Monday, August 27, 2012

6:56 AM - No comments

प्रदेश से मोह भंग हुआ नौकरशाहों का


मध्यप्रदेश छोड़ने के इच्छुक आईएएस अफसरों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। हालांकि राज्य सरकार इन अफसरों को छोड़ने के मूड में नहीं है, लेकिन अफसरों के लगातार आग्रह के बाद लगता है कि सरकार इन्हें ज्यादा दिन रोक पाएगी। मालूम हो अभी सरकार के सरकार के पास आठ आईएएस अफसरों के आवेदन लंबित हैं।
सख्त मिजाजा और तेज तर्रार आईएएस अफसरों में शुमार शैलेन्द्र सिंह कल ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलकर उन्हें अपनी भावनाओं से अवगत करा चुके हैं। मालूम हो अब केन्द्र सरकार में सेवाएं देना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए आवेदन दिया है। हालांकि सरकार चाहती है कि वे प्रदेश में ही सेवाएं देते रहें। हाल ही में स्वास्थ्य विभाग के संचालक बनाए गए संजय गोयल ने भी पांच वर्ष के लिए केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने की इच्छा जताई है। सरकार के पसंदीदा अफसरों में शुमार गोयल के इस निर्णय से आला अफसर भी आश्चर्य चकित हैं कि वे केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर क्यों जाना चाहते हैं, क्योंकि भारी विरोध के बावजूद इन्हें स्वास्थ्य विभाग की कमान सौंपी गई थी। ज्ञानेश्वर पाटिल और सोनाली वायंगणकर महाराष्ट्र राज्य में सेवाएं देना चाहते हैं। इसके लिए आवेदन किए हुए इन्हें लम्बा समय हो चुका है। के वासुकी, आइरिन सिंथिया भी अब मध्यप्रदेश में सेवाएं देने के मूड में नहीं है।
इन्हें मिली अनुमति -
मुधरानी तेवतिया एक मात्र आईएएस अफसर हैं जिन्हें राज्य सरकार ने प्रदेश छोड़ने की अनुमति दी है। ये कॉडर परिवर्तन करवाना चाहती हैं। राज्य सरकार ने अपनी अनुशंसा के साथ केन्द्र सरकार को इनका आवेदन भेज दिया है। अब यह मामला केन्द्र सरकार में लंबित है।
ई रमेश कुमार का मूड बदला -
सागर कलेक्टर ई रमेश कुमार भी केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाना चाहते थे। केन्द्रीय कार्मिम मंत्रालय ने इनकी प्रतिनियुक्ति के आदेश जारी कर दिए, लेकिन राज्य सरकार ने इनको कार्यमुक्त नहीं किया। बताया जा रहा है कि अब वे प्रदेश नहीं छोड़ना चाहते, उनके आग्रह पर ही राज्य सरकार ने कार्यमुक्त नहीं किया।
बिना काम के अफसर -
राज्य सरकार के एक वरिष्ठ आईएएस अफसर ऐसे भी हैं जो लम्बे समय से बिना काम के हैं। 5 जुलाई को राज्य सरकार ने इन्हें आनन फानन में सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव पद से हटा दिया। इसके बाद से इन्हें किसी भी विभाग की जिम्मेदारी नहीं मिली है। चर्चा है कि लम्बे समय से बिना के काम अफसर सामंतराय भी अब प्रदेश छोड़ने की तैयारी में हैं।

6:56 AM - No comments

कलेक्टरों की राय होती रहे ‘परख’


सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन और उनका फीडबैक लेने के लिए मुख्य सचिव परख कार्यक्रम के जरिए इनकी जमीनी हकीकत जानने का प्रयास करते हैं, लम्बे समय से चल रहे इस कार्यक्रम को अब और बेहतर बनाने की कवायद शुरू हुई है। इसी के तहत मुख्य सचिव ने कलेक्टरों, कमिश्नरों से फीडबैक लेना शुरू किया है। प्रारंभिक तौर पर हुई चर्चा के दौरान ज्यादातर कलेक्टरों का यही सुझाव रहा कि यह कार्यक्रम चलता रहना चाहिए।
मुख्य सचिव आर परशुराम ने परख कार्यक्रम के दौरान कल एक दर्जन अफसरों के सुझाव मांगे। उन्होंने जानना चाहा कि परख कार्यक्रम के मौजूदा स्वरूप में क्या परिवर्तन हो सकता है, या फिर इसे इसी तरह चलते रहना चाहिए। इस पर भोपाल, जबलपुर, रायसेन, बैतूल, हरदा, रीवा, सिवनी इत्यादि जिलों के कलेक्टरों ने सुझाव दिया कि परख कार्यक्रम चलते रहना चाहिए। इसी प्रकार रीवा और जबलपुर कमिश्नर से भी सुझाव मांगे लिए गए। ये भी इस कार्यक्रम के पक्ष में नजर आए। हालांकि ज्यादातर अफसर इस बात पर सहमत रहे कि इस कार्यक्रम के मौजूदा स्वरूप में कुछ परिवर्तन हो सकता है, लेकिन इसे बंद नहीं किया जाना चाहिए। यहां यह बताना जरूरी है कि परख कार्यक्रम के जरिए कृषि कार्यो फसलों की स्थिति एवं खाद, बीज, की उपलब्धता तथा वितरण की समीक्षा, स्कूल शिक्षा, स्वास्थ्य, जलाभिषेक सहित सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न अभियान की समीक्षा, प्रदेश में वर्षा और सूखे की स्थिति, महाविद्यालयों में रेगिंग की रोकथाम, आने वाले त्यौहारों पर कानून व्यवस्था की समीक्षा, नगरीय क्षेत्रों में नालियों की साफ-सफाई की स्थिति, उर्वरक व्यवस्था इत्यादि की समीक्षा होती है। कलेक्टरों का भी यही मानना है कि यह समीक्षा स्वयं मुख्य सचिव करते हैं, ऐसे में अन्य अफसर भी एलर्ट रहते हैं क्योंकि मुख्य सचिव सीधे जवाब तलब करते हैं।

6:55 AM - No comments

कर्मचारियों को 7 फीसदी डीए की सौगात

 सूबे के अधिकारी कर्मचारियों को 7 फीसदी अतिरिक्त डीए मिलेगा। बढ़े हुए डीए का लाभ उन्हें इसी माह से मिलने लगेगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वतंत्रता दिवस के मुख्य समारोह में यह घोषणा की।
स्वतंत्रता दिवस इस बार प्रदेश के कर्मचारियों के लिए कई सौगातें लेकर आया है। स्वतंत्रता दिवस के एक दिन पूर्व कर्मचारियों को गई भत्ते इत्यादि की सौगात पहले ही मिल चुकी। कल सूबे के अधिकारी-कर्मचारियों को डीए की सौगात भी मिल गई। मुख्यमंत्री की इस घोषणा का लाभ सूबे के सभी पांच लाख कर्मचारियों सहित पेंशनरों को भी मिलेगा। मालूम हो राज्य के कर्मचारियों को 58 फीसदी डीए मिलता है, 7 फीसदी अतिरिक्त डीए मिलने से अब अधिकारी-कर्मचारियों को 65 फीसदी डीए मिलने लगेगा। इसके बाद केन्द्र और राज्य के कर्मचारियों में डीए का अंतर समाप्त हो जाएगा।

