Saturday, July 14, 2012

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नहीं खुल सकी आईएएस राजौरा की फाइल


मध्यप्रदेश कॉडर में 1990 बैच के आईएएस अफसर राजेश राजौरा की फाइल खुलने का रास्ता साफ होने के बाद भी सरकार ऐसा नहीं कर पा रही है। लम्बे समय से निलंबन का बोझ झेल रहे राजौरा भी चाहते हैं कि उनके मामले में सरकार शीघ्र निर्णय ले, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है।
गृह सचिव रहते हुए करीब तीन वर्ष पूर्व आयकर छापे के दौरान इनके यहां आय से अधिक सम्पत्ति और करोड़ों रुपए की अचल सम्पत्ति के दस्तावेज मिलने के बाद से राज्य सरकार ने इन्हें निलंबित कर दिया था। आरोप था कि स्वास्थ्य विभाग के सचिव रहते हुए इन्होंने करोड़ों रुपए की दौलत कमाई। छापे की कार्यवाही के बाद आयकर विभाग ने जो रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी उसमें इसका विस्तृत भी दिया। निलंबन के बाद राज्य सरकार ने इनके खिलाफ विभागीय जांच की कार्यवाही भी शुरू की। सेवानिवृत्त मुख्य सचिव श्रीमती निर्मला बुच को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया। विभागीय जांच शुरू होती इसके पहले ही ये सेंट्रल एडमिनिस्टेÑटिव ट्रिव्युनल (कैट) चले गए। कैट में इन्होंने सरकार की कार्यवाही को चुनौती दी। कोर्ट ने सरकार की कार्यवाही पर स्थगन देते हुए इन्हें राहत दी, इससे विभागीय जांच तो शुरू नहीं हो सकी, लेकिन इनकी बहाली नहीं हुई। सूत्रों का कहना है कि 24 फरवरी 2010 से निलंबित चल राजौरा ने बहाली के अनेक प्रयास किए लेकिन इन्हें सफलता नहीं मिल सकी। निलंबित चलने के कारण इनको प्रमोशन इत्यादि के लाभ भी नहीं मिल पा रहे थे, आखिरकार इन्होंने कैट से याचिका वापस ले ली। राज्य सरकार को पिछले माह इसकी सूचना भी मिल चुकी है, यानी सरकार अब विभागीय जांच कराए जाने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन अभी तक जांच शुरू नहीं हो पाई है।
यह करना है सरकार को -
चूंकि राज्य सरकार विभागीय जांच के लिए जांच अधिकारी तो पहले ही नियुक्त कर चुकी है। चूंकि जांच शुरू होने के पहले ही कैट का स्थगन मिल गया था। इसलिए अब सरकार को चाहिए कि वह जांच अधिकारी को पत्र लिखकर विभागीय जांच शुरू करने के लिए कहे, लेकिन डेढ़ माह बाद भी सरकार जांच अधिकारी को पत्र नहीं लिख सकी है।

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