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अपनों से ही बचती नजर आएगी सरकार
16 जुलाई से शुरू हो रहा विधानसभा सत्र बहुत हंगामा भरा होने के आसार हैं। विपक्षी दल ने तो सरकार को सदन में घेरने की तैयारी कर ली है, वहीं सत्ता पक्ष के विधायक भी पीछे नहीं हैं। उन्होंने गेंहू खरीदी, भ्रष्टाचार, सरकारी धन का दुरुपयोग, कानून व्यवस्था जैसे तीखे सवाल पूछे हैं। अब सरकार बचाव की मुद्रा में है।
विधानसभा का मानसून सत्र वैसे तो छोटा है, 12 दिवसीय सत्र में कुल 10 बैठकें होना है। सत्र की घोषणा के साथ ही विधानसभा सचिवालय में विधायकों के सवाल आना शुरू हो गए। अब सवालों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए राज्य की भाजपा सरकार भी जानती है कि विपक्ष के तेवर तीखे होंगे, सरकार उनका मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। मंत्रियों से कहा गया है कि वे तैयारी के साथ सदन में मौजूद रहें।
गेंहू खरीदी पर अधिक रुचि -
सत्तापक्ष हो या फिर विपक्षी दल के विधायक, सभी ने गेंहू खरीदी से जुड़े सवाल अधिक पूछे हैं। आरोप हैं कि सरकार की लापरवाही के कारण ही किसानों को परेशान होना पड़ा। उनका गेंहू समय पर नहीं खरीदा गया। खुले में पड़ा गेंहू सड़ गया। भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग से जुड़े सवाल भी तीखे हैं। इसके अलावा सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, अवैध उत्खनन से जुड़े सवालों पर भी सरकार को घेरने का प्रयास किया गया है।
नौकरशाह भी निशाने पर -
विधायकों के निशाने पर प्रदेश सरकार के अफसर और नौकरशाह भी निशाने पर हैं। अफसरों के यहां मिल रही आकूत दौलत और सरकार द्वारा कथित तौर पर बचाव संबंधी सवाल भी विधायकों ने पूछे हैं।
एक-एक विभाग के लिए दो दिन -
विधायकों को सवाल पूछने और मंत्रियों को जवाब देने के लिए दो दिन का निर्धारित किए गए हैं।
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