6:55 AM - No comments

मौसम ने रोकी माननीयों की यात्रा

मध्यप्रदेश विधानसभा की विभिन्न कमेटियां अन्य राज्यों की विधानसभाओं की कार्यप्रणाली को समझने के लिए जाती इसके पहले ही मौसम रोड़ा बन गया। कमेटियों को अपना दौरा निरस्त करना पड़ा है। अब मौसम का मिजाज ठीक होने के बाद नए सिरे से दौरा कार्यक्रम तैयार किए जाएंगे।
विशेषाधिकार समिति की हाल ही में हुई बैठक के दौरान तय किया गया कि समिति उत्तराखण्ड राज्य का अध्ययन करेगी। इस दौरान वहां की विधानसभा की कार्यप्रणाली सहित राज्य में चल रहे कार्यों का भी करना था। इसके लिए मध्यप्रदेश विधानसभा ने उत्तराखण्ड विधानसभा सचिवालय को पत्र लिखा। उत्तराखण्ड विधानसभा सचिवालय ने प्रदेश के हालातों से अवगत कराते हुए जबाव भेजा कि यहां मौसम अनुकूल नहीं है। अधिक बारिश होने से कई शहरों का सड़क संपर्क टूट चुका है। मध्यप्रदेश विधानसभा को यह सूचना फैक्स संदेश के माध्यम से मिली। इस सूचना के साथ ही कल समिति का दौरा स्थगित किए जाने की सूचना सभी सदस्यों को भेज दी गई। मालूम हो समिति को अगले माह दौरे पर जाना था। इसी प्रकार आश्वासन समिति ने उत्तराखण्ड, हिमाचल राज्यों का दौरा कार्यक्रम तैयार किया। इन राज्यों की विधानसभा सचिवालय द्वारा बारिश के कारण वहां बने हालातों से मध्यप्रदेश विधानसभा सचिवालय को अवगत कराया तो इस समिति ने भी दौरा निरस्त कर दिया। 

6:55 AM - No comments

भ्रष्टों को बेनकाब करेंगे आईएएस थेटे

सरकार में उपेक्षित महसूस कर रहे आईएएस अधिकारी रमेश थेटे अब खुलकर सामने आ गए हैं। वे कहते हैं कि प्रशासनिक सेवा में रहते हुए ही भ्रष्टों के चेहरों से नकाब उठाएंगे। लोकायुक्त पीपी नावलेकर पर सीधे तौर पर निशाना साधते हुए थेटे ने कहा कि अब वे लोकायुक्त सहित संगठन से जुड़े अन्य अफसरों की काली कमाई उजागर करेंगे। आयकर और सीबीआई को प्रमाणों के साथ इनके दस्तावेज सौंपे जाएंगे।
‘प्रदेश टुडे’ से चर्चा करते हुए थेटे ने बताया कि मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव कई बार पत्र लिखने, व्यक्तिगत मुलाकात कर अपनी कहने का प्रयास किया गया लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आए। उप सचिव स्तर के अधिकारी थेटे का दर्द यह है कि उनसे जूनियर अफसर सचिव स्तर तक प्रमोशन पा गए लेकिन उन्हें प्रमोशन नहीं दिया गया। बार-बार आग्रह किए जाने के बाद कलेक्टरी नहीं मिली। वे आरोप लगाते हैं दलित होने के कारण मुझे प्रताड़ना मिल रही है। एक सवाल पर वे कहते हैं भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार में रहकर ही लड़ाई लड़ता रहंूंगा, इसके लिए न बाबा रामदेव और न ही अन्ना हजारे के साथ जाएंगे। नौकरी छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता।
भ्रष्ट हैं लोकायुक्त नावलेकर -
उज्जैन अपर आयुक्त थेटे ने कल बुधवार को मीडिया से बातचीत करते हुए लोकायुक्त जस्टिस पीपी नावलेकर को भ्रष्ट बताते हुए कहा कि मध्यप्रदेश कैडर के कई सवर्ण आईएएस अधिकारियों पर अवैध संपत्ति व पद का दुरुपयोग कर शासन को करोड़ों रुपए की क्षति पहुंचाने के आरोप लगे हैं, लेकिन लोकायुक्त संगठन ने ऐसे अफसरों के खिलाफ चालान पेश करने से पहले अभियोजन की स्वीकृति मांगी, लेकिन मेरे मामले में अभियोजन स्वीकृति के बिना ही चालान पेश कर दिया गया।
थेटे की फाइल तैयार -
मध्यप्रदेश कॉडर में 1993 बैच के आईएएस अधिकारी रमेश थेटे द्वारा सार्वजनिक तौर पर बयानबाजी किए जाने को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है। सरकार ने इसे सर्विस रूल्स के खिलाफ मानते हुए उनके खिलाफ कार्यवाही की तैयारी की है। संभव है एक-दो दिन में उनके खिलाफ कोई एक्शन हो जाए।

