Thursday, May 31, 2012

8:01 PM - No comments

प्रदेश से खत्म होगा आईएएस का 1974 बैच

मध्यप्रदेश में आईएएस कॉडर का 1974 बैच इस माह समाप्त हो जाएगा। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इस माह दो वरिष्ठतम आईएएस अफसर सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ये दोनों इसी बैच के हैं। इनमें एक मध्यप्रदेश में सेवाएं दे रहे हैं जबकि दूसरे केन्द्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर हैं।

रंजना चौधरी और केएम आर्चाय ऐसे दो अफसर हैं, जिन्हें प्रदेश के वरिष्ठतम आईएएस अफसरों का गौरव हासिल है। इनमें रंजना चौधरी मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मण्डल की अध्यक्ष हैं, जबकि केएम आचार्य वर्ष 2003 से केन्द्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर हैं। ये दोनों अफसर 30 जून को सेवानिवृत्त होंगे। यदि देश की बात की जाए तो इस बैच के एक आईएएस अफसर उत्तर कॉडर में है। ये भी केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। देश के सबसे ताकतवर अफसरों में शुमार ये हैं अजीत कुमार सेठ। ये कैबिनेट सेक्रेटरी हैं। पिछले वर्ष ही इन्हें यह महत्पूर्ण जिम्मेदारी मिली हैं। यदि ये कैबिनेट सेके्रटरी न बनते तो ये पिछले वर्ष ही सेवानिवृत्त हो जाते, लेकिन इन्हें दो वर्ष की सेवावृद्धि मिल चुकी है।

तेज तर्रार अफसर हैं रंजना चौधरी -
प्रदेश के तेज तर्रार अफसरों में शुमार रंजना चौधरी उस समय ज्यादा सुर्खियों में आ गर्इं जब इन्होंने सूचना आयोग में रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए मुख्य सचिव को पत्र लिखा। पत्र में इन्होंने सीधे तौर पर सरकार को सलाह दी थी कि रिक्त पदों पर योग्य और बेदाग अफसरों को ही नियुक्त किया जाए। मालूम हो तत्कालीन मुख्य सचिव भी राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त पद के लिए प्रवल दावेदारों में से एक रहे हैं। हालांकि अभी तक इस पर किसी अफसर की नियुक्ति नहीं हुई है।

अरुणा शर्मा का बढ़ेगा ओहदा -
एसीएस रंजना चौधरी के सेवानिवृत्त होने के साथ ही 1982 बैच की आईएएस अफसर अरुणा शर्मा एसीएस पद पर पदोन्नत होंगी, क्योंकि केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ डॉ. अमर सिंह के प्रदेश में जल्द लौटने की संभावना कम है, जबकि 1979 बैच की आईएएस अफसर स्नेहलता कुमार मध्यप्रदेश वापस लौटने के मूड में नहीं है। हालांकि उनकी प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त होने के बाद तीन माह के लिए केन्द्रीय योजना आयोग में सलाहकार बना दी गईं थीं। वहां का कार्यकाल भी समाप्त हो चुका है, अब वे अवकाश पर चलीं गई हैं। ऐसे में अरुणा शर्मा को प्रमोशन मिलने की पूरी संभावना है।

7:54 PM - No comments

निलंबन, बर्खास्तगी होना है IAS अफसरों की

सूबे के चार आईएएस अफसर ऐसे हैं जिनके भविष्य का फैसला केन्द्र सरकार को करना है, इनमें नौकरी से बर्खास्तगी, निलंबन, अनिवार्य सेवानिवृत्त इत्यादि प्रमुख है, लेकिन मामला केन्द्र सरकार के कार्मिक मंत्रालय में लंबित होने के कारण कोई निर्णय नहीं हो पा रहा है।

आयकर कार्यवाही के दौरान वरिष्ठ आईएएस अफसर अरविन्द जोशी और टीनू जोशी के यहां मिली आकूत दौलत के कारण प्रदेश के नौकरशाह अचानक सुर्खियों में आए। आयकर विभाग ने सरकार जो रिपोर्ट भेजी वह भी चौंकाने वाली थी। भ्रष्टाचार की काली कमाई उजागर होने के साथ ही राज्य सरकार ने इन्हें निलंबित कर दिया था। विभागीय जांच रिपोर्ट में इन्हें दोषी पाए जाने पर राज्य सरकार ने इन आईएएस दम्पत्ति को नौकरी से बर्खास्त किए जाने की सिफारिश केन्द्र सरकार को कर दी। अनुशंसा किए हुए करीब दो माह बीत जाने के बाद भी केन्द्र सरकार ने कोई निर्णय नहीं किया। राज्य सरकार को केन्द्र के निर्णय की प्रतीक्षा है।
मध्यप्रदेश कॉडर में 1999 बैच के आईएएस अफसर अनिल यादव को अनुशसानहीनता के कारण अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाना है। ये 25 जुलाई 2007 से 24 जुलाई 2009 तक के लिए अध्ययन अवकाश पर विदेश गए थे। अवकाश अवधि समाप्त होने पर इनको वापस लौटना था, लेकिन न तो ये वापस लौटे और न ही इन्होंने इसकी कोई सूचना राज्य सरकार को दी। जब ये चार साल बाद भी वापस नहीं लौटे तो सरकार सक्रिय हुई और इनकी तलाश शुरू हुई। न तो इन्होंने सरकार के पत्रों का जवाब दिया और न ही लौटने की सूचना दी। कलेक्टर के माध्यम से इन्हें नोटिस भेजा गया तो इन्होंने लौटने की सूचना तो दी, लेकिन वापस नहीं आए। सरकार ने इसे अनुशसानहीनता मानते हुए केन्द्र से अभिमत मांगा। लगातार रिमांडर भेजा जा रहा है, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक जवाब केन्द्र से नहीं मिला है।

मध्यप्रदेश कॉडर के आईएएस अधिकारी राघव चंद्रा कटनी जमीन खरीदी घोटाले के बाद सुर्खियों में आए। सुपीमकोर्ट इन्हें इस मामले में दोषी मान चुका है, लेकिन राज्य सरकार लगातार इनके बचाव में रही। अब चूंकि कोर्ट का रुख सख्त है, इसलिए अब राज्य ने गेंद केन्द्र के पाले में डाल दी है। केन्द्र सरकार से अभिमत मांगा गया है कि इनके खिलाफ क्या कार्यवाही होना है। क्योंकि कोर्ट ने इनके खिलाफ भ्रष्टाचार का प्रकरण दर्ज कर केस चलाए जाने को कहा है। राज्य सरकार केन्द्र को रिमांडर भी भेज चुकी है, लेकिन केन्द्र से कोई जवाब नहीं आया। कार्यवाही किए जाने में विलम्ब होने पर सुप्रीमकोर्ट ने सामान्य प्रशासन विभाग (कार्मिक) की प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

Tuesday, May 29, 2012

8:15 PM - No comments

अगले महीने होंगे कलेक्टरों के तबादले

 आईएएस अफसरों की बहुप्रतिक्षित तबादला सूची अगले माह जारी होगी। इसको लेकर मंत्रालय में होमवर्क शुरू हो गया है। इसमें कलेक्टर सहित फील्ड में पदस्थ अन्य अफसरों के प्रभावित होने की संभावना है।

मंत्रालय स्तर पर अफसरों के काम-काज में फेरबदल होने के साथ ही संभावना जताई जा रही थी कि अब कलेक्टरों की बारी है, लेकिन गेंहूं खरीदी के चलते कलेक्टरों के तबादले टाल दिए गए। तय किया गया कि चूंकि 31 मई तक गेंहू खरीदी होना है, इसलिए कलेक्टरों के तबादले 31 मई तक न किए जाएं। अब चूंकि गेंहू खरीदी के लिए निर्धारित समय समाप्त होने वाला है, इसलिए मंत्रालय में हलचल बढ़ी है। अधिकांश कलेक्टरों ने भी मंत्रालय में नजर रखना शुरू कर दी है। उनकी रुचि इसमें ज्यादा है कि उनकी कलेक्टरी सुरक्षित रहे।

परीक्षा से कम नहीं है गेंहू खरीदी -
प्रदेश में गेंहू खरीदी के दौरान जिस प्रकार से किसान सड़कों पर आए, बारदानों की कमी के चलते उनकी नाराजगी बढ़ी, यह स्थिति कलेक्टरों के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं थी। हालांकि ज्यादा कलेक्टरों ने इसमें सफलता हासिल की है। प्रदेश में अब स्थिति शांत है। ऐसे में कलेक्टरी कर रहे ज्यादातर अफसर अपनी कलेक्टरी सुरक्षित मान रहे हैं। कलेक्टरी सुरक्षित मानने का एक कारण मुख्य सचिव द्वारा कलेक्टरो की पीठ थपथपाना भी है। क्योंकि प्रदेश के दौरे पर पहुंचे मुख्य सचिव आर परशुराम ने संभागीय मुख्यालयों में समीक्षा के दौरान फील्ड में पदस्थ अफसर अफसरों के काम-काज के प्रति संतोष प्रकट किया था।

