Tuesday, May 29, 2012

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सुर्खियों में आए प्रदेश के IAS अफसर

 क्या आपने कभी कल्पना की थी कि हक की लड़ाई के लिए नौकरशाह सड़क पर आ जाएंगे। लेकिन मध्यप्रदेश में यह सब हो रहा है। महिला आईएएस अधिकारी शशि कर्णावत प्रमुख सचिव स्तर के आईएएस अफसर राधेश्याम जुलानिया के खिलाफ जिस तरह से मुखर हुई हैं, उससे प्रदेश के नौकरशाह एक बार फिर सुर्खियों में आ गए हैं। हालांकि मामला पदोन्नति में आरक्षण से जुड़ा है, लेकिन किसी जूनियर आईएएस अफसर द्वारा सीनियर अफसर के खिलाफ इस तरह खुलकर सामने आ जाने से सरकार भी असमंजस में है।

यह पहला मौका नहीं है जब कोई आईएएस अफसर इस तरह से मुखर हुआ हो। रैली के साथ कलेक्टर कार्यालय और थाने में एफआईआर के लिए आवेदन देने से कर्णावत दिनभर चर्चाओं में रहीं। अजाक्स, अपाक्स सहित अन्य आरक्षित वर्ग के संगठनों को एकत्रित कर बनाए गए आरक्षण बचाओ संघर्ष मोर्चा की संयोजक शशि कर्णावत के मामले में अब राज्य सरकार भी गंभीर हुई है। अब सरकार ऐसा संदेश देना चाहती है कि दोबारा ऐसा न हो, जिससे एक नौकरशाह किसी अन्य नौकरशाह के खिलाफ इस तरह खुलकर सामने आ जाए। सरकार में उपेक्षा का शिकार कर्णावत लम्बे समय से न्याय के लिए संघर्ष कर रहीं है, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिल सका है।

इनके भी सुर मुखर रहे
रमेश थेटे -
लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद नौकरी बहाली हुई, लेकिन प्रमोशन न मिलने से दु:खी थेटे ने मंत्रालय के सामने आत्मदाह करने तक धमकी दे दी थी। उनका तर्क है कि प्रमोशन के नाम पर लगातार अडंगा लगाया जा रहा है। उनसे जूनियर अफसर सचिव बन चुके हैं जबकि वे अभी उप सचिव ही हैं। उन्होंने तो यहां तक आरोप लगाया कि वे आरक्षित वर्ग के हैं इसलिए उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है।
मधुरानी तेवतिया -
आईपीएस पति की मौत पर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाते मुखर हुर्इं। महिला आईएएस अधिकारी मधुरानी तेवतिया ने तो यहां तक कह दिया उन्हें अब मध्यप्रदेश में नौकरी नहीं करना, उनके ससुर ने यह कहकर सनसनी फैला दी प्रदेश में उनकी आईएएस बहु की सुरक्षा को खतरा है। हालांकि मधुरानी के आवेदन पर मध्यप्रदेश सरकार ने उन्हें कॉडर बदलने की अनुमति दे दी है।

नवनीत कोठारी -
भोपाल में पदस्थापना के दौरान सरकारी आवास आवंटित हुआ। इसी बीच इनका तबादला खरगौन हो गया। खरगौन कलेक्टर की जिम्मेदारी मिलने के साथ ही उन्हें खरगौन में सरकारी बंगला मिल गया, लेकिन इन्होंने भोपाल का सरकार मकान नहीं छोड़ा। ऐसे में सरकार ने इनसे भोपाल का बंगला खाली करने का नोटिस दिया तो ये सरकार के निर्णय के खिलाफ कोर्ट चले गए। हालांकि कोर्ट से इन्हें राहत नहीं मिली।

राजेश राजौरा -
आयकर कार्यवाही के दौरान इनके यहां आकूत दौलत मिलने के कारण राज्य सरकार ने इन्हें निलंबित कर दिया। निलंबन के साथ ही इनके खिलाफ विभागीय जांच की कार्यवाही शुरू हुई, लेकिन ये सरकार के निर्णय के खिलाफ कैट चले गए और कैट ने सरकार के आदेश पर स्थगन दे दिया। ऐसे में न तो इन्हें प्रमोशन मिल सका और न ही निलंबन समाप्त हुआ। अब इनके तेवर ठण्डे हैं, कैट में दाखिल याचिका वापस ले ली है।

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