6:54 AM - No comments

डिफाल्टरों में नाम आने से आईएएस खफा


केन्द्र सरकार को अपनी अचल सम्पत्ति का ब्यौरा न देने पर देश के 127 डिफाल्टर आईएएस अफसरों की सूची में प्रदेश के 32 आईएएस अफसरों का नाम आने पर अफसरों ने आपत्ति दर्ज कराना शुरू कर दी है। वे इस बात पर आश्चर्य भी प्रकट कर रहे हैं जब निर्धारित समय पर उन्होंने ब्यौरा दे दिया है तो उनका नाम डिफाल्टरों की सूची में कैसे आ गया। अब राज्य सरकार भी अफसरों का रिकार्ड दुरुस्त खंगालने में जुटी है।
केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय ने प्रदेश के जिन आईएएस अफसरों को डिफाल्टरों की सूची में शामिल किया है, उसमें एसीएस स्तर के अफसरों से लेकर प्रमुख सचिव, सचिव और उनसे जूनियर अफसर भी शामिल हैं। राज्य सरकार भी मान रही है कि प्रदेश के सभी आईएएस अफसरों ने अचल सम्पत्ति का ब्यौरा दे दिया है, लेकिन कुछ अफसरों के ब्यौरे में कमियां हैं, दी गई जानकारी का परीक्षण चल रहा है, इसलिए इनकी जानकारी केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय को नहीं दी गई है। आधी अधूरी जानकारी केन्द्र को दी जाना भी उचित नहीं है, ऐसे में जैसे-जैसे आपत्तियों का निराकरण होता जा रहा है वैसे-वैसे केन्द्र को इसकी सूचना भेजी जा रही है। प्रदेश के 32 आईएएस अफसरों के नाम प्रकाश में आने से अधिकांश अफसरों ने मंत्रालय में संपर्क साधते हुए अपनी आपत्ति दर्ज कराई। कल सोमवार और की तरह आज मंगलवार को भी कुछ ऐसी ही स्थिति रही। कई आईएएस अफसरों ने दोबारा अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा मंत्रालय को उपलब्ध कराया, वे सरकारी ढर्रा के शिकार नहीं होना चाहते। उनका तर्क है कि जिन्होंने जैसी जानकारी दी है, वैसी ही जानकारी केन्द्र को उपलब्ध करा दी जाए, यदि कुछ त्रुटियां या आपत्ति है तो इसका निराकरण होता रहेगा।

6:53 AM - No comments

विधायकों को नहीं मिलेगा बहाली दिन का भत्ता


कांग्रेस विधायकों चौधरी राकेश सिंह चुतुर्वेदी और कल्पना पारुलेकर को चुनाव आयोग से भी अच्छी खबर मिली, आयोग ने उन्हें विधायक मानते हुए दोनों विधायकों के विधानसभा सीटों को अब भरा हुआ मान लिया। मालूम हो पहले आयोग ने इनकी सीटों को रिक्त घोषित कर दिया था। लेकिन इन्हें एक दिन का भत्ता नहीं मिलेगा।
कांग्रेस के दोनों विधायकों कल्पना पारुलेकर और चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी को 18 जुलाई को बर्खास्त किया गया था। 27 जुलाई को बुलाए गए विशेष सत्र में 18 जुलाई के निर्णय को शून्य घोषित कर दिया गया। यानी ये लगातार विधायक माने जाएंगे। लेकिन 27 तारीख को बुलाए गए विशेष सत्र के दौरान इन्हें अनुपस्थित माना जाएगा, इन्हें इस दिन का भत्ता नहीं मिलेगा। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि विशेष सत्र के दौरान इनकी सदस्यता समाप्त थी, इसलिए ये सदन में मौजूद नहीं रहे। यह बात अलग है कि ये विधानसभा परिसर में मौजूद रहकर सदन की हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए थे।

