Monday, August 27, 2012

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कलेक्टरों की राय होती रहे ‘परख’


सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन और उनका फीडबैक लेने के लिए मुख्य सचिव परख कार्यक्रम के जरिए इनकी जमीनी हकीकत जानने का प्रयास करते हैं, लम्बे समय से चल रहे इस कार्यक्रम को अब और बेहतर बनाने की कवायद शुरू हुई है। इसी के तहत मुख्य सचिव ने कलेक्टरों, कमिश्नरों से फीडबैक लेना शुरू किया है। प्रारंभिक तौर पर हुई चर्चा के दौरान ज्यादातर कलेक्टरों का यही सुझाव रहा कि यह कार्यक्रम चलता रहना चाहिए।
मुख्य सचिव आर परशुराम ने परख कार्यक्रम के दौरान कल एक दर्जन अफसरों के सुझाव मांगे। उन्होंने जानना चाहा कि परख कार्यक्रम के मौजूदा स्वरूप में क्या परिवर्तन हो सकता है, या फिर इसे इसी तरह चलते रहना चाहिए। इस पर भोपाल, जबलपुर, रायसेन, बैतूल, हरदा, रीवा, सिवनी इत्यादि जिलों के कलेक्टरों ने सुझाव दिया कि परख कार्यक्रम चलते रहना चाहिए। इसी प्रकार रीवा और जबलपुर कमिश्नर से भी सुझाव मांगे लिए गए। ये भी इस कार्यक्रम के पक्ष में नजर आए। हालांकि ज्यादातर अफसर इस बात पर सहमत रहे कि इस कार्यक्रम के मौजूदा स्वरूप में कुछ परिवर्तन हो सकता है, लेकिन इसे बंद नहीं किया जाना चाहिए। यहां यह बताना जरूरी है कि परख कार्यक्रम के जरिए कृषि कार्यो फसलों की स्थिति एवं खाद, बीज, की उपलब्धता तथा वितरण की समीक्षा, स्कूल शिक्षा, स्वास्थ्य, जलाभिषेक सहित सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न अभियान की समीक्षा, प्रदेश में वर्षा और सूखे की स्थिति, महाविद्यालयों में रेगिंग की रोकथाम, आने वाले त्यौहारों पर कानून व्यवस्था की समीक्षा, नगरीय क्षेत्रों में नालियों की साफ-सफाई की स्थिति, उर्वरक व्यवस्था इत्यादि की समीक्षा होती है। कलेक्टरों का भी यही मानना है कि यह समीक्षा स्वयं मुख्य सचिव करते हैं, ऐसे में अन्य अफसर भी एलर्ट रहते हैं क्योंकि मुख्य सचिव सीधे जवाब तलब करते हैं।

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