सीएम सचिवालय सक्रिय -
कलेक्टरों के काम-काज को लेकर सीएम सचिवालय सक्रिय है। जिलों से मिल रहे फीडबैक के आधार पर उनका रिपोर्टकार्ड तैयार हो रहा है। प्रयास यही है कि फील्ड में उन्ही अफसरों को रखा जाएगा जो बेहतर काम कर रहे हों, क्योंकि अगले वर्ष प्रदेश में विधानसभा के आम चुनाव होना है। ऐसे में चुनावों को ध्यान में रखकर अफसरों की पोस्टिंग होगी। एक ही जिले में तीन वर्ष से अधिक समय तक जमे अफसरों को हटाया जाना तय है, यदि ऐसा नहीं होता तो इन्हें चुनाव आयोग हटा देगा।

8:14 PM - No comments

मनमर्जी की कलेक्टरी

 अपनी कार्यप्रणाली के कारण सूबे के नौकरशाह सुर्खियों में आए हैं। इनके कुछ फैसले तो ऐसे हैं, जिससे सरकार की भी किरकिरी हो रही है। इनमें आला अफसरों के साथ ही जिले में कलेक्टरी कर रहे अफसर भी शामिल है। मनमर्जी से कलेक्टरी कर रहे आईएएस अफसरों पर अभी कोई लगाम नहीं है। यह जरूर है कलेक्टरों के मामले में सरकार बचाव की मुद्रा में ही नजर आती है।

सूबे के कलेक्टरों के काम-काज की आए दिन समीक्षा होती रहती है। मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री भी समय-समय पर उनसे चर्चा करते रहते हैं, लेकिन चिंतनीय यह है कि फील्ड में पदस्थ अफसर सरकार को सही जानकारी देने के बजाय मनमर्जी से रिपोर्ट भेजने में नहीं चूक रहे हैं। गेंहू खरीदी में जिस तरह से अफरा-तफरी मची, किसान सड़कों पर आ गए, लेकिन समय रहते सकरार को न तो इसकी सूचना दी गई और न ही कलेक्टरों ने स्थिति से निपटने के लिए कोई पुख्ता व्यवस्था की। मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव ने सीधे मोर्चा संभाला। मुख्यमंत्री ने औचक निरीक्षण किया, मुख्य सचिव भी संभागीय पर गए। वहीं समीक्षा बैठकें की। हालांकि अब स्थिति नियंत्रण में है। कलेक्टरों के फैसलों पर नजर डाली जाए तो ताजा मामला बड़वानी कलेक्टर श्रीमन शुक्ला से जुड़ा है। क्षेत्र की आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ने वाली माधुरीबाई को जिलाबदर कर दिया गया। इन पर कई संगीन आरोप लगाए गए। चंद ही दिनों में कलेक्टर को फैसला बदलना पड़ा। तर्क दिया गया कि आरोप सही नहीं है। माधुरीबाई आदिवासियों के हक के लिए लम्बे समय से लड़ाई लड़ रहीं है। इसलिए ये जिला प्रशासन की आंख की किरकिरी बनी और यह बेतुका फैसला ले लिया गया।

इनकी कलेक्टरी भी सर्खियों में -
एम गीता -
उज्जैन कलेक्टर हैं। छत्तीसगढ़ कॉडर आवंटन के बाद भी मध्यप्रदेश में सेवाएं दे रही हैं। हालांकि छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव इनकी सेवाएं वापस मांग चुके हैं, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार इन्हें भेजने को तैयार नहीं है। कलेक्टरी के दौरान मैडम के फैसले भी सुर्खियों में रहे हैं।
ज्ञानेश्वर पाटिल -
श्योपुर कलेक्टर हैं। जिले की ही एक महिला अफसर ने चरित्र हनन के आरोप लगाते हुए शिकायत की थी। महिला अफसर की शिकायत के कारण सुर्खियों में आए कलेक्टर के मामले में जांच की गई, लेकिन जांच रिपोर्ट का अभी तक उजागर नहीं हुई है।
नवनीत कोठारी -
खरगौन कलेक्टर हैं। खरगौन में कलेक्टर रहते हुए भोपाल का सरकारी में कब्जा जमाए रखना चाहते थे। सरकार ने मकान खाली करने का नोटिस दिया तो कोर्ट में सरकार के आदेश को चुनौती दी। हालांकि कोर्ट से इन्हें निराशा हुई और उन्हें मकान खाली करना पड़ा।

8:12 PM - No comments

सीबीआई पर टिका IAS के सुरेश का भविष्य

 भ्रष्टाचार के मामले में फंसे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के सुरेश की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सरकार इनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा चलाए जाने की अनुमति तो सीबीआई को पहले ही दे चुकी है अब इनके निलंबन की तैयारी है। इसके लिए सीबीआई के पत्र की प्रतीक्षा की जा रही है।

मध्यप्रदेश कॉडर में 1982 बैच के आईएएस अधिकारी के सुरेश पर भ्रष्टाचार के छींटे तब पड़े जब केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहते हुए चेन्नई पोर्ट ट्रस्ट के अध्यक्ष और सेतु समुद्रम परियोजना के सीईओ थे। मामला वर्ष 2004 से 2009 के बीच का है। भ्रष्टाचार की शिकायतों के चलते सीबीआई सक्रिय हुई। और इसी दौरान उनके यहां सीबीआई ने छापामार कार्यवाही की। छापे के कार्यवाही के दौरान इनके यहां मिले दस्तावेजों को सीबीआई ने जब्त किया। जांच में इन्हें दोषी मानते हुए अभियोजन की स्वीकृति मांगी। मध्यप्रदेश वापसी पर सरकार ने इन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाते रहे के सुरेश अब टीआरआई के निदेशक हैं। अब सरकार इनके खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति भी दे चुकी है। यानी इनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा चलाए जाने के लिए सीबीआई स्वतंत्र है। अभियोजन की स्वीकृति दिए हुए राज्य सरकार को लम्बा समय हो चुका है, लेकिन अभी तक सीबीआई ने सरकार को यह नहीं बताया कि के सुरेश के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश कर दिया गया है या नहीं। राज्य सरकार सीबीआई को दो बार रिमांडर भी भेज चुकी है, लेकिन सीबीआई ने पत्र का जवाब अभी तक नहीं दिया है। सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार ने के सुरेश की फाइल तैयार कर ली है, सीबीआई का पत्र मिलते ही उन्हें निलंबित किया जा सकता है, क्योंकि भ्रष्टाचार के मामले में सख्त रुख अपनाए सरकार ऐसे मामलों में अभी तक कई अफसरों को निलंबित कर चुकी है।

8:11 PM - No comments

सुर्खियों में आए प्रदेश के IAS अफसर

 क्या आपने कभी कल्पना की थी कि हक की लड़ाई के लिए नौकरशाह सड़क पर आ जाएंगे। लेकिन मध्यप्रदेश में यह सब हो रहा है। महिला आईएएस अधिकारी शशि कर्णावत प्रमुख सचिव स्तर के आईएएस अफसर राधेश्याम जुलानिया के खिलाफ जिस तरह से मुखर हुई हैं, उससे प्रदेश के नौकरशाह एक बार फिर सुर्खियों में आ गए हैं। हालांकि मामला पदोन्नति में आरक्षण से जुड़ा है, लेकिन किसी जूनियर आईएएस अफसर द्वारा सीनियर अफसर के खिलाफ इस तरह खुलकर सामने आ जाने से सरकार भी असमंजस में है।

यह पहला मौका नहीं है जब कोई आईएएस अफसर इस तरह से मुखर हुआ हो। रैली के साथ कलेक्टर कार्यालय और थाने में एफआईआर के लिए आवेदन देने से कर्णावत दिनभर चर्चाओं में रहीं। अजाक्स, अपाक्स सहित अन्य आरक्षित वर्ग के संगठनों को एकत्रित कर बनाए गए आरक्षण बचाओ संघर्ष मोर्चा की संयोजक शशि कर्णावत के मामले में अब राज्य सरकार भी गंभीर हुई है। अब सरकार ऐसा संदेश देना चाहती है कि दोबारा ऐसा न हो, जिससे एक नौकरशाह किसी अन्य नौकरशाह के खिलाफ इस तरह खुलकर सामने आ जाए। सरकार में उपेक्षा का शिकार कर्णावत लम्बे समय से न्याय के लिए संघर्ष कर रहीं है, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिल सका है।

इनके भी सुर मुखर रहे
रमेश थेटे -
लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद नौकरी बहाली हुई, लेकिन प्रमोशन न मिलने से दु:खी थेटे ने मंत्रालय के सामने आत्मदाह करने तक धमकी दे दी थी। उनका तर्क है कि प्रमोशन के नाम पर लगातार अडंगा लगाया जा रहा है। उनसे जूनियर अफसर सचिव बन चुके हैं जबकि वे अभी उप सचिव ही हैं। उन्होंने तो यहां तक आरोप लगाया कि वे आरक्षित वर्ग के हैं इसलिए उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है।
मधुरानी तेवतिया -
आईपीएस पति की मौत पर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाते मुखर हुर्इं। महिला आईएएस अधिकारी मधुरानी तेवतिया ने तो यहां तक कह दिया उन्हें अब मध्यप्रदेश में नौकरी नहीं करना, उनके ससुर ने यह कहकर सनसनी फैला दी प्रदेश में उनकी आईएएस बहु की सुरक्षा को खतरा है। हालांकि मधुरानी के आवेदन पर मध्यप्रदेश सरकार ने उन्हें कॉडर बदलने की अनुमति दे दी है।

