Monday, May 14, 2012

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आईएएस थेटे का लोकायुक्त पर निशाना

वरिष्ठ आईएएस अफसर रमेश थेटे ने लोकायुक्त संगठन की कार्यवाही पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा है कि लोकायुक्त की कार्यवाही निष्पक्ष नहीं है। संगठन जानबूझकर निरीह लोगों को फंसाने का काम कर रहा है। जो मामले खात्मे लगाने लायक हैं, उनमें खात्मा तो नहीं लगता, लेकिन जिसमें खात्मा नहीं लग सकता,उसमें खात्मा लगा दिया जाता है। ‘प्रदेश टुडे’ से चर्चा करते हुए उन्होंने थेटे ने लोकायुक्त जस्टिस पीपी नावलेकर की सम्पत्ति की जांच कराए जाने की मांग भी की।
लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद वापस नौकरी पाने वाले थेटे सरकार के रवैया से भी खासे नाराज हैं। वे कहते हैं कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक वर्ष पूर्व यानी 2 मई 2011 को बहाली के आदेश दिए थे, बहाली तो हुई लेकिन आज दिनांक तक बराबरी का सम्मान नहीं मिल सका। बार-बार आग्रह किए जाने के बाद भी प्रमोशन नहीं दिया जा रहा है जबकि मुझझे तीन वर्ष जूनियर अफसर प्रमोशन सचिव बन गए जबकि मुझे यह ओहदा नहीं दिया गया। सरकार कहती है कि धैर्य रखें सब ठीक हो जाएगा, लेकिन कब तक धैर्य रखा जाए। अभी तक धैर्य ही रखता आया हूं।
जानबूझकर मुझे फंसाया -
लोकायुक्त संगठन पर निशाना साधते हुए उज्जैन के एडीशनल कमिश्नर थेटे कहते हैं कि मुझे जानबूझकर फंसाया गया है। जब मेरे यहां लोकायुक्त कार्यवाही हुई थी तब मेरे निवास पर मात्र 50 रुपए और पत्नी का मंगलसूत्र लोकायुक्त पुलिस को मिला था, इसके बाद भी मेरे खिलाफ झूठा केस बना दिया गया। जबकि यह मामला कहीं से नहीं बनता। उन्होंने सवाल उठाया कि लोकायुक्त अधिकारियों के यहां कभी छापा क्यों नहीं पड़ता, पुलिस अफसर लोकायुक्त के घेरे में क्यों नहीं आते। वे कहते हैं कि संगठन सिर्फ कमजोर लोगों के खिलाफ कार्यवाही करने का साहस दिखाता है।


मैं प्रोपर्टी की जांच कराने को तैयार हूं - नावलेकर
लोकायुक्त जस्टिस पीपी नावलेकर कहते हैं कि मैं प्रोपर्टी की जांच कराने को तैयार हूं। मेरे पास ऐसा कुछ नहीं है जो गोपनीय हो। जहां तक लोकायुक्त संगठन की कार्यवाही की है तो यह कार्यवाही निष्पक्ष होती है। वे कहते हैं कि जांच मैं नहीं करता बल्कि पुलिस करती है, जो सबूत मिलते हैं उसी आधार पर कार्यवाही होती है। रमेश थेटे द्वारा आरोप लगाए जाने के सवाल पर वे कहते हैं कि आरोप तो कोई भी लगा सकता है, बोलने के लिए सभी स्वतंत्र हैं।

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