Tuesday, May 8, 2012

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31 तक नहीं होंगे कलेक्टरों के तबादले

कलेक्टरी छिनने का तनाव झेल रहे आईएएस अफसरों के लिए यह राहत भरी खबर हो सकती है क्योंकि इस महीने किसी भी कलेक्टर का तबादला नहीं होगा। गेंहू खरीदी को लेकर प्रदेश में बने हालातों को देखते हुए ऐसा निर्णय लिया गया है। यानी जब तक गेंहू खरीदी होती रहेगी अफसरों की कलेक्टरी सुरक्षित रहेगी।
इसी माह की एक तारीख को आर परशुराम द्वारा मुख्य सचिव पद की जिम्मेदारी संभालने के साथ ही आईएएस अफसरों के तबादलों की अटकलें शुरू हो गई थीं। तर्क दिया जा रहा था कि एक हफ्ते में परशुराम अपनी टीम तैयार कर लेंगे, लेकिन हालातों को देखते हुए ऐसा नहीं हुआ। हालांकि यह तय है कि टीम परशुराम जब भी बनेगी बहुत ताकतवर होगी। मुख्यमंत्री भी यही चाहते हैं कि फील्ड में अब ऐसे अफसरों को पदस्थ किया जाए तो जिन्हें आगामी विधानसभा चुनाव तक न हटाना पड़े। जाहिर है ऐसे अफसरों की पदस्थापना बदली जाएगी, जिन्हें एक ही जिले में तीन वर्ष हो गए हैं या फिर अगले वर्ष तीन साल पूरे हो जाएंगे। इस क्राइट एरिया में आए अफसरों की सूची तैयार कर ली गई है। लेकिन अभी इनकी पदस्थापना के मामले में अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है।
इन जिलों को मिलेंगे नए कलेक्टर -
प्रदेश के तीन जिले ऐसे हैं जहां नए कलेक्टर मिलना तय है। इनमें सागर, शाजापुर और श्योपुर जिला शामिल है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि शाजापुर कलेक्टर सोनाली वायंगणकर और श्योपुर कलेक्टर ज्ञानेश्वर पाटिल ने मध्यप्रदेश में सेवाएं न देने का निर्णय लेते हुए महाराष्ट्र कॉडर मांगा है। इसी प्रकार सागर कलेक्टर इ. रमेश कुमार आंध प्रदेश कॉडर में जाना चाहते हैं। इन अफसरों के आवेदनों पर विचार हो रहा है।
अफसरों में सक्रियता -
यह तो तय है कि प्रदेश में किसानों से गेंहू खरीदी तक कलेक्टरों के तबादले नहीं होंगे। इसके पहले गेंहू खरीदी 20 मई तक होना थी, इसके बाद कलेक्टरों के तबादले होना थे, लेकिन अब यह तिथि बढ़ाकर 31 मई कर दिए जाने से अफसरों ने राहत की सांस तो ली है, लेकिन उनकी सक्रियता में कोई कमी नहीं आई है। लम्बे समय से जो कलेक्टरी का सुख भोग रहे हैं वे कलेक्टरी छोड़ना नहीं चाहते, तीन वर्ष के क्राइट एरिया में आने वाले अफसरों का प्रयास है कि उन्हें नए जिले की जिम्मेदारी मिल जाए। जो अफसर कलेक्टरी सुख से वंचित हैं वे ज्यादा सक्रिय हैं। इसके लिए वे राजनैतिक संबंधों का भी इस्तेमाल करने में भी परहेज नहीं बरत रहे हैं।

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