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अगले महीने होंगे कलेक्टरों के तबादले
आईएएस अफसरों की बहुप्रतिक्षित तबादला सूची अगले माह जारी होगी। इसको लेकर मंत्रालय में होमवर्क शुरू हो गया है। इसमें कलेक्टर सहित फील्ड में पदस्थ अन्य अफसरों के प्रभावित होने की संभावना है।
मंत्रालय स्तर पर अफसरों के काम-काज में फेरबदल होने के साथ ही संभावना जताई जा रही थी कि अब कलेक्टरों की बारी है, लेकिन गेंहूं खरीदी के चलते कलेक्टरों के तबादले टाल दिए गए। तय किया गया कि चूंकि 31 मई तक गेंहू खरीदी होना है, इसलिए कलेक्टरों के तबादले 31 मई तक न किए जाएं। अब चूंकि गेंहू खरीदी के लिए निर्धारित समय समाप्त होने वाला है, इसलिए मंत्रालय में हलचल बढ़ी है। अधिकांश कलेक्टरों ने भी मंत्रालय में नजर रखना शुरू कर दी है। उनकी रुचि इसमें ज्यादा है कि उनकी कलेक्टरी सुरक्षित रहे।
परीक्षा से कम नहीं है गेंहू खरीदी -
प्रदेश में गेंहू खरीदी के दौरान जिस प्रकार से किसान सड़कों पर आए, बारदानों की कमी के चलते उनकी नाराजगी बढ़ी, यह स्थिति कलेक्टरों के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं थी। हालांकि ज्यादा कलेक्टरों ने इसमें सफलता हासिल की है। प्रदेश में अब स्थिति शांत है। ऐसे में कलेक्टरी कर रहे ज्यादातर अफसर अपनी कलेक्टरी सुरक्षित मान रहे हैं। कलेक्टरी सुरक्षित मानने का एक कारण मुख्य सचिव द्वारा कलेक्टरो की पीठ थपथपाना भी है। क्योंकि प्रदेश के दौरे पर पहुंचे मुख्य सचिव आर परशुराम ने संभागीय मुख्यालयों में समीक्षा के दौरान फील्ड में पदस्थ अफसर अफसरों के काम-काज के प्रति संतोष प्रकट किया था।
सीएम सचिवालय सक्रिय -
कलेक्टरों के काम-काज को लेकर सीएम सचिवालय सक्रिय है। जिलों से मिल रहे फीडबैक के आधार पर उनका रिपोर्टकार्ड तैयार हो रहा है। प्रयास यही है कि फील्ड में उन्ही अफसरों को रखा जाएगा जो बेहतर काम कर रहे हों, क्योंकि अगले वर्ष प्रदेश में विधानसभा के आम चुनाव होना है। ऐसे में चुनावों को ध्यान में रखकर अफसरों की पोस्टिंग होगी। एक ही जिले में तीन वर्ष से अधिक समय तक जमे अफसरों को हटाया जाना तय है, यदि ऐसा नहीं होता तो इन्हें चुनाव आयोग हटा देगा।
मंत्रालय स्तर पर अफसरों के काम-काज में फेरबदल होने के साथ ही संभावना जताई जा रही थी कि अब कलेक्टरों की बारी है, लेकिन गेंहूं खरीदी के चलते कलेक्टरों के तबादले टाल दिए गए। तय किया गया कि चूंकि 31 मई तक गेंहू खरीदी होना है, इसलिए कलेक्टरों के तबादले 31 मई तक न किए जाएं। अब चूंकि गेंहू खरीदी के लिए निर्धारित समय समाप्त होने वाला है, इसलिए मंत्रालय में हलचल बढ़ी है। अधिकांश कलेक्टरों ने भी मंत्रालय में नजर रखना शुरू कर दी है। उनकी रुचि इसमें ज्यादा है कि उनकी कलेक्टरी सुरक्षित रहे।
परीक्षा से कम नहीं है गेंहू खरीदी -
प्रदेश में गेंहू खरीदी के दौरान जिस प्रकार से किसान सड़कों पर आए, बारदानों की कमी के चलते उनकी नाराजगी बढ़ी, यह स्थिति कलेक्टरों के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं थी। हालांकि ज्यादा कलेक्टरों ने इसमें सफलता हासिल की है। प्रदेश में अब स्थिति शांत है। ऐसे में कलेक्टरी कर रहे ज्यादातर अफसर अपनी कलेक्टरी सुरक्षित मान रहे हैं। कलेक्टरी सुरक्षित मानने का एक कारण मुख्य सचिव द्वारा कलेक्टरो की पीठ थपथपाना भी है। क्योंकि प्रदेश के दौरे पर पहुंचे मुख्य सचिव आर परशुराम ने संभागीय मुख्यालयों में समीक्षा के दौरान फील्ड में पदस्थ अफसर अफसरों के काम-काज के प्रति संतोष प्रकट किया था।
सीएम सचिवालय सक्रिय -
कलेक्टरों के काम-काज को लेकर सीएम सचिवालय सक्रिय है। जिलों से मिल रहे फीडबैक के आधार पर उनका रिपोर्टकार्ड तैयार हो रहा है। प्रयास यही है कि फील्ड में उन्ही अफसरों को रखा जाएगा जो बेहतर काम कर रहे हों, क्योंकि अगले वर्ष प्रदेश में विधानसभा के आम चुनाव होना है। ऐसे में चुनावों को ध्यान में रखकर अफसरों की पोस्टिंग होगी। एक ही जिले में तीन वर्ष से अधिक समय तक जमे अफसरों को हटाया जाना तय है, यदि ऐसा नहीं होता तो इन्हें चुनाव आयोग हटा देगा।
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