Thursday, June 7, 2012

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‘सुशासन’ पर सवाल .....!

सरकारी काम-काज में सुशासन लाने के लिए गठित स्कूल आॅफ गुड गर्वनेंस सुर्खियों में है। मामला यहां के महानिदेशक (डीजी) की नियुक्ति से जुड़ा है। सरकार यहां चयन के स्थान पर मनोनयन के माध्यम से नियुक्ति के प्रयास में है। अब मामला राजभवन पहुंच गया है।

जून 2007 में स्कूल आॅफ गुड गर्वनेंस की स्थापना हुई थी। कैबिनेट में लिए गए निर्णय के तहत यहां के डीजी पद पर चयन के माध्यम से नियुक्ति होगी। कैबिनेट निर्णय पर अमल की बात आई तो चयन के स्थान पर मनोनयन से नियुक्ति कर दी गई। इसका खुलासा उस नोटशीट से हुआ जिसमें सामान्य प्रशासन विभाग की तत्कालीन प्रमुख सचिव ने मुख्यमंत्री भेजे प्रस्ताव में नियुक्ति के लिए चयन या मनोनयन का उल्लेख किया। मुख्यमंत्री ने इसमें मनोनयन करते हुए प्रो. एचपी दीक्षित को यहां का डीजी नियुक्त कर दिया। अबइस बार भी कुछ ऐसा ही दुस्साहस हो रहा है।

पूर्व मुख्य सचिव भी कतार में -
यहां के डीजी पद के लिए पूर्व मुख्य सचिव अवनि वैश्य सहित कई सेवानिवृत्त नौकरशाह भी कतार में हैं। इन सभी में अवनि वैश्य सबसे आगे हैं। प्रो. दीक्षित का कार्यकाल समाप्त होने के बाद से यह पद लम्बे समय से रिक्त है। यहां नियुक्ति को लेकर सरकार में हलचल तेज है।

राजभवन पहुंचा मामला -
गुड गर्वनेंस में डीजी पद पर मनोनयन की तैयारी और विवाद बढ़ने के कारण मामला राजभवन पहुंच गया है। ट्रांस्परेंसी इंटरनेशन इंडिया के सदस्य अजय दुबे ने राज्यपाल से आग्रह किया है कि कैबिनेट के निर्णय के तहत यहां चयन के माध्यम से ही नियुक्ति हो। उन्होंने सुप्रीमकोर्ट द्वारा पीजी थॉमस केस के फैसला का हवाला देते हुए कहा है कि ऐसे पदों पर चयन के माध्यम से ही नियुक्ति होना चाहिए। सरकार पूर्व मुख्य सचिव की नियुक्ति की तैयारी कर रही है। पूर्व मुख्य सचिव का नाम लिए बगैर इन्होंने लिखा है कि पूर्व मुख्य सचिव की ईमानदारी संदिग्ध है। चयन के माध्यम से योग्यता को महत्व मिलेगा।

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