नवनीत कोठारी -
भोपाल में पदस्थापना के दौरान सरकारी आवास आवंटित हुआ। इसी बीच इनका तबादला खरगौन हो गया। खरगौन कलेक्टर की जिम्मेदारी मिलने के साथ ही उन्हें खरगौन में सरकारी बंगला मिल गया, लेकिन इन्होंने भोपाल का सरकार मकान नहीं छोड़ा। ऐसे में सरकार ने इनसे भोपाल का बंगला खाली करने का नोटिस दिया तो ये सरकार के निर्णय के खिलाफ कोर्ट चले गए। हालांकि कोर्ट से इन्हें राहत नहीं मिली।

राजेश राजौरा -
आयकर कार्यवाही के दौरान इनके यहां आकूत दौलत मिलने के कारण राज्य सरकार ने इन्हें निलंबित कर दिया। निलंबन के साथ ही इनके खिलाफ विभागीय जांच की कार्यवाही शुरू हुई, लेकिन ये सरकार के निर्णय के खिलाफ कैट चले गए और कैट ने सरकार के आदेश पर स्थगन दे दिया। ऐसे में न तो इन्हें प्रमोशन मिल सका और न ही निलंबन समाप्त हुआ। अब इनके तेवर ठण्डे हैं, कैट में दाखिल याचिका वापस ले ली है।

8:09 PM - No comments

उत्तरांचल से सबक लेगा मध्यप्रदेश

 उत्तराखण्ड में तीर्थयात्रियों से भरी बस पलट जाने से मध्यप्रदेश सरकार सबक लेगी। क्योंकि मध्यप्रदेश सरकार भी प्रदेश के बुजुर्गों को तीर्थयात्रा कराने जा रही है। मुख्यमंत्री की घोषणा पर अमलीजाना पहनाने के लिए चल रही कयावत में यह भी तय किया गया है कि तीर्थयात्रा पर भेजे जाने वाले बुजुर्गों का बीमा कराया जाएगा।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही वृद्धजन पंचायत में की गई घोषणाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा हुई। मुख्य सचिव आर परशुराम की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में बताया गया कि वृद्धजन पंचायत में की गई 15 घोषणाओं पर अमल शुरू हो गया है। सीएम की घोषणाओं के अमल पर विस्तार से हुई चर्चा के दौरान एक प्रस्ताव यह भी आया कि चूंकि प्रदेश के वृद्धजनों को प्रदेश सरकार तीर्थयात्रा कराने जा रही है, इसलिए इनकी सुरक्षा के लिए व्यापक प्रबंध भी जरूरी है। हाल ही में मध्यप्रदेश के कुछ लोगों द्वारा तीर्थयात्रा पर उत्तरांचल जाने और वहां सड़क दुर्घटना में उनकी मौत का जिक्र भी आया। इस पर यह तय हुआ कि तीर्थयात्रा पर जाने वाले वृद्धजनों का सरकार बीमा कराए। ग्रामीण अंचलों में रहने वाले अंत्योदय परिवार के तथा निराश्रित बुजुर्गों को जो साठ वर्ष से अधिक आयु के होंगे उन्हें साझा चूल्हा कार्यक्रम के तहत नि:शुल्क भोजन उपलब्ध करवाया जायगा। प्रत्येक ग्राम में तीन से पांच बुजुर्गों का ग्राम सभा द्वारा नामांकन किया जायगा जो भोजन की गुणवत्ता तथा निगरानी में मदद करेंगे। प्रत्येक जिले में कम से कम एक और जरूरत के अनुसार एक से अधिक वृद्धाश्रम खोले जायेंगे। इस बारे में भी दिशा निर्देश जारी हो चुके हैं।

प्रतिवर्ष होगा सम्मान समारोह -
बैठक में तय किया गया कि वरिष्ठ नागरिकों के सम्मान के लिए प्रदेश में राज्य और जिला स्तर पर एक अक्टूबर को सम्मान समारोह होगा। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे। यह भी तय किया गया है कि निर्वाचन परिचय-पत्र अब वरिष्ठ नागरिक परिचय-पत्र के रूप में मान्य होंगे। घरों में वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल के लिए केयर गिवर्स को प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का निर्धारण कर प्रारंभ किया जाएगा। वरिष्ठ नागरिकों के समग्र कल्याण पर नीति बनाने के लिए वरिष्ठ नागरिक आयोग का गठन करने बावत प्रस्ताव तैयार किया जा चुका है। इसके साथ ही आदर्श वरिष्ठ नागरिक पुनर्वास नीति तैयार करने का कार्य भी पूर्णता पर है।

Saturday, May 26, 2012

8:52 PM - No comments

सीएस ने दो दिन में नाप लिया प्रदेश

प्रदेश के मुख्य सचिव आर परशुराम ने दो दिन में पूरे प्रदेश को नाप लिया और राजधानी भोपाल लौट आए। सरकारी हैलीकॉप्टर से प्रदेश के दौरे पर गए मुख्य सचिव ने संभागीय मुख्यालयों में समीक्षा बैठकें भी की। मुख्य सचिव बनने के बाद यह उनका पहला हवाई दौरा था। दौरे के दौरान उन्हें ऐसा कुछ नजर नहीं आया जिसमें कहीं कोताही हो रही हो। इतना जरूर हो रहा है कि वे कलेक्टरों, कमिश्नरों की पीठ थपाने के साथ बेहतर काम करने की समझाइश देते जा रहे हैं।
यह पहला मौका नहीं है कि मुख्य सचिव मंत्रालय के एयरकंडीशन चेम्बर से बाहर निकलकर फील्ड में पहुंचें हो। इसके पहले अवनि वैश्य भी मुख्य सचिव रहते हुए प्रदेश के दौरे करते रहे हैं। संभागीय समीक्षा बैठकें भी उन्होंने कीं, हालांकि इनकी हवाईयात्राएं ज्यादा सुर्खियों में रहीं।

अफसरों की पीठ थपथपाई -
इंदौर, उज्जैन और ग्वालियर संभाग में समीक्षा बैठकों के दौरान मुख्य सचिव फील्ड में जिम्मेदारी संभाल रहे अफसरों के काम-काज से संतुष्ट नजर आए। इस दौरान उन्होंने कमिश्नर और कलेक्टरों की पीठ थपाने के साथ उन्हें और बेहतर काम करने की सलाह भी दी। समीक्षा के दौरान मुख्य सचिव का फोकस गेंहू खरीदी पर रहा, क्योंकि गेंहू खरीदी में हुई अफरातफरी के चलते परेशान किसान सड़कों पर आ गए थे। हालांकि अब स्थिति सामान्य है। समीक्षा के दौरान गेंहू खरीदी के मामले में भी मुख्य सचिव संतुष्ट नजर आए। उन्होंने स्वास्थ्य योजनाओं की भी समीक्षा की।

कलेक्टरों को औचक निरीक्षण का खौफ -
मुख्य सचिव के दौरे की खबर लगते ही कलेक्टरो को औचक निरीक्षण का खौफ अधिक रहा, क्योंकि हाल ही में मुख्यमंत्री ने भी प्रदेश के कुछ इलाकों का औचक निरीक्षण कर चुके हैं। ऐसे में कलेक्टर यह सोचकर भयभीत थे कि कहीं मुख्य सचिव उनके इलाके का औचक निरीक्षण न करने लगें, लेकिन ऐसा नहीं होने से उन्होंने राहत की सांस ली।

