Friday, July 20, 2012

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स्पीकर रोहाणी सेफ ...!

विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी के प्रति अविश्वास प्रकट करते हुए विपक्षी सदस्यों ने भले ही सचिवालय को अविश्वास प्रस्ताव दिया हो, लेकिन स्पीकर के लिए यह राहत की बात है कि वे पूरी तरह सुरक्षित (सेफ) हैं।
राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सदन में सरकार को घेरने की हरसंभव कोशिश की। ये भ्रष्टाचार पर चर्चा कराए जाने को अड़े रहे। मानसून सत्र के पहले दिन यानी 16 जुलाई को जब मांग नहीं मानी गई तो 17 जुलाई को तो विपक्षी दल के सदस्यों ने स्पीकर के कक्ष के सामने धरना दे दिया। मुख्य विपक्षी दल ने स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रकट करते हुए विधानसभा के प्रमुख सचिव को अविश्वास प्रस्ताव भी दिया। चूंकि अविश्वास प्रस्ताव स्पीकर के खिलाफ है, इसलिए सचिवालय अभी भी माथापच्ची में जुटा है। नियमों को खंगाला जा रहा है, विधानसभा कार्यसंचालन नियमों को देखकर तो यही कहा जा रहा है कि स्पीकर रोहाणी की कुर्सी सुरक्षित है। हालांकि अविश्वास प्रस्ताव अभी अमान्य नहीं किया गया है, सचिवालय कभी भी यह फाइल बंद कर सकता है।
यह है नियम -
विधानसभा कार्यसंचालन नियम के तहत विधानसभा अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की सूचना 14 दिन पूर्व देना अनिवार्य है। यह भी देखना जरूरी है कि सूचना देने के बाद कार्रवाई के लिए 14 दिन शेष हैं या नहीं। स्पीकर के लिए यही नियम राहत का है क्योंकि मानसून सत्र मात्र 12 दिन का था, और इसमें 10 बैठकें होना थीं। सत्र की एक बैठक हो चुकी थी। यानी 14 दिन का समय ही नहीं था। सदन की कार्रवाई भी समय से पहले स्थगित हो गई। सचिवालय के एक जिम्मेदारी अधिकारी बताते हैं कि ऐसी परिस्थिति में अविश्वास प्रस्ताव स्वयं ही अमान्य हो जाएगा।
10 फीसदी सदस्यों की सहमति जरूरी -
विधानसभा अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को मान्य किए जाने के मामले में सदन में मौजूद 10 फीसदी सदस्यों की सहमति जरूरी है। यानी 230 सदस्यों वाली विधानसभा के यदि 23 सदस्य सदन में अविश्वास के पक्ष में अपना वोट देते हैं तो प्रस्ताव मान्य हो जाता है, यानी जिसके खिलाफ प्रस्ताव लाया जाता है उसे कुर्सी छोड़ना होगी।

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