6:40 AM - No comments

नौकरशाहों पर असमंजस में सरकार


सूबे के आधा दर्जन आईएएस अफसर ऐसे हैं जिनके मामले में असमंजस की स्थिति है। इसमें से ज्यादातर मध्यप्रदेश में सेवाएं देने के मूड में नहीं है, जबकि कुछ मनमर्जी से काम कर रहे हैं। गेंद सरकार के पाले में है, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है।
प्रदेश में आईएएस अफसरों का टोटा होने के कारण राज्य सरकार चाहती है कि अफसर यहीं काम करें, इसलिए कॉडर परिवर्तन की हरीझंडी मिलने के बाद भी सरकार इन्हें रिलीव नहीं कर रही है, जबकि कुछ के मामले केन्द्र में लंबित हैं। प्रदेश में तेजी से बदल रहे राजनैतिक घटनाक्रम के चलते इन अफसरों की फाइल भी ठण्डे बस्ते है।
मधुरानी तेवतिया -
आईपीएस पति की मौत के बाद प्रदेश सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाया। असुरक्षित महसूस कर रहीं श्रीमति तेवतिया ने मध्यप्रदेश में नौकरी न करने का निर्णय लिया। राज्य सरकार से आग्रह किया कि उनका कॉडर बदलकर उत्तर प्रदेश किया जाए। प्रदेश सरकार अपनी अनुशंसा के साथ केन्द्र सरकार को फाइल केन्द्र सरकार को भेज चुकी है, लेकिन अभी तक इस मामले में कोई आदेश जारी नहीं हुआ है।
ई रमेश कुमार -
सागर कलेक्टर हैं। मध्यप्रदेश छोड़कर आंध्र प्रदेश में सेवाएं देने की इच्छा व्यक्त की। केन्द्र सरकार ने इनके आग्रह को मानते हुए इन्हें हरीझंडी दिखा दी। केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय इस संबंध में दो माह पूर्व आदेश भी जारी कर चुका है, लेकिन अभी तक राज्य सरकार ने इन्हें रिलीव नहीं किया है। तर्क दिया जा रहा है कि अब इनका मूड बदल गया है, अब ये मध्यप्रदेश में ही सेवाएं देने के इच्छुक हैं। इन्हीं के आग्रह पर ही राज्य सरकार ने इन्हें रिलीव न करने का निर्णय लिया है।
सोनाली वायंगणकर -
मध्यप्रदेश को छोड़कर महाराष्ट्र राज्य में सेवाएं देना चाहती हैं। इसके लिए पारिवारिक कारण बताते हुए राज्य सरकार से आग्रह कर चुकी हैं। आग्रह किए जाने के दौरान ये शाजापुर कलेक्टर थीं, वहां से बुला लिया गया है, लेकिन इनके मामले में अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है।
ज्ञानेश्वर पाटिल -
श्योपुर कलेक्टर हैं। महाराष्ट्र राज्य में सेवाएं देना चाहते हैं। राज्य सरकार कॉडर बदलने के लिए प्रदेश सरकार को आवेदन दे चुके हैं, लेकिन राज्य सरकार इन्हें मध्यप्रदेश में ही रखना चाहती है। भोपाल जिला पंचायत सीईओ रहते हुए चर्चा में आए। श्योपुर में भी ये सुर्खियों में हैं।