8:34 PM - No comments

सीनियरिटी लिस्ट तैयार, अब प्रमोशन उलझा

प्रमोशन का इंतजार कर रहे विधानसभा सचिवालय कर्मचारियों को अब ज्यादा इंतजार बर्दाश्त नहीं है। इन्होंने सचिवालय पर दवाब बनाना शुरू कर दिया है, वहीं सचिवालय यह तय नहीं कर पा रहा है कि प्रमोशन में आरक्षण को महत्व दिया जाए या फिर वरिष्ठता को।
विधानसभा सचिवालय अधिकारी-कर्मचारियों की वरिष्ठता सूची के लिए लम्बे समय से मशक्कत कर रहा था, अब यह मशक्कत पूरी हो चुकी है। अब इसका अंतिम प्रकाशन होना है। वरिष्ठता सूची के प्रकाशन के बाद प्रमोशन की तैयारी है। सचिवालय में जिस गति से काम चल रहा था, उससे यहां के अधिकारी-कर्मचारी आश्वस्त थे कि कि प्रमोशन का इंतजार जल्द समाप्त होगा, लेकिन वर्तमान हालात को देखते हुए उन्हें लग रहा है कि अब यह इंतजार और लम्बा होगा। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि क्योंकि आरक्षण मामले में हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीमकोर्ट ने मोहर लगाते हुए प्रमोशन में वरिष्ठता को महत्व दिए जाने की बात कही है। यानी प्रमोशन में आरक्षण न देने के निर्देश कोर्ट ने दिए हैं। कोर्ट के इसी आदेश ने सचिवालय की परेशानी बढ़ा दी है। स्थिति यह है कि सचिवालय अपने स्तर पर कोई निर्णय नहीं ले रहा है। सचिवालय को अब राज्य सरकार के आदेश का इंजतार है। जबकि सरकार ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है।
ऐसा होता रहा है -
विधानसभा सचिवालय ने प्रमोशन के मामले में स्पीकर से अनुमोदन चाहते हुए तर्क दिया था कि चूंकि यहां अमला कम है, काम की अधिकता है इसलिए आरक्षित वर्ग के उम्मीदर न होने पर अन्य वर्ग के लोगों को प्रमोशन देकर रिक्त पदों की पूर्ति कर ली जाए। जब आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार होंगे तो उन्हें प्राथमिकता से मौका देते हुए आरक्षण की पूर्ति कर ली जाएगी। पूर्व में यह होता भी रहा है, सरकार का यह नियम भी है, लेकिन स्पीकर ने इस प्रस्ताव को अमान्य कर दिया।
एक हफ्ते से पीएस के यहां फाइल -
अधिकारी-कर्मचारियों की वरिष्ठता सूची की फाइल विधानसभा प्रमुख सचिव के यहां एक हफ्ते से पड़ी है, लेकिन प्रमुख सचिव इसका अध्ययन नहीं कर पाए। वरिष्ठ सूची तैयार करने का कार्य पूरा होने की सूचना मिलते ही विधानसभा अधिकारी-कर्मचारियों ने अब वरिष्ठता सूची का अंतिम प्रकाशन किया जाकर प्रमोशन के लिए दवाब बनाना शुरू कर दिया है। तर्क है कि सचिवालय चाहे तो पुराने नियम के आधार माने या फिर कोर्ट के नए निर्देशों का पालन करते हुए प्रमोशन करे।

Thursday, May 24, 2012

7:31 AM - No comments

IAS राजौरा की खुलेगी फाइल

 निलंबित आईएएस अधिकारी राजेश राजौरा की फाइल फिर से खुलने जा रही है। सरकार इनके खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच करने जा रही है। मालूम हो आयकर कार्रवाई के दौरान इनके यहां आकूत दौलत मिलने के बाद राज्य सरकार ने इन्हें निलंबित कर दिया था, तभी से ये निलंबित चल रहे हैं। राजेश राजौरा के यहां आयकर कार्रवाई के दौरान आयकर अफसरों को नगद राशि तो बहुत ही कम मिली, लेकिन उनके यहां मिले अचल संपत्ति के दस्तावेज देखकर उनकी आंखी फटी की फटी रह गर्इं। उन्होंने प्रदेश सहित प्रदेश के बाहर कई जगह जमीन इत्यादि में इंवेस्ट किया था। आयकर विभाग ने विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर सरकार को भेजी तो सरकार ने राजौरा को निलंबित कर दिया। हालांकि निलंबन के विरोध में ये कैट में भी गए। इन्होंने सरकार के निर्णय को चुनौती देते हुए निलंबन को अनुचित बताया था। मामला कैट में होने के कारण सरकार इनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू नहीं कर पाई। हाल ही में इन्होंने अपनी याचिका वापस ले ली है। राज्य को इसकी सूचना मिल गई है। इसलिए सरकार अब विभागीय जांच कराए जाने को स्वतंत्र है। सरकार ने राजौरा से जुड़े मामले की फाइलें खंगालना शुरू कर दी है।
हाल ही में बढ़ी है निलंबन अवधि : 24 फरवरी 2010 से निलंबित चल रहे आईएएस अधिकारी राजेश राजौरा की हाल ही में निलंबन अवधि बढ़ाई जा चुकी है। अब इनकी निलंबन अवधि छह माह के लिए बढ़ाई गई है। यानी जांच पूरी होने तक ये निलंबित रहेंगे।
पूर्व मुख्य सचिव करेंगी जांच : राजौरा के खिलाफ विभागीय जांच की जिम्मेदारी पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच को सौंपी गई है। मालूम हो राजौरा के निलंबन के साथ ही राज्य सरकार ने विभागीय जांच के लिए जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया था, लेकिन मामला कैट में होने के कारण जांच रुकी थी।

Sunday, May 20, 2012

6:49 AM - No comments

कमाल का है कलेक्टरों का खुफिया तंत्र

प्रदेश के औचक निरीक्षण पर निकले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कार्यक्रम भले ही गोपनीय रहा हो, लेकिन कलेक्टरों का सूचना तंत्र कमाल का रहा। यानी सीएम के पहुंचने के पहले कलेक्टरों को सूचना मिलती रही और वे सक्रिय रहे। लेकिन यह भी  सही है कि औचक निरीक्षण की सूचना मात्र ने कलेक्टरों के होश उड़ा रखे हैं।
यह बात सही है कि जिलों में कलेक्टरों का अपना नेटवर्क होता है, वे अपने स्तर पर खुफिया जानकारी भी जुटाते हैं, लेकिन यह बात समझ से बाहर रही कि जब किसान उग्र हुए, सड़कों पर आ गए तो फिर कलेक्टरों का यह सूचना तंत्र कहां गया। इससे दो सवाल खड़े होते हैं एक या तो कलेक्टरों को इसकी भनक नहीं थी, दूसरा यह कलेक्टरों को अंदाजा था कि ऐसा होगा फिर भी उन्होंने सरकार को इसकी सूचना नहीं दी। यदि जानकारी होते हुए सरकार को सूचना नहीं दी तो यह गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। किसानों को एसएमएस कर मण्डी बुला लिया गया, गेंहू लिए किसान मण्डी में रात-रात भर खड़े रहे लेकिन वारदानों की कमी बताकर उनका गेंहू नहीं खरीदा गया तो किसानों का गुस्सा बढ़ने लगा। मण्डी में पड़ा गेंहू सड़ने लगा तो किसान सड़कों पर आ गए, तब सरकार सक्रिय हुई। इस बीच बिचौलिए भी सक्रिए हो गए। हालांकि मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों को फ्री हैण्ड देते हुए स्पष्ट निर्देश दिए कि गड़बड़ी करने वालों को जेल में डाल दो। कार्यवाही करने से मत चूको। कलेक्टरों ने कार्यवाही शुरू की, लेकिन मुख्यमंत्री ने मौके पर जाकर स्वयं स्थिति को देखने का तय किया और औचक निरीक्षण का कार्यक्रम तैयार हो गया।

देखते ही बनी कलेक्टरों की सक्रियता -
शुक्रवार को मुख्यमंत्री के औचक निरीक्षण की खबर आग की तरह फैली। कलेक्टर सुबह से ही सक्रिय थे। राजधानी भोपाल से वे लगातार मुख्यमंत्री की लोकेशन लेते रहे। हालांकि सीएम का कार्यक्रम गोपनीय था, इसलिए उन्हें सचिवालय से ज्यादा सफलता तो नहीं मिली तो कुछ कलेक्टरों ने अपने मीडिया मित्रों सहित अन्य लोगों का सहारा लिया। स्थिति यह रही कि सीएम के पहुंचने के पहले उन्हें सूचनाएं मिलती रहीं और कलेक्टर सीएम की आगवानी में खड़े नजर आए।

कलेक्टरों का टेस्ट, रिजल्ट 31 के बाद -
प्रदेश के औचक निरीक्षण पर निकले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कलेक्टरों का रिपोर्टकार्ड खुद तैयार कर रहे हैं। यह कलेक्टरों के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं है। इस परीक्षा का परिणाम 31 मई के बाद उजागर होगा। यानी जिसका काम अच्छा होगा कलेक्टरी बची रहेगी, अन्यथा वापस बुला लिया जाएगा।

Friday, May 18, 2012

8:08 AM - No comments

IAS मधुरानी का बदलेगा कॉडर, सरकार सहमत

आईपीएस पति की मौत से दु:खी आईएएस अधिकारी मधुरानी को कॉडर बदलने की अनुमति मिल गई है। मुख्यमंत्री ने इनकी फाइल ओके कर दी है, अब प्रदेश सरकार अपनी टिप्पणी के साथ इनके आवेदन को कार्मिक मंत्रालय भेजेगी।
आईपीएस पति नरेन्द्र कुमार की मौत पर आईएएस अधिकारी मधुरानी ने यह कहकर सनसनी मचा दी थी कि खनिज माफिया ने उनके पति की हत्या करवा दी, क्योंकि उन्होंने खनिज माफिया के खिलाफ लम्बे समय से अभियान छेड़ रखा था। आईपीएस बेटे की मौत से दु:खी उनके पिता केशव देव ने एक कदम आगे बढ़कर यहां तक कह दिया कि मध्यप्रदेश में उनकी आईएएस बहु को जान का खतरा है, क्योंकि मध्यप्रदेश सरकार उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मुहैया नहीं करवा पा रही है। इसी के कुछ दिनों बाद ही मधुरानी ने प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर कॉडर बदलने का आग्रह किया था। हालांकि पत्र में उन्होंने तर्क दिया था कि चूंकि उनकी ससुराल उत्तर प्रदेश में है, सभी परिजन वहीं रहते हैं, इसलिए मैं उत्तर प्रदेश में सेवाएं देना चाहती हूं, इसलिए मेरा कॉडर उत्तर प्रदेश का दिया जाए। मालूम हो मूलत: दिल्ली निवासी मधुरानी के पिता दिल्ली में निवारत हैं। और वहां से दिल्ली दूर नहीं है।

