Thursday, May 17, 2012

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सेमीफाइनल से पहले हाथ पांव फूले सरकार के

प्रदेश में विधानसभा के आम चुनाव भले ही अगले वर्ष होना है, लेकिन इसी वर्ष होने प्रस्तावित मण्डी और नगरीय निकाय चुनाव के नाम से ही भाजपा सरकार के हाथपांव फूले हैं,क्योंकि किसानों ने सरकार खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। ऐसे में प्रयास यही है कि चुनाव अभी न हों।
प्रदेश में जिस तरह से किसान सरकार के खिलाफ खड़े हैं, इससे सरकार नहीं चाहती है कि अभी कोई चुनाव हों। हालांकि सत्तारूढ़ दल भाजपा और प्रदेश सरकार यह बताने का प्रयास कर रही है कि वे किसान विरोधी नहीं हैं। गेंहू की बम्पर पैदावार होने के बाद सरकार खरीदी में लेतलाली कर रही है। गेंहू सड़ रहा है, लेकिन खरीदी न होने के कारण नाराजगी बढ़ी है। जिस तरह किसानों पर लाठीचार्ज हुआ, मुकदमा दर्ज कर जेल में डाला गया, उससे किसान सरकार के खिलाफ खड़े हो गए हैं। लेकिन मजबूरी यह है कि जून तक प्रदेश में मण्डी चुनाव होना है। अब बीच का रास्ता निकाले जाने के लिए मंथन हो रहा है। मालूम हो मण्डी चुनावों में किसानों का अहम रोल रहता है।
मण्डी चुनाव की तरह प्रदेश के 16 जिलों की 53 नगर पालिकाओं व नगर पंचायतों में भी चुनाव होना है। इन चुनावों को भी कोर्ट के निर्देश पर कराया जा रहा है। इन चुनावों में ग्रामीण मतदाता ही शामिल हैं। राज्य निर्वाचन आयोग को ये चुनाव कराना है, इसके लिए निर्वाचन नामावलियों का काम पूरा हो चुका है, लेकिन आयोग ने अभी तक चुनाव तिथि घोषित नहीं की है। इस संबंध में आयोग के अफसर कुछ भी बोलने से कतराते हैं।

आम चुनाव का सेमीफानल -
नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों, मण्डी चुनाव विधानसभा के सेमीफाइनल ही हैं। इन चुनावो ंके परिणामों से इस बात का अंदाजा लगाना आसान हो जाएगा कि भाजपा राज्य में तीसरी बार सरकार बनाएगी या नहीं। सत्तारूढ़ दल भाजपा और कांग्रेस अपने-अपने स्तर पर तैयारी में जुटे हैं। दौरों और यात्राओं का दौर चल रहा है, लेकिन इसमें किसे कितनी सफलता मिलती है यह तो वक्त आने पर ही पता चलेगा, लेकिन सत्तारूढ़ दल अभी चुनाव नहीं चाहता जबकि कांग्रेस अपने लिए अच्छा माहौल मान रही है।

ऐसा भी हो रहा है -
वर्तमान व्यवस्था के तहत मण्डी अध्यक्ष का चुनाव सीधे होता है, लेकिन सरकार ने एक्ट में परिवर्तन करते हुए अध्यक्ष का चुनाव सीधे न कर सदस्यों से चुने जाने का प्रावधान कर दिया है। कैबिनेट से हरीझण्डी मिल चुकी है। कैबिनेट के निर्णय पर अमल तब होगा जब राज्यपाल की हरीझंडी मिल जाएगी। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस कैबिनेट के इस निर्णय के खिलाफ है। तर्क दिया जा रहा है कि सत्तारूढ़ दल सत्ता के दम पर सभी मण्डियों में अपने अध्यक्ष पदस्थ करवा देगी।

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