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IAS कटेला के भाग्य का फैसला इसी हफ्ते
लम्बे समय से निलंबित चल रहे आईएएस विनोद कटेला के भाग्य का फैसला इसी सप्ताह हो जाएगा। ये एक महिला कर्मचारी से ज्यादती के आरोप में मई 2007 से निलंबित हैं। न्यायालय में आरोप सिद्ध नहीं हो पाने के कारण इन्हें बरी किया जा चुका है।
विनोद कटेला की निलंबन अवधि 15 जुलाई तक है, अब सरकार को तय करना है कि इनकी निलंबन अवधि बढ़ाई जाए या फिर इन्हें बहाल किया जाए। कोर्ट द्वारा इन्हें बरी किए जाने के आधार पर इनको बहाल किए जाने की संभावना अधिक है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इन्हें जिस मामले में निलंबित किया गया था, उसी आरोप से ये बरी हो चुके हैं। इनके मामले में तय कमेटी की बैठक जल्द ही होने वाली है, इसी कमेटी के समक्ष इनकी बहाली के संबंध में भी निर्णय भी होगा। मामला 19 मार्च 1999 का है जब जब ये बिलासपुर जिला पंचायत में सीईओ थे। उस दौरान उनके अधीनस्थ आदिम जाति कल्याण विभाग की एक अधीक्षिका ने इनके ऊपर ज्यादती का आरोप लगाया था। महिला ने घटना के एक नवम्बर 2000 को अनुसूचित कल्याण थाने में ज्यादती की रिपोर्ट दर्ज कराई। इसी मामले में न्यायालय में इनके खिलाफ चालान पेश किया गया और गिरफ्तारी भी हुई। इधर मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2007 में इन्हें निलंबित करते हुए विभागीय जांच भी शुरू कर दी। विभागीय जांच अभी भी जारी है।
गिरफ्तारी के तरीके पर आपत्ति -
आईएएस अफसर कटेला भले ही के आरोपी रहे हों, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा उस दौरान उन्हें गिरफ्तार किए जाने के तरीके पर सख्त आपत्ति की थी। कटेला वर्ष 2003 में जबलपुर से गिरफ्तार किए गए थे, उस दौरान ये जबलपुर में एडीशनल कमिश्नर हुआ करते थे। छत्तीसगढ़ पुलिस जबलपुर आई और कटेला को अपने साथ ले गई, मध्यप्रदेश सरकार को इसकी भनक तब लगी पुलिस उन्हें यहां से उठा ले गई। इस पर मध्यप्रदेश सरकार ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए आपत्ति की थी कि छत्तीसगढ़ पुलिस को मध्यप्रदेश आने के पहले सूचना देना चाहिए थी। हालांकि मामले की गंभीरता को देखते हुए 14 मई 2007 को मध्यप्रदेश सरकार ने कटेला को निलंबित कर दिया था।
विनोद कटेला की निलंबन अवधि 15 जुलाई तक है, अब सरकार को तय करना है कि इनकी निलंबन अवधि बढ़ाई जाए या फिर इन्हें बहाल किया जाए। कोर्ट द्वारा इन्हें बरी किए जाने के आधार पर इनको बहाल किए जाने की संभावना अधिक है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इन्हें जिस मामले में निलंबित किया गया था, उसी आरोप से ये बरी हो चुके हैं। इनके मामले में तय कमेटी की बैठक जल्द ही होने वाली है, इसी कमेटी के समक्ष इनकी बहाली के संबंध में भी निर्णय भी होगा। मामला 19 मार्च 1999 का है जब जब ये बिलासपुर जिला पंचायत में सीईओ थे। उस दौरान उनके अधीनस्थ आदिम जाति कल्याण विभाग की एक अधीक्षिका ने इनके ऊपर ज्यादती का आरोप लगाया था। महिला ने घटना के एक नवम्बर 2000 को अनुसूचित कल्याण थाने में ज्यादती की रिपोर्ट दर्ज कराई। इसी मामले में न्यायालय में इनके खिलाफ चालान पेश किया गया और गिरफ्तारी भी हुई। इधर मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2007 में इन्हें निलंबित करते हुए विभागीय जांच भी शुरू कर दी। विभागीय जांच अभी भी जारी है।
गिरफ्तारी के तरीके पर आपत्ति -
आईएएस अफसर कटेला भले ही के आरोपी रहे हों, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा उस दौरान उन्हें गिरफ्तार किए जाने के तरीके पर सख्त आपत्ति की थी। कटेला वर्ष 2003 में जबलपुर से गिरफ्तार किए गए थे, उस दौरान ये जबलपुर में एडीशनल कमिश्नर हुआ करते थे। छत्तीसगढ़ पुलिस जबलपुर आई और कटेला को अपने साथ ले गई, मध्यप्रदेश सरकार को इसकी भनक तब लगी पुलिस उन्हें यहां से उठा ले गई। इस पर मध्यप्रदेश सरकार ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए आपत्ति की थी कि छत्तीसगढ़ पुलिस को मध्यप्रदेश आने के पहले सूचना देना चाहिए थी। हालांकि मामले की गंभीरता को देखते हुए 14 मई 2007 को मध्यप्रदेश सरकार ने कटेला को निलंबित कर दिया था।
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