असमंजस में रही सरकार -
मधुरानी के आरोपों के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उसे प्रदेश की बेटी बताते हुए कहा था कि उन्हें मध्यप्रदेश में पूरी सुरक्षा दी जाएगी। वे मध्यप्रदेश में ही सेवाएं दे, हालांकि मुख्यमंत्री ने यह भी भरोसा दिलाया था कि यदि प्रदेश के बाहर सेवाएं देना चाहतीं हैं तो प्रदेश सरकार इनमें बाधा नहीं बनेगी। लेकिन मधुरानी का पत्र आने के बाद के बाद सरकार असमंजस में रही कि यदि उन्हें कॉडर बदलने की अनुमति दी गई तो यह संदेश जाएगा कि प्रदेश सरकार उन्हें सुरक्षा नहीं दे पा रही है और यदि अनुमति नहीं दी जाती तो कहा जाएगा कि सरकार आईपीएस की विधवा महिला आईएएस को अकारण परेशान कर रही है।

सीएम ने इच्छा पूरी की -
लम्बे समय से प्रदेश के दौरों और फिर विभागीय समीक्षाओं से समय मिलते ही मुख्यमंत्री ने मधुरानी की फाइल बुलाई, अफसरों से विचार विमर्श के बाद सीएम ने उनकी फाइल ओके कर दी।

Thursday, May 17, 2012

12:38 AM - No comments

सेमीफाइनल से पहले हाथ पांव फूले सरकार के

प्रदेश में विधानसभा के आम चुनाव भले ही अगले वर्ष होना है, लेकिन इसी वर्ष होने प्रस्तावित मण्डी और नगरीय निकाय चुनाव के नाम से ही भाजपा सरकार के हाथपांव फूले हैं,क्योंकि किसानों ने सरकार खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। ऐसे में प्रयास यही है कि चुनाव अभी न हों।
प्रदेश में जिस तरह से किसान सरकार के खिलाफ खड़े हैं, इससे सरकार नहीं चाहती है कि अभी कोई चुनाव हों। हालांकि सत्तारूढ़ दल भाजपा और प्रदेश सरकार यह बताने का प्रयास कर रही है कि वे किसान विरोधी नहीं हैं। गेंहू की बम्पर पैदावार होने के बाद सरकार खरीदी में लेतलाली कर रही है। गेंहू सड़ रहा है, लेकिन खरीदी न होने के कारण नाराजगी बढ़ी है। जिस तरह किसानों पर लाठीचार्ज हुआ, मुकदमा दर्ज कर जेल में डाला गया, उससे किसान सरकार के खिलाफ खड़े हो गए हैं। लेकिन मजबूरी यह है कि जून तक प्रदेश में मण्डी चुनाव होना है। अब बीच का रास्ता निकाले जाने के लिए मंथन हो रहा है। मालूम हो मण्डी चुनावों में किसानों का अहम रोल रहता है।
मण्डी चुनाव की तरह प्रदेश के 16 जिलों की 53 नगर पालिकाओं व नगर पंचायतों में भी चुनाव होना है। इन चुनावों को भी कोर्ट के निर्देश पर कराया जा रहा है। इन चुनावों में ग्रामीण मतदाता ही शामिल हैं। राज्य निर्वाचन आयोग को ये चुनाव कराना है, इसके लिए निर्वाचन नामावलियों का काम पूरा हो चुका है, लेकिन आयोग ने अभी तक चुनाव तिथि घोषित नहीं की है। इस संबंध में आयोग के अफसर कुछ भी बोलने से कतराते हैं।

आम चुनाव का सेमीफानल -
नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों, मण्डी चुनाव विधानसभा के सेमीफाइनल ही हैं। इन चुनावो ंके परिणामों से इस बात का अंदाजा लगाना आसान हो जाएगा कि भाजपा राज्य में तीसरी बार सरकार बनाएगी या नहीं। सत्तारूढ़ दल भाजपा और कांग्रेस अपने-अपने स्तर पर तैयारी में जुटे हैं। दौरों और यात्राओं का दौर चल रहा है, लेकिन इसमें किसे कितनी सफलता मिलती है यह तो वक्त आने पर ही पता चलेगा, लेकिन सत्तारूढ़ दल अभी चुनाव नहीं चाहता जबकि कांग्रेस अपने लिए अच्छा माहौल मान रही है।

ऐसा भी हो रहा है -
वर्तमान व्यवस्था के तहत मण्डी अध्यक्ष का चुनाव सीधे होता है, लेकिन सरकार ने एक्ट में परिवर्तन करते हुए अध्यक्ष का चुनाव सीधे न कर सदस्यों से चुने जाने का प्रावधान कर दिया है। कैबिनेट से हरीझण्डी मिल चुकी है। कैबिनेट के निर्णय पर अमल तब होगा जब राज्यपाल की हरीझंडी मिल जाएगी। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस कैबिनेट के इस निर्णय के खिलाफ है। तर्क दिया जा रहा है कि सत्तारूढ़ दल सत्ता के दम पर सभी मण्डियों में अपने अध्यक्ष पदस्थ करवा देगी।

Wednesday, May 16, 2012

7:01 AM - No comments

करोड़पति IFS अफसर पलाश निलंबित

राज्य सरकार ने आईएफएस अफसर सुरेश कुमार पलाश को निलंबित कर दिया है। मालूम हो रतलाम में वन मण्डलाधिकारी पदस्थापना के दौरान लोकायुक्त कार्यवाही के दौरान इनके यहां अनुपातहीन सम्पत्ति मिली थी, लेकिन सरकार ने इन्हें निलंबित किए जाने के बजाय राज्य वन अनुसंधान संस्थान जबलपुर में उप वन संरक्षक पदस्थ कर दिया था। आकूत दौलत मिलने के बाद भी आईएफएस अफसर पर कार्यवाही किए जाने के बजाए उसे बचाए जाने के मामले में सरकार की किरकिरी हो रही थी। दवाब के चलते आखिरकार राज्य सरकार ने इन्हें निलंबित कर दिया। निलंबन अवधि के दौरान इनका मुख्यालय जबलपुर रहेगा।

Monday, May 14, 2012

8:56 PM - No comments

आईएएस थेटे का लोकायुक्त पर निशाना

वरिष्ठ आईएएस अफसर रमेश थेटे ने लोकायुक्त संगठन की कार्यवाही पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा है कि लोकायुक्त की कार्यवाही निष्पक्ष नहीं है। संगठन जानबूझकर निरीह लोगों को फंसाने का काम कर रहा है। जो मामले खात्मे लगाने लायक हैं, उनमें खात्मा तो नहीं लगता, लेकिन जिसमें खात्मा नहीं लग सकता,उसमें खात्मा लगा दिया जाता है। ‘प्रदेश टुडे’ से चर्चा करते हुए उन्होंने थेटे ने लोकायुक्त जस्टिस पीपी नावलेकर की सम्पत्ति की जांच कराए जाने की मांग भी की।
लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद वापस नौकरी पाने वाले थेटे सरकार के रवैया से भी खासे नाराज हैं। वे कहते हैं कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक वर्ष पूर्व यानी 2 मई 2011 को बहाली के आदेश दिए थे, बहाली तो हुई लेकिन आज दिनांक तक बराबरी का सम्मान नहीं मिल सका। बार-बार आग्रह किए जाने के बाद भी प्रमोशन नहीं दिया जा रहा है जबकि मुझझे तीन वर्ष जूनियर अफसर प्रमोशन सचिव बन गए जबकि मुझे यह ओहदा नहीं दिया गया। सरकार कहती है कि धैर्य रखें सब ठीक हो जाएगा, लेकिन कब तक धैर्य रखा जाए। अभी तक धैर्य ही रखता आया हूं।
जानबूझकर मुझे फंसाया -
लोकायुक्त संगठन पर निशाना साधते हुए उज्जैन के एडीशनल कमिश्नर थेटे कहते हैं कि मुझे जानबूझकर फंसाया गया है। जब मेरे यहां लोकायुक्त कार्यवाही हुई थी तब मेरे निवास पर मात्र 50 रुपए और पत्नी का मंगलसूत्र लोकायुक्त पुलिस को मिला था, इसके बाद भी मेरे खिलाफ झूठा केस बना दिया गया। जबकि यह मामला कहीं से नहीं बनता। उन्होंने सवाल उठाया कि लोकायुक्त अधिकारियों के यहां कभी छापा क्यों नहीं पड़ता, पुलिस अफसर लोकायुक्त के घेरे में क्यों नहीं आते। वे कहते हैं कि संगठन सिर्फ कमजोर लोगों के खिलाफ कार्यवाही करने का साहस दिखाता है।