6:40 AM - No comments

केन्द्र पर टिका आईएएस यादव का भविष्य


नाफरमान आईएएस अनिल यादव का भविष्य अब केन्द्र सरकार पर टिका है, इन्हें नाफरमानी की सजा मिलना है। राज्य को केन्द्र के आदेश की प्रतीक्षा है।
मध्यप्रदेश कॉडर में 1999 बैच के आईएएस अफसर अनिल यादव 25 जुलाई 2007 से 24 जुलाई 2009 तक के लिए अध्ययन अवकाश पर विदेश गए थे। अवकाश अवधि समाप्त होने के बाद न तो वापस लौटे और न ही इन्होंने कोई सूचना दी। जब ये चार साल तक नहीं लौटे तो सरकार सक्रिय हुई और इनकी तलाश शुरू की गई। प्रदेश सरकार ने इसे नाफरमानी मानते हुए इनके निवास पर पत्र भेजे गए, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं आया। आखिरकार राज्य सरकार गायब हुए अफसर के बारे में केंद्र को सूचना भेजते हुए वस्तुस्थिति से अवगत करा दिया। इस बीच यादव ने राज्य सरकार को एक पत्र लिखा जिसमें यह बताने का प्रयास किया कि वे गायब नहीं हैं बल्कि लौट रहे हैं। राज्य सरकार उनके तर्क से सहमत नहीं है। सरकार को इनके पत्र तो मिल रहे हैं, लेकिन इन्होंने अपनी आमद नहीं दी। अब राज्य सरकार केन्द्र सरकार के मार्गदर्शन का इंतजार कर रही है।
असमंजस में सरकार -
आईएएस यादव ने राज्य सरकार को अपनी अचल सम्पत्ति की जानकारी भी भेजी है, अब सरकार यह नहीं समझ पा रही है कि इसे रिकार्ड में लिया जाए नहीं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि राज्य को अभी केन्द्र की तरफ से कोई स्पष्ट निर्देश नहीं मिले हैं कि इनके मामले में क्या करना है।

6:40 AM - No comments

7 अन्य विधायकों को भी मिलेगी माफी


कांग्रेस के दो विधायकों चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी और कल्पना पारुलेकर की सदस्यता बहाली के लिए बुलाए जा रहे विधानसभा के विशेष सत्र के साथ ही 7 अन्य विधायकों के मामले में गंभीरता से विचार शुरू है। विशेषाधिकार समिति इन विधायकों से अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए नोटिस जारी कर चुकी है। हालांकि अभी तक विधायकों की ओर से कोई जबाव नहीं आया है। विधायकों की ओर से जबाव आने के बाद समिति इनके मामले में फैसला लेगी।
हाल ही में समाप्त हुए मानसून सत्र के दौरान के दौरान भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चर्चा कराए जाने को लेकर सत्ता और विपक्षी दल के सदस्यों में तीखी नोकझोंक हुई। सदन में चर्चा न कराए जाने से नाराज कांग्रेस विधायकों ने 17 तारीख को तो स्पीकर के कक्ष के बाहर धरना दे दिया, जिसके कारण स्पीकर कक्ष से बाहर ही नहीं आ पाए। सदन में भी अजीब स्थिति बनी। कांग्रेस के सदस्य आसंदी के इर्दगिर्द पहुंच गए। इस कारण सदन की कार्यवाही बाधित हुई। गतिरोध के चलते सदन की कार्यवाही स्थगित करना पड़ी। सदन में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के सदस्यों की कार्यप्रणाली पर सत्तारूढ़ दल भाजपा के अनूप मिश्रा, सुदर्शन गुप्ता, तारचंद बाबरिया, शरद जैन एवं अन्य सदस्यों ने विशेषाधिकार भंग की सूचना दी थी।
ये हैं आरोपी विधायक -
स्पीकर ईश्वरदास रोहाणी ने कांग्रेस विधायक लाखन सिंह यादव, राम निवास रावत, पुरुषोत्तम दांगी, विजेन्द्र सिंह मालाहेड़ा, आरिफ अकील, नारायण सिंह प्रजापति, श्रीमती इमरती देवी को विशेषाधिकार भंग का आरोपी मानते हुए मामला विशेषाधिकार समिति को सौंप दिया। मामला कमेटी के विचारार्थ है।

6:39 AM - No comments

नहीं खुल सकी आईएएस राजौरा की फाइल


मध्यप्रदेश कॉडर में 1990 बैच के आईएएस अफसर राजेश राजौरा की फाइल खुलने का रास्ता साफ होने के बाद भी सरकार ऐसा नहीं कर पा रही है। लम्बे समय से निलंबन का बोझ झेल रहे राजौरा भी चाहते हैं कि उनके मामले में सरकार शीघ्र निर्णय ले, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है।
गृह सचिव रहते हुए करीब तीन वर्ष पूर्व आयकर छापे के दौरान इनके यहां आय से अधिक सम्पत्ति और करोड़ों रुपए की अचल सम्पत्ति के दस्तावेज मिलने के बाद से राज्य सरकार ने इन्हें निलंबित कर दिया था।