निलंबित आईएएस अधिकारी राजेश राजौरा की फाइल फिर से खुलने जा रही है। सरकार
इनके खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच करने जा रही है। मालूम हो आयकर कार्रवाई के
दौरान इनके यहां आकूत दौलत मिलने के बाद राज्य सरकार ने इन्हें निलंबित कर
दिया था, तभी से ये निलंबित चल रहे हैं। राजेश राजौरा के यहां आयकर
कार्रवाई के दौरान आयकर अफसरों को नगद राशि तो बहुत ही कम मिली, लेकिन उनके
यहां मिले अचल संपत्ति के दस्तावेज देखकर उनकी आंखी फटी की फटी रह गर्इं।
उन्होंने प्रदेश सहित प्रदेश के बाहर कई जगह जमीन इत्यादि में इंवेस्ट किया
था। आयकर विभाग ने विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर सरकार को भेजी तो सरकार ने
राजौरा को निलंबित कर दिया। हालांकि निलंबन के विरोध में ये कैट में भी गए।
इन्होंने सरकार के निर्णय को चुनौती देते हुए निलंबन को अनुचित बताया था।
मामला कैट में होने के कारण सरकार इनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू नहीं कर
पाई। हाल ही में इन्होंने अपनी याचिका वापस ले ली है। राज्य को इसकी सूचना
मिल गई है। इसलिए सरकार अब विभागीय जांच कराए जाने को स्वतंत्र है। सरकार
ने राजौरा से जुड़े मामले की फाइलें खंगालना शुरू कर दी है।
हाल ही में बढ़ी है निलंबन अवधि : 24 फरवरी 2010 से निलंबित चल रहे आईएएस
अधिकारी राजेश राजौरा की हाल ही में निलंबन अवधि बढ़ाई जा चुकी है। अब इनकी
निलंबन अवधि छह माह के लिए बढ़ाई गई है। यानी जांच पूरी होने तक ये निलंबित
रहेंगे।
पूर्व मुख्य सचिव करेंगी जांच : राजौरा के खिलाफ विभागीय जांच की
जिम्मेदारी पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच को सौंपी गई है। मालूम हो राजौरा
के निलंबन के साथ ही राज्य सरकार ने विभागीय जांच के लिए जांच अधिकारी
नियुक्त कर दिया था, लेकिन मामला कैट में होने के कारण जांच रुकी थी।
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