मैं प्रोपर्टी की जांच कराने को तैयार हूं - नावलेकर
लोकायुक्त जस्टिस पीपी नावलेकर कहते हैं कि मैं प्रोपर्टी की जांच कराने को तैयार हूं। मेरे पास ऐसा कुछ नहीं है जो गोपनीय हो। जहां तक लोकायुक्त संगठन की कार्यवाही की है तो यह कार्यवाही निष्पक्ष होती है। वे कहते हैं कि जांच मैं नहीं करता बल्कि पुलिस करती है, जो सबूत मिलते हैं उसी आधार पर कार्यवाही होती है। रमेश थेटे द्वारा आरोप लगाए जाने के सवाल पर वे कहते हैं कि आरोप तो कोई भी लगा सकता है, बोलने के लिए सभी स्वतंत्र हैं।

Sunday, May 13, 2012

8:27 PM - No comments

डीजीसीए ने बढ़ाया एमपी का टेंशन

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अब अपने दौरों में निजी हवाई जहाज और हैलीकॉप्टर का सहारा ले रहे हैं। जरूरत पड़ने पर सड़क मार्ग का भी सहारा लिया जा रहा है। नागरिक उड्डयन महानिदेशक (डीजीसीए) द्वारा सरकारी विमान बेड़े में शामिल हवाई जहाज और हैलीकॉप्टर की उड़ानों पर रोक लगाए जाने के बाद ऐसा हो रहा है।
रांची में हैलीकॉप्टर हादसे के बाद डीजीसीए ने मध्यप्रदेश के विमान बेड़े पर रोक लगा दी थी। यह रोक ऐसे समय लगी जब मुख्यमंत्री दिल्ली में थे, इस कारण मुख्यमंत्री को लेकर गया हवाई जहाज उन्हें छोड़कर वापस आ गया। इसलिए मुख्यमंत्री को नियमित विमान से भोपाल आना पड़ा। चूंकि मुख्यमंत्री लगातार दौरे पर हैं, इसलिए वैकल्पिक व्यवस्था के तहत निजी कंपनियों का सहारा लिया गया। मुख्यमंत्री आज जबलपुर में हैं, वहां उन्होंने कुछ दूरी सड़क मार्ग से और कुछ हवाई मार्ग से पूरी की। मालूम हो मुख्यमंत्री के हवाई बेड़े में तीन हैलीकॉप्टर और एक हवाई जहाज शामिल है। इसमें अत्याधुनिक तकनीकी का एक हैलीकॉप्टर हाल ही में खरीदा गया है।
मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव कहते हैं कि डीजीसीए के आदेश की प्रति हमें अभी तक नहीं मिली है, लेकिन जैसे ही हमें पता चला कि डीजीसीए ने रोक लगाए जाने के आदेश अपनी बेवसाइट में चस्पा कर दिया है वैसे ही तत्काल हमने अपनी उड़ानों को रोक दिया। मुख्यमंत्री भी नियमित विमान से दिल्ली से भोपाल आए। इसके बाद से सीएम वैकल्पिक व्यवस्था के तहत निजी कंपनियों के हवाईजहाज और हैलीकॉप्टर से दौरे कर रहे हैं।
डीजीसीए का इंतजार -
प्रदेश सरकार को अब डीजीसीए के अगले आदेश का इंतजार है। डीजीसीए के निरीक्षण के बाद ही प्रदेश के हवाई जहाज और हैलीकॉप्टर उड़ान भर सकेंगे। तब तक मुख्यमंत्री निजी विमान कंपनियों की मदद लेते रहेंगे।

Thursday, May 10, 2012

10:33 AM - No comments

9 आईएएस अफसरों की नियुक्ति


मध्यप्रदेश संवर्ग को आवंटित भारतीय प्रशासनिक सेवा के 2011 बैच के नौ परिवीक्षाधीन अधिकारियों को लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी में प्रथम चरण के प्रशिक्षण समाप्ति पर राज्य में प्रशिक्षण के लिए जिलों में सहायक कलेक्टर के पद पर पदस्थ किया गया है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार अनुग्रह पी को उज्जैन, विजय दत्ता को रीवा, हरजिंदर सिंह को होशंगाबाद, मोहित बुंदास को ग्वालियर, नेहा मार्व्या को बैतूल, रुचिका दिवाकर को सीहोर, सौरभ कुमार सुमन को जबलपुर, व्ही.एस.चौधरी कोलसानी को इंदौर एवं विजय कुमार जे. को सागर जिले में सहायक कलेक्टर पदस्थ किया गया है।

7:32 AM - No comments

पदोन्नति में आरक्षण की आग मप्र में भी

पदोन्नति में आरक्षण दिए जाने की आग मध्यप्रदेश में भी सुलगने लगी है। मंत्रालय, विधानसभा सचिवालय सहित अन्य सरकारी दफ्तरों में अधिकारी-कर्मचारी लामबंद होने लगे हैं। पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को भी दस्तक दी जा रही है।
राज्य मंत्रालय के अधिकारी-कर्मचारियों ने सामूहिक हस्ताक्षयुक्त एक ज्ञापन मुख्यमंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग के राज्यमंत्री, मुख्य सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को देते हुए मांग की है कि इसी वर्ष 27 अप्रेल को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश का पालन करते हुए मध्यप्रदेश में भी पदोन्नति में आरक्षण समाप्त किया जाए। विधानसभा सचिवालय अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त समिति ने राज्यपाल से भेंटकर आरक्षित वर्ग को पदोन्नति में आरक्षण न दिए जाने की मांग की है। अन्य सरकारी दफ्तरों में भी सक्रियता बढ़ी है। प्रदेश की भाजपा सरकार को यह भली भांति है कि प्रदेश में अगले वर्ष विधानसभा के आम चुनाव हैं, इसलिए किसी भी वर्ग को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता, सूबे में अधिकारी-कर्मचारियों को एक बड़ा वर्ग है। सरकार को इसकी अहमियत पता है। ऐसे में सरकार अभी इनके रुख को देख रही है। कोर्ट के फैसले का राजनैतिक अर्थ खोजे जा रहे हैं कानूनी बारीकियां भी समझीं जा रहीं हैं।
वरिष्ठता को मिले महत्व -
सूबे के अधिकारी-कर्मचारियों का जोर इसी बात पर है कि नियुक्तियों में तो आरक्षण नियम का पालन हो, लेकिन पदोन्नति में यह उचित नहीं है। वर्तमान नियमों के तहत जहां एक ओर अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों को एक पदोन्नति पाने में ही 20-20 वर्ष लग रहे हैं, जबकि आरक्षित वर्ग के कर्मचारी मात्र 2-3 वर्ष की अवधि में ही पदोन्नति प्राप्त कर लेते हैं। स्थिति यह हो रही है जो जूनियर कर्मचारी अपने सीनियर्स से भी सीनियर हो जाते हैं। तर्क दिया जा रहा है कि देश की सर्वोच्च न्यायालय की मंशा यही है कि देश के सभी प्रदेशों में भी आरक्षित वर्ग को पदोन्नति में दिए जा रहे आरक्षण समाप्त किया जाकर वरिष्ठता के आधार पर ही आरक्षण मिले।

7:22 AM - No comments

नौकरशाही को भारी झटका ....!

