Tuesday, May 29, 2012

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सीबीआई पर टिका IAS के सुरेश का भविष्य

 भ्रष्टाचार के मामले में फंसे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के सुरेश की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सरकार इनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा चलाए जाने की अनुमति तो सीबीआई को पहले ही दे चुकी है अब इनके निलंबन की तैयारी है। इसके लिए सीबीआई के पत्र की प्रतीक्षा की जा रही है।

मध्यप्रदेश कॉडर में 1982 बैच के आईएएस अधिकारी के सुरेश पर भ्रष्टाचार के छींटे तब पड़े जब केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहते हुए चेन्नई पोर्ट ट्रस्ट के अध्यक्ष और सेतु समुद्रम परियोजना के सीईओ थे। मामला वर्ष 2004 से 2009 के बीच का है। भ्रष्टाचार की शिकायतों के चलते सीबीआई सक्रिय हुई। और इसी दौरान उनके यहां सीबीआई ने छापामार कार्यवाही की। छापे के कार्यवाही के दौरान इनके यहां मिले दस्तावेजों को सीबीआई ने जब्त किया। जांच में इन्हें दोषी मानते हुए अभियोजन की स्वीकृति मांगी। मध्यप्रदेश वापसी पर सरकार ने इन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाते रहे के सुरेश अब टीआरआई के निदेशक हैं। अब सरकार इनके खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति भी दे चुकी है। यानी इनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा चलाए जाने के लिए सीबीआई स्वतंत्र है। अभियोजन की स्वीकृति दिए हुए राज्य सरकार को लम्बा समय हो चुका है, लेकिन अभी तक सीबीआई ने सरकार को यह नहीं बताया कि के सुरेश के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश कर दिया गया है या नहीं। राज्य सरकार सीबीआई को दो बार रिमांडर भी भेज चुकी है, लेकिन सीबीआई ने पत्र का जवाब अभी तक नहीं दिया है। सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार ने के सुरेश की फाइल तैयार कर ली है, सीबीआई का पत्र मिलते ही उन्हें निलंबित किया जा सकता है, क्योंकि भ्रष्टाचार के मामले में सख्त रुख अपनाए सरकार ऐसे मामलों में अभी तक कई अफसरों को निलंबित कर चुकी है।

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