएएस अधिकारी राघव चंद्रा कटनी जमीन खरीदी घोटाले के बाद सुर्खियों में आए। सुपीमकोर्ट इन्हें इस मामले में दोषी मान चुका है, लेकिन राज्य सरकार लगातार इनके बचाव में रही। अब चूंकि कोर्ट का रुख सख्त है, इसलिए अब राज्य ने गेंद केन्द्र के पाले में डाल दी है। केन्द्र सरकार से अभिमत मांगा गया है कि इनके खिलाफ क्या कार्यवाही होना है। क्योंकि कोर्ट ने इनके खिलाफ भ्रष्टाचार का प्रकरण दर्ज कर केस चलाए जाने को कहा है। राज्य सरकार केन्द्र को रिमांडर भी भेज चुकी है, लेकिन केन्द्र से कोई जवाब नहीं आया। कार्यवाही किए जाने में विलम्ब होने पर सुप्रीमकोर्ट ने सामान्य प्रशासन विभाग (कार्मिक) की प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

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