सूचना आयोग में रिक्त पदों पर नजर लगाए नौकरशाहों को यह खबर पढ़कर झटका लगा सकता है क्योंकि सरकार की नियुक्ति प्रक्रिया को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। कोर्ट में कल इसकी सुनवाई होना है। याचिका में नियुक्ति प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाए जाने की मांग करते हुए कहा गया है कि सरकार कुछ नौकरशाहों को उपकृत करने के प्रयास में है। यदि ऐसा होता है तो योग्य लोगों को महत्व नहीं मिलेगा।
सूचना आयोग में रिक्त पदों पर कई नौकरशाहों की नजर है, इसमें सेवानिवृत्त की संख्या अधिक है। सेवानिवृत्ति से पहले मुख्य सचिव अवनि वैश्य भी इसी प्रयास में रहे कि उन्हें इस पद पर नियुक्ति मिल जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। मालूम हो आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त सहित 9 सूचना आयुक्त के पद रिक्त हैं। सरकार में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू है। लोकायुक्त संगठन के सेवानिवृत्त डीपी अरुण गुर्टू, सामाजिक कार्यकर्ता अजय दुबे ने हाईकोर्ट ने तामिलनाडू सूचना आयोग में नियुक्ति के संबंध में सुप्रीमकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि नियुक्ति में संबंध में स्पष्ट नियम तैयार होना है, इसलिए अभी नियुक्तियां न हों। तर्क यह भी है कि नियुक्ति के संबंध में स्पष्ट प्रावधान न होने के कारण चयन समिति अपने स्तर पर किसी भी व्यक्ति का चयन कर लेती है, चूंकि आयोग का पद कानूनी है इसलिए इसमें विधि क्षेत्र में अधिक अनुभव रखने वालों को महत्व मिलना चाहिए। नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे इसलिए विज्ञापन के जरिए आवेदन बुलाकर नियुक्तियां हों।
होता रहा है नौकरशाहों का पुनर्वास -
प्रदेश में नौकरशाहों के पुनर्वास की लम्बी परम्परा है। यह परम्परा अभी कायम है। इसी के तहत प्रदेश के कई वरिष्ठ नौकरशाह और सेवानिवृत्त अफसर आयोग में रिक्त पदों पर काबिज होने के प्रयास में हैं। सूचना आयोग में सेवानिवृत्त नौकरशाहों को मौका मिलता रहा है।
कल होगी सुनवाई -
याचिका पर कल हाईकोर्ट में सुनवाई होना है। हाईकोर्ट में याचिका की खबर से सरकार में हलचल मची है। नौकरशाहों की नजरें भी हाईकोर्ट के रुख पर टिकी हैं।

Wednesday, May 9, 2012

8:30 PM - No comments

अफसर बोले : आल इज वेल

बारदानों को लेकर प्रदेश में भले ही हाहाकार मचा हो, किसान सड़कों पर आ गए हों, लेकिन अफसरशाही सब कुछ ठीक-ठाक मानती है। कलेक्टर अपने संभागों के कमिश्नरों को और कमिश्नर मुख्य सचिव को कुछ ऐसी ही रिपोर्ट दे रहे हैं। एयरकंडीशन चेम्बर में बैठकर हो रही समीक्षाओं में भी फीलगुड ही हो रहा है।
मंत्रालय से लेकर फील्ड में बैठे अफसर सभी ओके रिपोर्ट देते रहे, आश्चर्य यह रहा कि फील्ड से आ रही रिपोर्ट को किसी भी जिम्मेदार अफसर ने क्रॉस चैक करने की जहमत नहीं उठाई। हालात बिगड़ते गए और स्थिति सामने है। कल आनन-फानन में मुख्य सचिव ने मंत्रालय में बैठकर कमिश्नरों से वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से चर्चा कर जमीनी हकीकत जानने का प्रयास किया। ज्यादातर कमिश्नरों ने स्थिति को बेहतर बताया। एक ओर सरकार दिल्ली तक बारदानों की कमी का रोना रो रही है, वहीं कलेक्टर कहते हैं कि कमी अब दूर हो रही है। हालांकि मुख्य सचिव ने स्थिति को भांपते हुए सभी कलेक्टरों और कमिश्नरों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि यही मौका है जब उन्हें प्रशासनिक नेतृत्व क्षमता को दिखाते हुए चुनौतियों का सामना करना है।

चीफ सेके्रटरी को कमिश्नरों ने यह दी रिपोर्ट -

सागर कमिश्नर आर के माथुर -
संभाग में बारदानों की कमी नहीं है। गेंहू भण्डारण की पूरी व्यवस्था है।

जबलपुर कमिश्नर दीपक खाण्डेकर -
संभाग में बारदाना की कोई कमी नहीं है। पश्चिम बंगाल एवं छत्तीसगढ़ से बारदानों की आपूर्ति हुई है।

भोपाल कमिश्नर प्रवीण गर्ग -
इटारसी एवं मण्डीदीप में बारदानों के रेक पहुंच जाने से काफी आसानी हुई है। संभाग में स्थिति बेहतर है।

होशंगाबाद कमिश्नर अरुण तिवारी -
संभाग में उपार्जन कार्य देर से शुरू हुआ। मई माह के अंत तक सुचारू रूप से खरीदी की व्यवस्था कर ली गई है।

ग्वालियर कमिश्नर एसबी सिंह -
बारदानों की कमी दूर हुई है। प्लास्टिक बैग भी पहुंचने लगे हैं।

चंबल कमिश्नर अशोक शिवहरे -
गेंहू खरीदी सुचारू चल रही है। खरीदी में कहीं कोई बाधा नहीं है।

उज्जैन कमिश्नर अरुण पाण्डे -
गेहंू उपार्जन कार्य सुचारू चल रहा है। मण्डी तक आने वाले किसानों से खरीदी हो रही है।

इंदौर कमिश्नर पीके पाराशर -
विक्रम नगर में तीन हजार गठानों के मिलने से आसानी हुई। धार जिले के लिए आवश्यकतानुसार अधिक बारदाना की व्यवस्था की गई है।

शहडोल कमिश्नर प्रदीप खरे -
गेंहू खरीदी में कहीं कोई बाधा नहीं है। काम-काम सुचारू ढंग से चल रहा है।

रीवा कलेक्टर शिवनारायण रुपला -
कमिश्नर टी धर्माराव की अनुपस्थिति में कलेक्टर शिवनारायण रुपला ने बताया कि सतना जिले में बारदानों की कुछ कमी अनुभव की गई है।

Tuesday, May 8, 2012

6:46 AM - No comments

31 तक नहीं होंगे कलेक्टरों के तबादले

कलेक्टरी छिनने का तनाव झेल रहे आईएएस अफसरों के लिए यह राहत भरी खबर हो सकती है क्योंकि इस महीने किसी भी कलेक्टर का तबादला नहीं होगा। गेंहू खरीदी को लेकर प्रदेश में बने हालातों को देखते हुए ऐसा निर्णय लिया गया है। यानी जब तक गेंहू खरीदी होती रहेगी अफसरों की कलेक्टरी सुरक्षित रहेगी।
इसी माह की एक तारीख को आर परशुराम द्वारा मुख्य सचिव पद की जिम्मेदारी संभालने के साथ ही आईएएस अफसरों के तबादलों की अटकलें शुरू हो गई थीं। तर्क दिया जा रहा था कि एक हफ्ते में परशुराम अपनी टीम तैयार कर लेंगे, लेकिन हालातों को देखते हुए ऐसा नहीं हुआ। हालांकि यह तय है कि टीम परशुराम जब भी बनेगी बहुत ताकतवर होगी। मुख्यमंत्री भी यही चाहते हैं कि फील्ड में अब ऐसे अफसरों को पदस्थ किया जाए तो जिन्हें आगामी विधानसभा चुनाव तक न हटाना पड़े। जाहिर है ऐसे अफसरों की पदस्थापना बदली जाएगी, जिन्हें एक ही जिले में तीन वर्ष हो गए हैं या फिर अगले वर्ष तीन साल पूरे हो जाएंगे। इस क्राइट एरिया में आए अफसरों की सूची तैयार कर ली गई है। लेकिन अभी इनकी पदस्थापना के मामले में अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है।
इन जिलों को मिलेंगे नए कलेक्टर -
प्रदेश के तीन जिले ऐसे हैं जहां नए कलेक्टर मिलना तय है। इनमें सागर, शाजापुर और श्योपुर जिला शामिल है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि शाजापुर कलेक्टर सोनाली वायंगणकर और श्योपुर कलेक्टर ज्ञानेश्वर पाटिल ने मध्यप्रदेश में सेवाएं न देने का निर्णय लेते हुए महाराष्ट्र कॉडर मांगा है। इसी प्रकार सागर कलेक्टर इ. रमेश कुमार आंध प्रदेश कॉडर में जाना चाहते हैं। इन अफसरों के आवेदनों पर विचार हो रहा है।
अफसरों में सक्रियता -
यह तो तय है कि प्रदेश में किसानों से गेंहू खरीदी तक कलेक्टरों के तबादले नहीं होंगे। इसके पहले गेंहू खरीदी 20 मई तक होना थी, इसके बाद कलेक्टरों के तबादले होना थे, लेकिन अब यह तिथि बढ़ाकर 31 मई कर दिए जाने से अफसरों ने राहत की सांस तो ली है, लेकिन उनकी सक्रियता में कोई कमी नहीं आई है। लम्बे समय से जो कलेक्टरी का सुख भोग रहे हैं वे कलेक्टरी छोड़ना नहीं चाहते, तीन वर्ष के क्राइट एरिया में आने वाले अफसरों का प्रयास है कि उन्हें नए जिले की जिम्मेदारी मिल जाए। जो अफसर कलेक्टरी सुख से वंचित हैं वे ज्यादा सक्रिय हैं। इसके लिए वे राजनैतिक संबंधों का भी इस्तेमाल करने में भी परहेज नहीं बरत रहे हैं।

