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दागी नौकरशाहों को माफी ...!
मनरेगा के दागी दो नौकरशाहों सुखवीर सिंह और चंद्रशेखर बोरकर को अब राज्य सरकार माफ करने की तैयारी में है। तर्क दिया जा रहा है कि युवा अफसरों से जोश में गलती होना स्वभाविक है, गलती जानबूझकर नहीं हुई।
मामला वर्षों पुराना है, जब सुखबीर सिंह सीधी जिले के कलेक्टर थे और चंद्रशेखर बोरकर उसी जिले के सीईओ थे। आरोप हैं कि इन्होंने वहां जैट्रोफा के पौधों को ढाई करोड़ के इंजेक्शन लगवा दिए। तर्क दिया गया कि इन हार्मोन के इंजेक्शन से पौधे तेजी से बढ़ने लगेंगे। आरोप यह भी रहा कि इन्होंने जेट्रोफा बीज की सप्लाई, पौधों की खाद, कीटनाशक दवाओं और ग्रोथ हार्मोस के छिड़काव का काम एकमात्र फर्म ओम सांई बायोटेक, रीवा से कराया और भुगतान स्व-सहायता समूहों से करवाया। जबकि कंपनी के पास न तो टिन नंबर है और न ही रासायनिक दवा बेचने का पंजीयन। मामले की जांच में प्रथम दृष्टया में इन दोनों अफसरों को दोषी पाया गया। इसके बाद भी इन पर कार्यवाही नहीं हुई। चूंकि मामला पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से जुड़ा है, इसलिए विभाग सरकार को लगातार कहता रहा कि दोषी अफसरों पर कार्यवाही की जाए, लेकिन इन पर कार्यवाही तो दूर इन्हें लगातार बेहतर पोस्टिंग मिलती रही। बोरकर तो वर्ष 2002 से लगातार कलेक्टरी कर रहे हैं। सुखवीर सिंह की भी कुछ ऐसी ही स्थिति रही है।
सदन में हुई गूंज -
पौधों को हार्मोन के इंजेक्शन लगाए जाने की गूंज पिछले मानसून सत्र में भी हुई। दोषी अफसरों को बचाए जाने का आरोप लगाते हुए विपक्षी दल के सदस्यों ने सरकार को घेरने का प्रयास किया। उस दौरान पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने सदन को जानकारी दी थी कि अफसर जांच में दोषी पाए गए हैं, कार्यवाही करने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को लिखा गया है। तभी से यह फाइल मंत्रालय में धूल खा रही थी।
प्रभावी अफसर हैं -
ये दोनों युवा आईएएस अफसर नौकरशाहों में काफी प्रभावी माने जाते हैं। सुखवीर सिंह भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के रिश्तेदार हैं, जबकि बोरकर सेवानिवृत्त आईएएस अफसर के दामाद हैं।
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