Monday, May 7, 2012

12:31 AM - No comments

दादा रोहाणी ने निभाई तिवारी परम्परा

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी के कार्यकाल में हुई नियुक्तियों का विवाद चल ही रहा था अब वर्तमान अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी के कार्यकाल में हुई नियुक्तियों पर भी उंगलियां उठाई जाने लगी हैं। विधानसभा सचिवालय में ऐसी नियुक्तियों की संख्या 175 है। इनमें करीब 25 नियुक्तियां इसी कार्यकाल की हैं। अब निर्णय कोर्ट को करना है। सुनवाई इसी माह की 19 तारीख को हाईकोर्ट में होना है। क्योंकि अपीलकर्ता ने सचिवालय के निर्णय को चुनौती देते हुए कहा था कि नियमों को दरकिनार कर नियुक्त किए गए सभी की नियुक्ति अवैध घोषित की जाए। इसी के जवाब में सचिवालय ने कोर्ट को यह जवाब पेश कर दिया। ऐसे में वर्तमान नियुक्तियां भी जांच के दायरे में आ गई।

12:31 AM - No comments

डीपीसी हुई अब प्रमोशन का इंतजार

एडीजी से डीजी के पद पर प्रमोशन के लिए डीपीसी हुए लम्बा अंतराल बीत जाने के बाद भी प्रमोशन नहीं होने पर आईपीएस अफसरों में सक्रियता बढ़ी है। मालूम हो राज्य में पुलिस महानिदेशक (डीजी) के तीन और इतने ही एक्स कॉडर के पद हैं। इसमें एक पद खाली है, जबकि दो पद इसी वर्ष रिक्त हो रहे हैं। रिक्त पद होमगार्ड डीजी का कॉडर है, जबकि मानव अधिकार आयोग के डीजी एचके सरीन इसी वर्ष जून में और पीएचक्यू में ओएसडी वीएम कंवर सितम्बर माह में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। हाल ही में अरोरा को होमगार्ड डीजी का प्रभार दिया जा चुका जबकि सुरेन्द्र सिंह की जिम्मेदारी मिली है। डीपीसी में 1979 से 1981 बैच के आईपीएस अफसरों के नामों पर विचार हुआ। इनमें 1979 बैच के आरसी अरोरा, 1980 बैच के सुरेन्द्र सिंह, 1981 बैच के एके धस्माना और डॉ. आनंद कुमार, 1982 बैच के एसएस लाल प्रमुख हैं। 1981 बैच के दोनों अफसर केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। इसलिए एसएस लाल सहित आरसी अरोरा और सुरेन्द्र सिंह का प्रमोशन तय है।

12:30 AM - No comments

फिर सुर्खियों में जोशी दम्पत्ति

मध्यप्रदेश कॉडर के आईएएस अधिकारी अरविन्द जोशी और टीनू जोशी एक बार फिर सुर्खियों में हैं। आयकर कार्यवाही के दौरान इनके निवास से आकूत दौलत मिलने के बाद राज्य सरकार ने इन्हें निलंबित कर दिया है। अब हाल ही में इन्हें बर्खास्त किए जाने की सिफारिश भी केन्द्र सरकार को कर दी गई। प्रदेश के इतिहास में शायद यह पहला मामला है कि किसी आईएएस दम्पत्ति को बर्खास्त किए जाने की सिफारिश की गई हो। प्रदेश सरकार द्वारा जोशी दम्पत्ति को बर्खास्त किए जाने के बाद अब गेंद केन्द्र के पाले में है, क्योंकि अखिल भारतीय सेवा अफसरों की सेवाएं केन्द्र में होती हैं। अब निर्णय केन्द्र को ही लेना है। केन्द्र इनकी बर्खास्ती पर मोहर लगाएगा इसके बाद राज्य सरकार औपचारिक आदेश जारी करेगी।
---------

12:25 AM - No comments

कलेक्टर को भारी पड़ा सरकार से पंगा


सरकार को चुनौती देने वाले आईएएस अफसर नवनीत मोहन कोठारी को अब जेब ढीली करना होगी। मामला दो सरकारी मकानों पर कब्जा जमाने से जुड़ा है।
बालाघाट कलेक्टर रहे कोठारी की कुछ समय के लिए भोपाल में पदस्थापना हुई थी। उस दौरान इन्हें निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में पदस्थ किया गया था। उसी समय इन्हें भोपाल के चार इमली स्थित डी 3/2 बंगला आवंटित हुआ था, लेकिन कुछ समय बाद ही इन्हें खरगौन जिले की कलेक्टरी मिल गई। इन्होंने खरगौन में ज्वाइन तो कर लिया लेकिन भोपाल का बंगला नहीं छोड़ा। संपदा संचालनालय ने इन्हें बंगला खाली करने के लिए कई नोटिस भी भेजे लेकिन इन्हें बंगला खाली करने के बजाय कोर्ट की शरण ली। सरकार ने कोर्ट को बताया कि नियमानुसार एक व्यक्ति को एक ही सरकारी मकान की पात्रता होती है, चूंकि कोठारी खरगोन कलेक्टर हैं, उन्हें वहां सरकारी मकान आवंटित है इसलिए उन्हें भोपाल का मकान खाली करना होगा। भोपाल में सरकारी मकान के इसलिए भी पात्र नहीं हैं क्योंकि इनकी पदस्थापना भोपाल शहर में नहीं है।
दो माह के लिए मिली थी अनुमति -
10 सितम्बर 2011 को खरगोन कलेक्टर बनाए गए कोठारी को दो माह के लिए भोपाल में सरकारी मकान की अनुमति थी। इसके बाद इन्होंने यह अवधि और बढ़ाए जाने का आवेदन किया लेकिन सरकार ने उनका आवेदन खारिज करते हुए मकान खाली करने का आदेश दिया।
बाजार दर से होगी बसूली -
कोठारी से अब राज्य सरकार बाजार दर से मकान किराया बसूलने की तैयारी कर रही है। इसके लिए उनकी फाइल खंगाली जा रही है। हिसाब-किताब तैयार होते ही उन्हें वसूली का नोटिस जारी किया जाएगा।

12:21 AM - No comments

सीएस से दो गुना अधिक होगा पायलट का वेतन

मुख्यमंत्री के विमान बेड़े में शामिल हवाई जहाज और हैलीकॉप्टर के पायलटों, इंजीनयरों को दोगुना वेतन मिलेगा। यह चीफ सेके्रटरी के वेतन से ढाई गुना अधिक होगा। वेतनभत्तों के मामले में गठित कमेटी ने यह अनुशंसा मुख्यमंत्री को भेज दी है।
पायलट और इंजीनियर लम्बे समय से सरकार पर दवाब बना रहे थे कि निजी विमानन सेवाओं की तुलना में उनके वेतनभत्ते कम हैं। मामला मुख्यमंत्री के हवाईबेड़े से जुड़ा होने के कारण सरकार भी सक्रिय हुई। इसके लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर दिया गया। कमेटी ने मंथन के बाद वित्त विभाग को अनुशंसा भेज दी थी। वित्त विभाग की सहमति के बाद सामान्य प्रशासन विभाग के मंत्री के पास फाइल भेज दी गई है। मुख्यमंत्री की हरीझंडी मिलते ही पायलट और इंजीनियरों को बढ़े हुए वेतन-भत्ते मिलने लगेंगे। यह उनको वर्तमान में मिल रहे वेतन से दोगुना होगा।

पैकेज में शामिल होंगी सभी सुविधाएं -
कमेटी ने अनुबंध में कार्यरत पायलट और इंजीनियरों के पैकेज में बढ़ोत्तरी करते हुए दोगुना करने की अनुशंसा की है। इनको अब अलग से मकान किराया, वाहन भत्ता सहित अन्य सुविधाएं नहीं मिलेंगी। यानी यह सब पैकेज में शामिल होगा। जबकि नियमित पायलट और इंजीनियरों के मामले में ऐसा नहीं होगा। उनका वेतन तो यथावत रहेगा, लेकिन भत्ते बढ़ जाएंगे, जिससे उनको मिलने वाली तनख्वाह अनुबंधितों से समान हो जाए।

यह है पायलटों का वेतन -
चीफ पायलट अनंत सेठी को वेतनभत्ता मिलाकर करीब ढाई लाख रुपया मिलता है, जबकि पायलटों को करीब डेढ़ लाख रुपया मिलता है। अनुबंधित पायलटों के लिए चार स्लैब एक लाख, 1.50 लाख, 1.75 लाख और 1.90 लाख रुपया मिलता है। अनुबंधित पायलटों का वेतन अब दोगुना हो जाएगा। यानी इन्हें क्रमश: 2 लाख, 3 लाख, 3.50 लाख, 3.80 लाख रुपया प्रतिमाह वेतन मिलेगा। नियमित पायलटों के भत्तों में इजाफा होगा।

यह है मुख्य सचिव का वेतन -
मुख्य सचिव को 80 हजार रूपए बेसिक पे के साथ डीए, ग्रेड पे व अन्य भत्ते मिला कर करीब डेढ़ लाख रूपए प्रतिमाह वेतन के रूप में मिलते हैं। प्रदेश में भारतीय पुलिस सेवा के सर्वोच्च अधिकारी डीजीपी और भारतीय वन सेवा के एक प्रमुख अधिकारी को भी मुख्य सचिव के समान बेसिक वेतन, ग्रेड पे और डीए व अन्य भत्ते दिए जाते हैं।